Parenting Skills – बच्चों की अच्छी परवरिश कैसे करें?
क्या आप बच्चों की अच्छी परवरिश का हुनर जानना चाहते हैं?
बेशक आप चाहते हैं!
आप अपने बच्चों को उनकी क्षमता का अधिकतम उपयोग करने में मदद करना चाहते हैं, और आप चाहते हैं, कि वे घर, परिवार और समाज के कार्यों में अपना योगदान दें।
बच्चों की परवरिश करना दुनिया का सबसे मुश्किल भरा काम है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है, कि इसे रोज तनाव, क्रोध और अपराधबोध से ग्रस्त करते रहें ।
यदि आपको लगता है, कि आप हर एक तरीका आजमा कर हार गए हैं और कोई भी तरीका काम नहीं करता है, तो आप बच्चे के साथ एक समृद्ध संबंध बनाकर उसके साथ आनंद लेना सीखें, जिसमें आपका बच्चा फलेगा-फूलेगा।
मैं इसे जानना चाहता था, कि परवरिश करने के कौन से गुण और सुझाव प्रभावकारी साबित हुए हैं। इसलिए मैंने बहुत से शोध आधारित लेखों को पढ़ा जो मुझे मिले।
कई दिनों की शोध के आधार पर, मैं बच्चों की अच्छी परवरिश के कौशलों की सूची लेकर उपस्थित हुआ हूँ।
हाँ एक बात याद रखें, कि सभी बदलाव तुरंत नहीं होंगे और आसान भी नहीं हैं, इसलिए आपको थोड़ा धैर्य से काम लेना होगा।
शोध-आधारित बच्चों की अच्छी परवरिश कैसे करें?
एक अच्छे माता-पिता के रूप में अधिक प्रभावी बनने के लिए, आप उन योग्यताओं का अभ्यास करें, जो सबसे अच्छे परिणाम पाने के लिए सिद्ध हुए हैं।
ये बच्चों की अच्छी परवरिश करने लिए एक ताक़त बन जाएंगे, फिर आप उन बच्चों की परवरिश करने के लिए अपने आप पर भरोसा कर सकते हैं, जो आत्मविश्वास से भरे, सफल युवा में तब्दील होते हैं।
1- अपने बच्चे के आत्म-सम्मान को बढ़ाएँ
बच्चे अपने माता-पिता को देखते हुए बड़े होते हैं। वे आपकी हर अभिव्यक्ति जैसे बोलने का लहजा, आपका हावभाव और आपकी गतिविधि की नक़ल करते हुए सीखते हैं। एक माता-पिता के रूप में आपके शब्द और कार्य उनके विकासशील आत्म-सम्मान को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।
बच्चों की उपलब्धियों की हमेशा प्रशंसा करें, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो, वे गौरवान्वित महसूस करते हैं; अपने बच्चों को स्वतंत्र होकर काम करने दें, यह उन्हें सक्षम और मजबूत बनाएगा। इसके विपरीत, टीका-टिप्पणी करना या किसी अन्य बच्चे के साथ प्रतिकूल तुलना करने से बच्चों के अंतर मन में हीन भावना का निर्माण होगा।
बेतुकी बातें या शब्दों को हथियार बनाने से बचें, जैसे “कितने बेवकूफ हो!” या “तुम्हारा व्यवहार बच्चों की तरह है!” ऐसी बातें शारीरिक आघातों की तरह क्षति पहुँचाती हैं।
बच्चों से बात करते समय अपने शब्दों पर ध्यान दें और उनके प्रति नम्र और उदार बनें। अपने बच्चों को प्यार से बताएं, कि गलती हर किसी से होती है और लेकिन आप, तब भी उनसे उतना ही प्यार करते हैं।
2- अच्छी परवरिश के लिए सकारात्मक व्यवहार को निखारें।
येल विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान के प्रोफेसर Alan Kazdin के मतानुसार, कि माता-पिता को जानबूझकर अपने बच्चों के नकारात्मक व्यवहार की तुलना में, उनके सकारात्मक व्यवहार पर अधिक ध्यान देने के बारे में सोचना चाहिए।
माता-पिता बच्चों को जितना अधिक डाँटते या फटकारते हैं, उतना ही बुरा व्यवहार बच्चों द्वारा फिर-फिर दोहराया जाता है।
