सिरदर्द के प्रकार, लक्षण, कारण और निवारण

दोस्तों मेरा यह लेख सिरदर्द के प्रकार, लक्षण, कारण और निवारण के बारे में है, मैं इन सबके बारे में यहाँ विस्तारपूर्वक बताने जा रहा हूँ। आपको भी सही जानकारी का लाभ मिले इसके लिए इस लेख को पूरा अवश्य पढ़ें।

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सिरदर्द केवल एक लक्षण है, कोई रोग नहीं। सिरदर्द सिर के किसी भी हिस्से में एक या दोनों तरफ हो सकता है। यह सिर में किसी भी एक हिस्से से शुरू होकर पूरे सिर में फैल सकता है या फिर किसी एक निश्चित जगह पर ही होता है। यह किसी भी व्यक्ति को हो सकता है वो भी बिना किसी कारण के।

सिरदर्द क्या है?

सिर में जब भी किसी कारणवश दर्द होने लगे और दर्द हल्के हल्के शुरु होकर और धीरे-धीरे बढ़ते हुए जब असहनीय अवस्था तक पहुँच जाये तो ऐसे दर्द को ही सिरदर्द कहते हैं। जो धीरे-धीरे या अचानक शुरू होकर घंटों तक या कई दिनों तक आपको परेशान कर सकता है।

लेकिन क्या आप कभी इस बारे में सोचते हैं कि बार-बार होने वाले सिरदर्द के पीछे क्या कारण हो सकता है? क्या हम सिरदर्द से छुटकारा पा सकते हैं? इसके लिए हमारी ख़राब जीवनशैली और खान-पान तो जिम्मेदार हैं ही, लेकिन इसके आलावा भी बहुत से कारण हैं सिरदर्द उत्पन्न होने के लिए।

सिरदर्द की दो अवस्था होती है पहली अवस्था जिसे हम प्राथमिक (Primary) सिरदर्द और दूसरी अवस्था जिसे हम माध्यमिक (Secondary) सिरदर्द कहते हैं । प्राथमिक सिरदर्द में टेंशन, क्लस्टर (cluster), और माइग्रेन इत्यादि हैं। माध्यमिक सिरदर्द में सदमा (rebound) और वज्रपात (thunderclap), स्ट्रेस, कैफीन इत्यादि हैं।

तनाव (टेंशन) ही सिरदर्द पैदा होने का सबसे आम प्रकार है। तनाव सम्बन्धित सिरदर्द आपके कंधों, गर्दन, खोपड़ी और जबड़े की मांसपेशियों के जकड़ने के कारण होते हैं।

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वैसे तो सभी सिरदर्दों के लिए डॉक्टर के पास जाने की कोई आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन कभी-कभी सिरदर्द किसी गंभीर बीमारी का संकेत अवश्य देता है। अगर आपको भी अचानक ही गंभीर सिरदर्द होता है तो अपने चिकित्सक से जरूर मिलें और बताएं।

सिरदर्द क्यों होता है?

सिरदर्द होने के पीछे एक नहीं बहुत सारे कारण होते हैं। सिर में उपस्थित दर्द-संवेदी संरचनाओं में दबाव, ऐंठन, तनाव, सूजन, जलन या चोट लगने के कारण सिरदर्द होता है। दर्द-संवेदी संरचनाओं में शामिल हैं खोपड़ी, माथा, सिर का ऊपरी भाग, गर्दन, सिर की मांसपेशी, सिर की धमनी, नसें, साइनस और मस्तिष्क के ऊतक इत्यादि।

इसके होने के कारण को समझने के लिए इसको दो भागों में विभाजित करते हैं, पहला है आम कारण और दूसरा किसी बीमारी के कारण।

सिरदर्द होने के आम कारण

इस तरह के सिरदर्द होने के लिए हमारी ख़राब आदतें, खान-पान में अनियमितता और रहन सहन ही प्रमुख कारण होते हैं-

1- आहार के कारण

ज्यादा देर तक भूखे रहना मतलब नाश्ता या लंच ना कर पाना या बहुत ज्यादा जंक फ़ूड खा लेने से पेट में जलन और गैस बनने लगती है। अधिक समय तक खाली पेट रहने से गैस बनती है और यही गैस हमारे सिरदर्द का कारण बनती है। हमें पेट में एसिड बनाने वाले खाने से परहेज करना चाहिए, खाना खाने के बाद तुरन्त लेटने से भी गैस्टिक समस्या होती है। इस तरह के सिरदर्द से बचने के लिए खान पान पर ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है।