जब बच्चे को बहुत अधिक डाँट पड़ती है, तो उन्हें यह विश्वास होने लगता है, कि “मैं एक बुरा बच्चा हूँ, जो हमेशा गलती करता है और डाँट खाता है”।
ऐसे में, वे अपने व्यवहार को ठीक करने के लिए प्रेरित महसूस नहीं करेंगे, क्योंकि यह उनकी पहचान का एक हिस्सा बन चुका है।
एक अच्छे माता-पिता बनने और बच्चों की अच्छी परवरिश करने का बेहतर तरीका यह है, कि जब कभी आप अपने बच्चों के अच्छे व्यवहार को देखें तो उनकी सराहना अवश्य करें या उनका बखान करें।
ऐसा करने के लिए आपको अपने पिता रुपी सांचे से बाहर निकलना पड़ सकता है। धैर्य और समर्पण के साथ इस पर ध्यान दें और समय के साथ आप अपने बच्चों के व्यवहार में सुधार अवश्य देखेंगे।
3- अपने बच्चों को दूसरों की मदद करना सिखाएं।
Lara Ekinen की एक शोध रिपोर्ट से पता चलता है, कि बच्चे दूसरों की मदद करके ख़ुशी महसूस करते हैं।
वास्तव में, बच्चों को अधिक खुशी तब मिलती है, जब वे अपनी पसंद की किसी चीज को बिना किसी स्वार्थ या दुःख के ख़ुशी ख़ुशी दूसरों को दे देते हैं।
ये काफी दिलचस्प निष्कर्ष है, क्योंकि हममें से अधिकतर लोग स्वाभाविक रूप से आत्म-केंद्रित होते हैं। इसीलिए, हम दूसरों की जरूरतों से पहले अपनी जरूरतों के बारे में ही सोचते हैं।
लेकिन शोध बताती है, कि यदि हम अपने स्वार्थी स्वभाव को वश में कर लेते हैं और दूसरों की आवश्यकताओं के बारे में भी सोचते हैं, तो हम अधिक आनंदित रहेंगे।
यदि आप चाहते हैं, कि आपके बच्चे आनंद से भरपूर जीवन व्यतीत करें, तो उन्हें दूसरों की सेवा करना और मदद में योगदान के महत्व को अवश्य सिखाएं। आप उन्हें उन गतिविधियों में शामिल करें जहाँ उन्हें दूसरों की मदद करने और सकारात्मक प्रभाव डालने का मौका मिले।
जब आपके बच्चे अपनी उपलब्धियों के बारे में कम और योगदान के मामले में अधिक सोचते हैं, तो वे एक सुखी और सफल जीवन के निर्माण की राह पर अग्रसर होंगे।
4- अपने बच्चों पर चिल्लाएं नहीं।
आप शायद मन ही मन खुद से न जाने कितनी बार कह चुके होंगे, कि अब आपको अपने बच्चों पर चिल्लाना नहीं चाहिए।
लेकिन जब बच्चे आपका पारा चढ़ा रहे हों, तो खुद को चिल्लाने से रोकना एक मुश्किल काम हो सकता है।
Ming-Te Wang की रिसर्च के अनुसार, कि आप अपने बच्चों पर जितना अधिक चिल्लाएंगे, उनका व्यवहार उतना ही बिगड़ता चला जाएगा।
बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए, आप अपने बच्चों के व्यवहार को नियंत्रित करने की बजाय, उनके दृष्टिकोण और भावनाओं को समझने की कोशिश करें। फिर उन तक पहुँचने के लिए तार्किक विचारों का उपयोग करें।
अपने पालन-पोषण के हुनर में सुधार करने और अपने क्रोध को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए, आप इन सुझावों को अवश्य आज़माएँ:
- एक दृढ़ संकल्प लें, कि आप अपने बच्चों पर तब तक नहीं चिल्लाएंगे, जब तक कि बात उनके सुरक्षा की न हो
- पहले ही यह तय कर लें, कि यदि गुस्सा आएगा, तो आपको क्या करना है
- यदि आवश्यक हो, तो उस स्थिति से दूर हो जाएं
- जब आप उत्तेजित हों, तो पाँच बार गहरी साँस लें
- धमकियों का उपयोग न करें
- वाद विवाद में आपको जो भूमिका निभानी है, उसका विश्लेषण करें
- इस बारे में सोचें, कि आपके बच्चे की ज़रूरतें क्या हैं, इससे आप समस्या की जड़ तक पहुँच सकेंगे।
5- अपने बच्चों को प्यार करें और प्यार को दिखायें भी
अपने बच्चे से बहुत ज्यादा प्यार दुलार करना कोई गलत बात नहीं है, और यह सोच गलत है, कि अधिक प्यार करने से बच्चे बिगड़ सकते हैं।
लेकिन, प्यार के नाम पर आप उन्हें क्या दे सकते हैं? केवल वही कर सकते हैं या दे सकते हैं – तुष्टि, उदारता, कम अपेक्षायें और अति-संरक्षण जैसी चीजें। जब ये सब चीजें सच्चे प्यार के बदले में दी जाती हैं, तभी आपके बच्चे बिगड़ैल बन सकते हैं।
अपने बच्चे को प्यार करना उतना ही सरल हो सकता है, जितना उसे गले लगाना, उसके साथ अच्छा समय बिताना, परिवार के साथ भोजन करना और अपने बच्चे की समस्याओं को गंभीरता से सुनना।
बच्चों को इस तरह से प्यार को दिखाने से ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) जैसे फील-गुड हार्मोन का स्राव होता है। ये न्यूरोकेमिकल्स हमें भावनात्मक शांति, जोश, उत्साह और संतोष की गहरी भावना दे सकते हैं; इनसे, बच्चे के स्वभाव में एक लचीलापन विकसित होगा और आपके साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करेगा।
6- अपने बच्चों को घर की जिम्मेदारियां दें।
वयस्क बच्चों के विकास का Harvard अध्ययन की एक खोज यह बताती है, कि जो बच्चे घर के कामों में हाथ बंटाते या घरेलू जिम्मेदारियों को निभाते हैं, वे बच्चे अधिक खुश रहते हैं।
घरेलू जिम्मेदारियां बच्चों को कर्तव्य, सहयोग, सामुदायिक और कड़ी मेहनत से संबंधित जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सिखाती है।
जो बच्चे इस तरह के सबक जीवन में जल्दी सीख लेते हैं, उनके बड़े होकर चतुर और समझदार व्यक्ति बनने की संभावना उतनी ही अधिक होती है।
एक सफल माता-पिता घर के कामों को परिवार की दिनचर्या और संस्कृति का हिस्सा बना लेते हैं। यह बच्चों को भविष्य की सफलता के लिए तैयार करता है।
7- अपने जीवनसाथी के साथ एक मजबूत रिश्ता बनाएं।
आप शायद यह सोचते होंगे कि, आपकी शादी का आपके पालन-पोषण कौशल से क्या लेना-देना है? तो हम कहते हैं कि लेना देना है!
अधिक लड़ाई-झगड़ा करने वाले परिवारों के बच्चों की तुलना में कम झगड़ने वाले परिवारों के बच्चे जीवन में अधिक खुश और अधिक सफल होते हैं।
शोध से पता चलता है, कि जिन माता-पिता का सफल एवं सुखी वैवाहिक जीवन होता है, उनके बच्चों को अच्छी तरह से समझने की संभावना अधिक होती है।
आप अपने बच्चों के हित के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण काम कर सकते हैं, वह ये है कि, अपने जीवनसाथी के साथ एक मज़बूत रिश्ता बनायें।
मैं विवाह विशेषज्ञ होने का दावा तो नहीं करता, लेकिन यहां कुछ सलाह ऐसी दी गई है, जिनसे आपको एक मजबूत और सफल वैवाहिक जीवन बनाने में मदद मिल सकती है:
- एक दूसरे पर दोषारोपण करने के बजाय, समस्याओं को हल करने पर ध्यान दें
- याद रखें, कि रिश्ता सही होने से ज्यादा, इसका महत्वपूर्ण होना जरूरी है
- प्रतिदिन एक दूसरे से बात करने के लिए समय अवश्य निकालें
- साथी से पूछें “मैं इस रिश्ते को क्या दे सकता हूं?” बजाय इसके कि “मुझे रिश्ते से क्या मिल सकता है?”
- अपनी भविष्य की योजनाओं पर एक साथ चर्चा करें
- अपने जीवनसाथी की खामियों पर चर्चा न करें
- अन्य लोगों के सामने अपने जीवनसाथी की तारीफ करें
- कभी-कभी अपने जीवनसाथी से पूछें, “मैं एक बेहतर पति/पत्नी बनने के लिए क्या कर सकता हूँ?”