2- खुशबू (Perfume) के कारण

हमें किसी खास महक या खुशबु से एलर्जी हो सकती है, ऐसी खुशबू या महक से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए। सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए खुशबू पर भी ध्यान रखना जरूरी होता है।

3- कैफीन का ओवरडोज

बहुत से खाद्य पदार्थों में कैफीन पाई जाती है इनके अत्यधिक सेवन करने से शरीर में कैफीन की मात्रा बढ़ जाती है जो सिर दर्द का कारण बनती है, जैसे-कोलड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक, कॉफी, लिकर आदि। इसके अलावा जिनमें मोनोसोडियम ग्लूटामेट मिला हो, जैसे प्रोसेस्ड मीट, डिब्बाबंद फूड, सूप, चाइनीज़ फ़ूड आदि को खाने से सिर दर्द बढ़ जाता है। सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए आपको कैफीनयुक्त पदार्थों से दूरी बनाये रखने में ही समझदारी है।

4- ज्यादा ठण्डे पदार्थों को खाना या पीना

ज्यादा ठंडी चीजों को खाने से भी सिरदर्द हो सकता है। ज्यादा ठण्डे पदार्थ के खाने से शरीर में रक्त के प्रवाह में रूकावट आने से, सिर की नसें सिकुड़ जाती हैं जो दर्द की वजह बनतीं हैं। इस प्रकार के सिरदर्द से निजात पानी है तो ज्यादा ठंडा खाना खाना से परहेज करें।

5- पानी कम मात्रा में पीना

शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाने से शरीर के अन्दर से विषाक्त तत्व बाहर नहीं निकल पाते हैं जिसके कारण सिरदर्द होता है। सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए उचित मात्रा में पानी पीना चाहिए।

6- गर्भनिरोधक गोली खाने से

गर्भनिरोधक गोली लेने से शरीर के हारर्मोन्स में बदलाव आने के कारण सिरदर्द होता है। सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए इन गोलियों के साइड इफेक्ट पर ध्यान देनी चाहिए।

बीमारियों की वजह से होने वाले सिरदर्द :

इस प्रकार के सिरदर्द को नजर अंदाज करते हैं तो शायद भविष्य में इससे कोई बड़ी बीमारी पनप सकती है। इसलिए बेहतर होगा आप इन संकेतो को अच्छी तरह से जान लें। आज हम इस लेख के माध्यम से उन्हीं दर्द के संकेतों के बारे में जानेंगे, जिनकी वजह से सिरदर्द हो सकता है।

  • स्ट्रोक- अचानक से सिर में दर्द होने लगे और शरीर का एक हिस्सा पूरी तरह से काम करना बंद कर दे तो यह स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।
  • ब्रेन ट्यूमर- लगातार सिर में दर्द होने लगे वो भी बिना किसी वजह के और ठीक होने का नाम न ले तो यह ब्रेन ट्यूमर का संकेत हो सकता है। आपको फ़ौरन डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिये।
  • ब्रेन इंजरी- इस प्रकार का सिरदर्द ब्रेन में किसी तरह की चोट या इंजरी होने का संकेत हो सकता है।
  • फीवर- बुखार होने पर सिर में भी दर्द होने लगता है। लेकिन यह बुखार की दवा खाने से आसानी से ठीक हो जाता है।
  • दांत या कान का इंफेक्शन- कान या दांत में इंफेक्शन होने की वजह से भी सिर दर्द हो सकता है।
  • स्ट्रेस- तनाव में रहने से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है। जिसका असर दिमाग पर पड़ता है परिणामस्वरूप सिर में दर्द होने लगता है।
  • हाई बीपी- हाई बीपी होने पर छाती और सिर में दर्द शुरू हो जाता है। इस तरह के दर्द में आपको अपना बीपी जरूर चैक करवाना चाहिए।
  • आँखों की समस्या- आंखों की रोशनी कम हो जाने की वजह से, हमें चीजों को देखने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। जिसके कारण सिरदर्द होने लगता है। ऐसी परेशानी आपको भी है तो आंखों का चेकअप जरूर करवाएं।