- अपने वैवाहिक जीवन की तुलना दूसरे लोगों के जीवन से न करें
- अपने जीवनसाथी के प्रति उदार और विनम्र रहें
8- अपने बचपन के बारे में विचार करें
एक बात सत्य है, कि हम में से बहुत से लोग अपने माता-पिता की तरह नहीं, बल्कि उनसे अलग माता-पिता बनना चाहते हैं। यहाँ तक कि वे भी जिनका पालन-पोषण अच्छी तरह से हुआ और बचपन एकदम खुशहाल बीता था, वे भी अपने पालन-पोषण के तरीके के कुछ पहलुओं को बदलना चाह सकते हैं।
लेकिन अक्सर, जब हम अपना मुंह खोलते हैं, तो हम वैसे ही बोलते और व्यवहार करते हैं, जैसे हमारे अपने माता-पिता करते थे।
अपने स्वयं के बचपन पर चिंतन करना यह समझने की दिशा में एक कदम है, कि हम जिस तरह के माता-पिता हैं, हम वही क्यों करते हैं। आपको उन चीज़ों पर ध्यान देना चाहिए, जिन्हें आप बदलना चाहते हैं और सोचें कि आप इसे वास्तविक परिस्थिति में अलग तरीके से कैसे करेंगे। सचेत रहें और अगली बार उन मुद्दों के सामने आने पर अपने व्यवहार को बदलें।
यदि आप पहली बार में सफल नहीं होते हैं, तो हार मत मानिए। अपने बच्चे के पालन-पोषण के तरीकों को सचेत रूप से बदलने के लिए अभ्यास करना पड़ता है, बहुत अभ्यास करना पड़ता है।
9- अपने बच्चों को चुनौतियों को सकारात्मक रूप से देखना सिखाएं।
प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक Carol Dweck ने दशकों तक इस बारे में शोध की है, कि आपकी मानसिकता कैसे प्रभावित करती है, आपके सफल होने में।
उन्होंने पाया, कि जिन लोगों में चुनौतियों और बाधाओं को सकारात्मक रूप में देखने की क्षमता होती है, उनके सफल होने की संभावना उन लोगों की तुलना में कहीं अधिक होती है, जो ऐसा नहीं करते हैं।
सफल लोग चुनौतियों को देखते हैं और सोचते हैं: “यह कठिन होने वाला है, लेकिन यह मनोरंजक होने वाला है। मैं इन चुनौतियों से निपटने की प्रक्रिया से बहुत कुछ सीखने वाला हूं।”
दूसरी ओर, जो लोग इतने सफल नहीं हैं वे चुनौतियों को कुछ इस तरह से देखते हैं और सोचते हैं: “यह मुझसे नहीं होने वाला है, यह बहुत कठिन है, इसलिए मैं इसे नहीं कर पाऊंगा या पहले तो मैं इनसे बचने की कोशिश करूँगा, यदि ऐसा नहीं कर पाता हूँ, तो मैं इसका शॉर्टकट खोजूँगा।”
ये भिन्न दृष्टिकोण, बच्चों के बचपन और किशोरावस्था में विकसित होते हैं। जैसे, अच्छे माता-पिता अपने बच्चों को चुनौतियों को सकारात्मक रूप से सामना करने में सक्षम बनाने के लिए अपने कौशल को निखारते हैं।
10- अपने बच्चों की जिंदगी में ज्यादा दखलअंदाजी न करें।
सभी माता-पिता चाहते हैं, कि उनके बच्चे जिम्मेदार और आत्मनिर्भर बनें।
लेकिन, साथ ही, वे अपने बच्चों के कामों में दखलअंदाजी करने और अपने बच्चों के वो काम भी करना चाहते हैं, जो उनके बच्चों को स्वयं करने चाहिए या कर सकते हैं ।
ऐसे माता-पिता को हेलीकाप्टर माता-पिता (Helicopter Parents) कहा जाता है।
Larry Nelson के शोध से पता चलता है, कि हेलीकॉप्टर पालन-पोषण (Helicopter Parenting) के कारण बच्चे अपने कामों के प्रति उदासीन हो जाते हैं, और इससे उनका आगे का जीवन भी प्रभावित होता है।
माता-पिता के पास विकसित करने के लिए एक अच्छा पेरेंटिंग कौशल है, कि हेलीकॉप्टर माता-पिता कैसे न बनें।
यह सुनिश्चित करने के कुछ तरीके यहां दिए गए हैं, कि आप हेलीकॉप्टर माता-पिता बनने की बजाय अपने अंदर पालन-पोषण के गुण को विकसित करें:
- अपने बच्चों के वह काम न करें, जो उनकी खुद की जिम्मेदारी हो
- अपने बच्चों को आयु के अनुसार विकल्प चुनने दें
- अपने बच्चों को उनकी पसंद के प्राकृतिक परिणामों से निपटने दें
- जहां तक संभव हो, “आप इसके लिए बहुत छोटे हैं …” कहने से बचें।
- अपने आपको बच्चों के संसार का केंद्र न बनने दें
- अपने बच्चों को असफल होने दें
- अपने बच्चों से पूछें, “कि आप इस समस्या को कैसे हल कर सकते हैं?”
11- बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए सामाजिक ज्ञान सिखाएं।
शोधकर्ताओं ने 13 से 19 साल की अवधि में 750 से अधिक बच्चों पर शोध किया। उन्होंने बालवाड़ी (Kindergarten) के बच्चों में सामाजिक कौशल और वयस्कों के बीच संबंध पाया, कि वे कितने आत्मविश्वासी और सफल थे।
ये निष्कर्ष बच्चों को सामाजिक कौशल सिखाने के महत्व पर प्रकाश डालते हैं।
यहां उन सामाजिक योग्यताओं की सूची दी गई है, जो आप अपने बच्चों में विकसित करने में मदद कर सकते हैं:
- साझा करना
- प्रतिक्रिया देना
- मतभेदों को स्वीकार करना
- दूसरों के अधिकारों और संपत्ति का सम्मान करना
- दूसरों की भावनाओं समझना
- चीजों को दूसरों के नजरिए से देखना
- आँख मिलाकर बात करना
- नकारात्मक भावनाओं को ख़त्म करना
- ध्यानपूर्वक सुनना
- बीच में नहीं बोलना
- विरोधों को सुलझाना
- सम्मानपूर्वक असहमत होना
- सहयोग करना
- दूसरों की मदद करना
- दूसरों की प्रशंसा करना
- विनम्र रहना
- मदद के लिए पूछना
12- अपने बच्चों को परेशान किये बिना उनका मार्गदर्शन करें।
मनोवैज्ञानिक Diana Baumrind ने बच्चों पर पालन-पोषण की विभिन्न शैलियों के प्रभावों के बारे में वर्षों तक शोध किया है।
उनके निष्कर्ष के अनुसार, सामान्य रूप से तीन प्रकार की पेरेंटिंग शैलियाँ हैं:
- अनुमोदक (Permissive): माता-पिता बहुत उदार होते हैं और अक्सर बच्चे की अनुचित माँगों को भी मान लेते हैं। माता-पिता किसी भी प्रकार की सीमा या नियम निर्धारित नहीं करते हैं। माता-पिता के ऐसे लाड प्यार से बच्चे अक्सर “बिगड़” जाते हैं।
- अधिनायकवादी (Authoritarian): माता-पिता बहुत सख्त स्वाभाव के होते हैं, और अक्सर सख्त और अड़ियल (Obstinate) होते हैं। माता-पिता अक्सर बच्चे को काम करने के लिए जबरदस्ती या बलपूर्वक मजबूर करते हैं। ऐसे दबंग माता-पिता के बच्चे अक्सर क्रोधी और विद्रोही बन जाते हैं।
- आधिकारिक (Authoritative): माता-पिता “बिल्कुल सही” हैं, बच्चे के प्रति दयाभाव के बिना गर्मजोशी और स्नेह दिखाते हैं। माता-पिता बच्चे के लिए सीमाओं का निर्धारण करते हैं, लेकिन यदि स्थिति कुछ अलग बनती है, तो वह समझौता या बातचीत करने को भी तैयार रहते हैं। बाकी सब कुछ समान होने पर, आधिकारिक माता-पिता के बच्चों के सुखी, सफल जीवन जीने की सबसे अधिक संभावना होती है।
इसके अलावा, Wendy Grolnick का शोध बताता है, कि जिन बच्चों को माता-पिता अपने नियंत्रण में पालते हैं और कम स्वतंत्र होते हैं, उनमें समस्या से निपटने की कला विकसित होने की संभावना कम होती है।
बेशक, माता-पिता को आधिकारिक पेरेंटिंग शैली को अपनाना चाहिए, क्योंकि शोध से पता चलता है, कि बच्चों पर पकड़ बनाने का यह सबसे प्रभावी तरीका है।
इसलिए, अपने बच्चों को नियंत्रित किए बिना उनका मार्गदर्शन करने और उन्हें प्रशिक्षित करने का प्रयास करें। यह एक बढ़िया पेरेंटिंग स्किल है, जो निश्चित रूप से विकसित होने लायक है!