सिरदर्द होने के मुख्य दोष (Main Causes of Headache)

आयुर्वेद के अनुसार शरीर में तीन दोष होते हैं वात, पित्त और कफ। इनके मिश्रित असंतुलन या प्रधानता या किसी एक की प्रबलता सिरदर्द का कारण बनती है। तीनों ही दोषों के कारणों से सिर में पीड़ा होती है।

नीचे तीनों दोषों के कारण होने वाले सिरदर्द के लक्षण बताये गए हैं –

वात के कारण

अकारण ही सिर में दर्द शुरू हो जाता है।

अकसर रात के समय में सिरदर्द शुरू होता है।

सिर को कसकर बांधने से राहत मिलती है।

पित्त के कारण

सिर और आँखों में जलन और दर्द होती है।

ठंडे पानी से नहाने पर राहत मिलती है।

कफ के कारण

गले में कफ भरा हुआ महसूस होता है।

आँख और चेहरा सूजा हुआ होता है।

सिरदर्द के प्रकार (Types of Headache)

सिरदर्द को परिभाषित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय हेडेक सोसाइटी (International Headache Society – IHS) ने सिरदर्द को दो भागों में विभाजित किया है। पहला प्राथमिक (Primary) सिरदर्द, जो बिनाकारण ही उत्पन्न होते हैं, दूसरा माध्यमिक (Secondary) सिरदर्द, जिसके कारण बहुत होते हैं।

1- प्राथमिक सिरदर्द के प्रकार (Primary Headaches)

1- तनाव से जुड़े सिरदर्द

2- माइग्रेन

3- क्लस्टर सिरदर्द

2- माध्यमिक सिरदर्द के प्रकार (Secondary headaches)

1- प्रतिघात

2- वज्रपात/थंडरक्लैप

3- साइनस सिरदर्द

4- कैफीन सिरदर्द

1- प्राथमिक सिरदर्द (Primary headaches)

यह अपने आप ही शुरू होता है, जिसका कारण सिर के अंदर दर्द-संवेदी भाग में किसी समस्या का उत्पन्न होना है या सिर के अंदर होने वाले रासायनिक परिवर्तनों का परिणाम। इनमें माँसपेशियाँ, सिर, गर्दन और खून की नसें शामिल हैं।

प्राथमिक सिरदर्द में शामिल हैं-

1- तनाव से जुड़े सिरदर्द (Tension headaches)

यह प्राथमिक सिरदर्द का सबसे आम और नियमित प्रकार है। ऐसे सिरदर्द दिन के मध्य में धीरे-धीरे शुरू होते हैं, और समय के साथ बढ़ता जाते हैं। तब हमें ऐसा लगता है कि जैसे सिर को किसी ने दबाकर जकड़ रखा है।

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यह लगातार बना भी रह सकता है और आपके सिर के दोनों तरफ के हिस्सों को प्रभावित करता रहता है। यहां तक कि आपकी गर्दन की मांसपेशियों में भी दर्द हो सकता है। दर्द आपके पूरे सिर में या सिर्फ एक तरफ या सिर के पीछे वाला भाग में महसूस होता है।

तनाव सम्बन्धित सिरदर्द कुछ समय के लिए हो सकते हैं लेकिन कभी कभी यह घंटों तक बने रह सकते हैं। इस प्रकार के सिरदर्द गंभीर नहीं होते हैं और अधिकांशतः आप जो कुछ भी कर रहे होते हैं वह इस सिरदर्द के बने रहने पर भी करते रहते हैं।

तनाव सिरदर्द का अनुभव हममें से हर किसी ने अपने जीवन में कभी ना कभी जरूर किया होता है।

तनाव सिरदर्द के कारण

जब आप तनाव में होते हैं तो ऐसा महसूस होता है जैसे दर्द आपके सिर के अंदर से आ रहा है। जबकि, दर्द का असल स्रोत मांसपेशियों के तनाव को माना जाता है। चेहरे, गर्दन और सिर के चारों ओर की सभी मांसपेशियां इसमें शामिल होती हैं। महिलाओं में प्रोस्टाग्लैंडिन (Prostaglandin) के रिलीज होने पर पीरियड्स के दौरान चक्कर और सिरदर्द की समस्या हो सकती है।