13- अपने बच्चों को सुरक्षा का एहसास दिलाएं।
Lee Raby की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, जिन बच्चों में जीवन के आरंभ में ही सुरक्षा की भावना प्रबल होती है, वे स्कूल में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। इन बच्चों के वयस्क होने पर भी यह स्वस्थ संबंध बरक़रार रहता है।
यह एक प्रत्यक्ष खोज हो सकती है, लेकिन यह ध्यान रखना दिलचस्प होगा, कि शुरुआती अनुभवों का बच्चे के विकास पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।
अपने पालन-पोषण की ताकत को बढ़ाने और अपने बच्चों को सुरक्षा की भावना देने के लिए, निम्न कार्य करें:
- उनके प्रति स्नेह/प्रेम प्रदर्शित करें
- उनकी सराहना/प्रशंसा करें
- उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करें
- उनकी भावनाओं को समझें
- उनके अनुरूप सीमाएँ निर्धारित करें
- जब आप उनके साथ हों, तो उन पर अपना पूरा ध्यान दें
- आसानी से मिलने योग्य बनें
- उन्हें एहसास दिलाएं कि आप उन्हें बिना शर्त प्यार करते हैं
- अपने वादों को पूरा करने की कोशिश करें
- उनकी नजर में भरोसेमंद और विश्वसनीय बनें
14- अपने बच्चों में धैर्य और दृढ़ता विकसित करने में मदद करें।
मनोवैज्ञानिक Angela Duckworth बताती हैं, कि धैर्य – “दीर्घकालिक लक्ष्यों को पाने के लिए दृढ़ता और जुनून” के रूप में परिभाषित सबसे महत्वपूर्ण लक्षणों में से एक है, जो सफलता की ओर ले जाता है।
जब दीर्घकालिक सफलता की बात आती है, तो शोध यह बताती है, कि बौद्धिक स्तर (IQ-Intelligence Quotient) और प्रतिभा जैसे कारकों की तुलना में धैर्य अधिक महत्वपूर्ण होता है।
आप पेरेंटिंग स्किल्स में कैसे महारत हासिल कर सकते हैं, जो आपके बच्चों में धैर्य को विकसित करने में मदद करेगा?
उसके लिए यहाँ कुछ सुझाव दिए गये हैं:
- पूर्णता के बजाय प्रगति पर जोर दें
- काबू में आने वाली चुनौतियों का सामना करने हेतु उन्हें प्रोत्साहित करें
- परिणाम के बजाय प्रयास पर जोर दें
- उनके लिए रोल मॉडल बनें
- उन चुनौतियों का जिक्र करें जिनका आप सामना कर रहे हैं और उन पर काबू पाने के लिए क्या कर रहे हैं
- योगदान पर अधिक और उपलब्धि पर कम ध्यान दें
- उन्हें गलतियाँ करने दें
15- बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए उनके रोल मॉडल बनें
मानव जाति सभी प्राणियों में एक विशेष प्रजाति है, क्योंकि हम अनुकरण के द्वारा सीख सकते हैं। हम दूसरों के कार्यों की नकल करने, उन्हें समझने और उन्हें अपने में शामिल कर सकते हैं। खासतौर पर बच्चे अपने माता-पिता के हर काम को बहुत ध्यान से देखते हैं।
आप अपने बच्चे को फटकारने या चिल्लाने से पहले जरा इस पर विचार करें: कि आप चाहते हैं, कि आपका बच्चा भी गुस्से में ठीक वैसा ही व्यवहार करे? सावधान हो जाएं, क्योंकि आप हर पल अपने बच्चों के सानिध्य में हैं और वे आपसे लगातार सीख रहे हैं।
शोध अध्ययनों से पता चलता है, कि जो बच्चे आमतौर पर घर में मार फटकार खाकर बड़े होते हैं, वे आक्रामकता के एक रोल मॉडल की तरह होते हैं।
इसलिए, आप वैसा व्यक्ति बनें जैसा आप चाहते हैं, कि आपके बच्चे बनें। आप अपने बच्चों का सम्मान करें, उन्हें सकारात्मक व्यवहार और सहनशीलता दिखाएं, एक रोल मॉडल की तरह बच्चों के सामने अपने आप को प्रस्तुत करें, ताकि बच्चे आपका अनुकरण करें और वैसा ही बनने हेतु प्रेरित हों।
16- अपने तनाव को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करें।
Marilyn Essex द्वारा किए गए एक दिलचस्प अध्ययन से पता चलता है, कि माता-पिता का तनाव भविष्य में कई वर्षों तक उनके बच्चों के जीन को प्रभावित कर सकता है।
यह इस बात का संकेत है, कि माता-पिता के लिए अपने स्वयं के तनाव को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना कितना महत्वपूर्ण है।
तनाव आपको प्रभावित करता है, लेकिन यह आपके बच्चों को भी उतना ही प्रभावित करता है!
आपने यह तो सुना होगा, कि तनाव जीवन का एक तथ्य है, लेकिन कभी भी इसे जीवन का एक तरीका नहीं बनने देना चाहिए।
तनाव का प्रबंध करना अपने आप में एक बहुत बड़ा विषय है। इसलिए यदि आप बहुत अधिक तनाव में हैं, तो माता-पिता अपने तनाव को बेहतर तरीके से कैसे प्रबंधित कर सकते हैं, इस पर व्यावहारिक सुझावों के लिए मैं आपको इस लेख और इस लेख को देखने के लिए प्रोत्साहित करता हूं।
अपने पालन-पोषण के हुनर में सुधार करें और अपने बच्चों को फलते-फूलते देखें
आप एक अच्छा, प्रभावी और यहां तक कि विश्व स्तरीय माता-पिता बनने के लिए आवश्यक कौशल विकसित और आत्मसात करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
और इसे भी पढ़ें – तनाव के कारण, लक्षण और प्रबंधन के उपाय
17- बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए उनके साथ समय बिताएं
माता-पिता और बच्चों को एक साथ पारिवारिक भोजन पर मिलना अक्सर कठिन होता है, तो एक साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताना तो दूर की बात है। जिन बच्चों को अपने माता-पिता का समय नहीं मिल पाता है, जितना वे चाहते हैं, अक्सर ऐसे बच्चे गलत व्यवहार या गलत संगत में पड़ जाते हैं।
कई माता-पिता अपने बच्चों के साथ समय बिताने को फायदेमंद समझते हैं। सप्ताह में एक बार एक साथ रहने के लिए एक “विशेष दिन या रात” का चुनाव करें और उन्हें ही यह तय करने दें या मदद करें, कि इस समय को कैसे बिताना है।
ऐसा लगता है, कि छोटे बच्चों की तुलना में किशोरों को माता-पिता से पूरे ध्यान देने की आवश्यकता कम ही होती है। क्योंकि दोनों को एक साथ मिलने के अवसर कम मिलते हैं, लेकिन माता-पिता को उनके लिए सदैव उपलब्ध रहने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।
जब किशोर आपसे बात करने या किसी गतिविधियों में भाग लेने की इच्छा रखता है, तो आप अपने किशोर के साथ उस कार्यक्रम में भाग अवश्य लें। इससे आपको अपने बच्चे और उसके दोस्तों को जानने में मदद मिलती है।
हम समझते हैं, यदि आप एक कामकाजी माता-पिता हैं, तो खुद को दोषी महसूस न करें।
18- अपने बच्चों के साथ संवाद को प्राथमिकता बनाएं
हम में से अधिकांश इस बात को जानते हैं, कि बच्चों की अच्छी परवरिश में संवाद/बातचीत का कितना महत्व होता है। इसलिए आप अपने बच्चे से बात करें और उनकी बात भी ध्यानपूर्वक सुनें। संवाद का मार्ग खुला रखने से, आपके अपने बच्चों के साथ संबंध बेहतर होंगे और कोई समस्या होने पर आपका बच्चा आपके पास ही आएगा।
आप बच्चों से केवल इसलिए हर चीज की अपेक्षा नहीं कर सकते, क्योंकि एक माता-पिता ने, “ऐसा कहा है”। उन्हें भी स्पष्टीकरण चाहिये और वे इसके हकदार भी हैं। यदि हम उन्हें समझाने में समय नहीं देते हैं, तो बच्चों को हमारे मान्यताओं और उद्देश्यों के बारे में आश्चर्य होगा और सोचेंगे कि उनका कोई आधार क्या है।
जो माता-पिता अपने बच्चों से तर्क संगत बात करते हैं, वे उन्हें गैर-विवादास्पद तरीके से चीजों को समझने और सीखने का सही मार्ग दिखाते हैं।