तनाव सिरदर्द के लक्षण
  • सिर के दोनों तरफ किन्तु थोड़ा पीड़ाकारी दर्द
  • आंखो के पीछे दबाव महसूस होना
  • सिर के पीछे का हिस्सा जकड़ जाना
  • गर्दन और कंधे की संवेदनशील मांसपेशियों में दर्द
  • थकान और चिड़चिड़ापन होना
तनाव सिरदर्द का इलाज

ऐसे सिरदर्द को कम करने का सबसे सर्वोत्तम तरीका है कि जल्द से जल्द कोई दर्द-निवारक लेकर किसी शान्त स्थान पर जाकर आराम करना। योग जैसा हल्का व्यायाम भी तनाव सिरदर्द से छुटकारा दिला सकता है।

अगर आपको बार-बार तनाव सिरदर्द हो रहे हैं तो एक डायरी सदा पास रखें। उसमें सिरदर्दों के कारणों लिखें और उसके अनुसार अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर सिरदर्द से मुक्ति पायें।

डॉक्टर से परामर्श कब करें

अत्यधिक दवाइयों का सेवन सिरदर्दों को पुन: उभार सकता है, और आपकी तकलीफ बढ़ भी सकती है। इसलिए हर बार दर्द-निवारक दवाइयों को लेने का प्रयास ना करें और यदि फिर भी सिरदर्दों में कुछ कमी ना हो रही है तो अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

2- माइग्रेन

इसे सामान्य भाषा में अर्धकपारी या अर्धाशिश भी कहते हैं, माइग्रेन में होने वाला सिरदर्द बहुत तीव्र और तकलीफ दायक दर्द होता है। आमतौर पर सिरदर्द एक हिस्से को प्रभावित करता है। माइग्रेन 2 घंटे से लेकर ३ दिनों तक बना रहता है।

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माइग्रेन के कार्य प्रणाली की सटीक जानकारी नहीं है। हालांकि इसको न्यूरोवेस्कुलर विकार माना जाता है। माइग्रेन का कारण शरीर में कुछ न्यूरोट्रांसमीटर का बढ़ जाना भी हो सकता है। माइग्रेन के समय दिमाग में रक्त संचार काफी बढ़ जाता है और व्यक्ति को तेज सिरदर्द की अनुभूति होने लगती है।

माइग्रेन का कारण

माइग्रेन होने का वैज्ञानिक कारण सिर की ब्लड वेसल्स यानी खून की नलियों का फैल जाना और उसके बाद उसमें कुछ खास तरह के केमिकल्स का स्राव होना है। ये केमिकल्स नर्व फाइबर्स पर दबाव पड़ने की वजह से निकलते हैं। जिसके कारण इस स्थिति में सिर में बहुत तेज दर्द होता है।

माइग्रेन के लक्षण
  • सिर के एक ओर टीस मारने वाला दर्द
  • सामान्य से अत्यधिक दर्द
  • फोटोफोबिया प्रकाश के प्रति संवदेनशीलता
  • फोनोफोबिया ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता
  • हाथ और पैर ठण्डे/सुन्न पड़ जाना।
  • चक्कर आना
  • जी मिचलाना और/अथवा उल्टी आना
माइग्रेन का इलाज

माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति को शान्त और अंधेरे कमरे में लक्षण दूर होने तक लेटे रहना चाहिये। यदि आप सो सकते हैं तो सो जायें और सिरदर्द बढ़ाने के जो भी कारण हों उनके संपर्क में आने से बचने की कोशिश करें।

कुछ मामलों में गरम या बर्फ के पैक रखने से माइग्रेन के लक्षण कम हो सकते हैं, और डॉक्टर की सलाह पर दर्द-निवारक गोलियां लें जो आपका दर्द कम कर सकती हैं।हालांकि, इसे माइग्रेन का लक्षण महसूस करते ही ले लें, तभी यह आप का दर्द ठीक करने मैं अधिक प्रभावशाली हो सकती है।

डॉक्टर से परामर्श कब करें

अगर आपको एक महीने में पाँच या उससे अधिक बार माइग्रेन की समस्या होती है तो आपको अपने डॉक्टर से अवश्य मिलना चाहिये।

यदि माइग्रेन आपकी जीवनशैली को प्रभावित कर रहा है तो भी आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिये। माइग्रेन को झेलते रहना कष्टदायी हो सकता है और डॉक्टर आपके हालात एवं उनके लक्षणों को ठीक करने के लिए इलाज कर सकते हैं।