आपको समाधान प्रदान करने की आवश्यकता नहीं है, बस अपनी अपेक्षाएं को स्पष्ट करें। यदि कोई समस्या है, तो उसे बताएं, अपनी भावनाओं को व्यक्त करें, और अपने बच्चे के साथ मिलकर समस्या के समाधान को खोजने पर काम करें। सरल शब्दों में स्पष्ट करने वाले प्रश्न पूछें, सुझाव दें और विकल्प बताएं।
अपने बच्चे के सुझावों को भी सुनें, बातचीत करें। जो बच्चे इस तरह के निर्णयों में सहभागी होते हैं, इससे वे अपने अनुभवों को समझने और उन्हें पूरा करने के लिए अधिक प्रेरित होते हैं।
Last but not Least…
मुझे पता है, कि आप इस लेख के अंत तक पहुँच चुके हैं। हालांकि, ऐसा केवल कुछ प्रतिबद्ध माता-पिता ही करेंगे।
जैसा कि, आप इस लेख में दी गई सूचीबद्ध युक्तियों का अनुपालन करते हैं, वैसे ही आप एक बेहतर अभिभावक बनने के मार्ग पर अग्रसर हो जायेंगे।
जो लोग बच्चों की अच्छी परवरिश के प्रति अधिक संवेदनशील हैं, उनके अच्छे पालन-पोषण के परिणाम बेहतर होंगे, लेकिन खराब पालन-पोषण के परिणाम निराशाजनक होंगे।
समय के साथ, आप देखेंगे कि आपके बच्चे अधिक जिम्मेदार, समझदार, आत्मनिर्भर और आत्म-प्रेरित बन रहे हैं। अब आपको उन्हें लेकर परेशान होने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
बेशक, यह एक ऐसी यात्रा है, जिसमें समय और मेहनत दोनों लगेगी, हालांकि पालन-पोषण करना थोड़ा कठिन है, लेकिन यह बहुत फायदेमंद भी है, पर हाँ! इस कड़ी मेहनत का फल बहुत बाद में मिलता है।
याद रखें, अगर आप अभी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें, तो अच्छा पुरस्कार अवश्य मिलेगा और कोई पछतावा भी नहीं रहेगा।
दोस्तों, यह Post आपको कैसा लगी नीचे Comment Box में जरूर बताएं। आपके Comment से ही मुझे और अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलेगी, और मैं अधिक सटीकता के साथ किसी भी विषय पर जानकारी आप लोगों से Share कर पाउँगा। आप सभी से अनुरोध है कि, इस Post पसंद आने पर Like और Share अपने Social Media पर दोस्तों के साथ अवश्य करें, ताकि और लोग भी इस जानकारी का फायदा उठा सकें, जल्द वापस आऊंगा एक New Post के साथ।
Disclaimer
इस लेख के माध्यम से दी गई जानकारी, बीमारियों और स्वास्थ्य के बारे में लोगों को सचेत करने हेतु हैं। किसी भी सलाह, सुझावों को निजी स्वास्थ्य के लिए उपयोग में लाने से पहले हमेशा अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
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https://www.scientificamerican.com/article/is-divorce-bad-for-children/
https://www.themarginalian.org/index.php/2014/01/29/carol-dweck-mindset/
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https://s3-ap-southeast-1.amazonaws.com/daniel-wong/diana+baumrind.pdf
https://qz.com/527652/parents-let-your-kids-fail-youll-be-doing-them-a-favor
https://srcd.onlinelibrary.wiley.com/doi/abs/10.1111/cdev.12325
https://srcd.onlinelibrary.wiley.com/doi/abs/10.1111/j.1467-8624.2011.01641.x
Very nice
Thank you Meena