3- क्लस्टर सिरदर्द

यह बहुत ही दुर्लभ सिरदर्द है, इस सिरदर्द से 1000 में से केवल 1-2 लोग ही ग्रस्त होते हैं। माइग्रेन की अपेक्षा क्लस्टर सिरदर्द अधिक तीव्र और दर्दनाक होता है। इसकी तीव्रता को एक आंख के चारों तरफ या कान के आसपास के भाग में महसूस किया जाता है। बहुत से लोगों के लिए, यह हर बार एक ही भाग में होता हो। लेकिन दूसरों के लिए यह अलग-अलग भी हो सकता है, कभी बाएं, कभी दाएं लेकिन हमेशा एक तरफ।

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यह अचानक आता है और मात्र 5 से 10 मिनट के अंदर ही अपने चरम पर पहुँच जाता है और उस स्तर पर यह 30 से 60 मिनट तक परेशान करता है। क्लस्टर सिरदर्द अधिकतम तीन-चार घंटे तक बना रह सकता है, उससे ऊपर नहीं। अचानक से शुरू हुआ दर्द अचानक से बंद भी हो जाता है और इससे पीड़ितों को बहुत सुकून मिलता है।

क्लस्टर सिरदर्द का अनुभव समूह या “समूहों” में होता है जो आम तौर पर 15 मिनट से 3 घंटे तक बने रहते हैं। यह एक से लेकर आठ बार प्रतिदिन, कुछ सप्ताह या महीनों के लिए भी हो सकता है। क्लस्टर सिरदर्द अधिकतर रात में शुरू होता है, एक या दो घंटे के लिए।

क्लस्टर सिरदर्द का कारण

इसके होने का कोई सटीक कारण तो पता नहीं है। हालांकि, यह मस्तिष्क के एक विभाग जिसे हाइपोथैलेमस कहते हैं उससे जुड़ा हुआ है। इस विभाग का सबसे महत्वपूर्ण कार्य पीयूष ग्रन्थि के माध्यम से शारीरिक तन्त्रिका तन्त्र को अंतःस्रावी तंत्र के साथ जोड़ना है। क्लस्टर सिरदर्द आनुवांशिक भी है, क्योंकि इससे से पीड़ित 20 में से 1 परिवार का ही सदस्य होता है जो इससे ग्रस्त होता है।

अल्कोहल क्लस्टर सिरदर्द की पीड़ा को उभारने का काम करता है, इसलिए विशेष रूप से क्लस्टर सिरदर्द के दौरान अल्कोहल का उपभोग नहीं करना चाहिये। और भी बहुत सी चीजें हैं जो क्लस्टर सिरदर्द को उभरने का कारण बनती हैं जैसे पेट्रोल, पेंट, धुएं आदि की गंध और धूम्रपान। क्लस्टर सिरदर्द से पीड़ित व्यक्ति को गंध, धुआँ, धूम्रपान से बचने की सलाह दी जाती है।

क्लस्टर सिरदर्द के लक्षण
  • पीड़ा और जलन के साथ एक आँख अथवा कनपटी पर ठनकने वाला दर्द
  • कुछ मिनट से लेकर घंटों तक चलने वाला कष्टदायी दर्द
  • जिस आँख में दर्द है उसी आँख से पानी निकलना।
  • आँखों में लालिमा अथवा पलकों में सूज़न
  • नाक का बन्द होना या बहना
  • आंख की पुतली में सिकुड़न या जकड़न
  • पसीना आना
  • गर्दन से लेकर सिर तक एकतरफा दर्द होना।
क्लस्टर सिरदर्द का इलाज

जैसा कि ऊपर उल्लेख किये गये लक्षणों की बारंबारता अथवा उग्रता में बदलाव दिखाई ना दे या नये लक्षणों का अनुभव करें तो आपको तुरन्त डॉक्टर से चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिये।

क्लस्टर सिरदर्द जानलेवा नही हैं, हालाँकि क्लस्टर सिरदर्द को इलाज के द्वारा जड़ से ख़त्म नहीं किया जा सकता है। इलाज के जरिए केवल इसके लक्षणों से राहत मिलती है। डॉक्टर भी क्लस्टर सिरदर्द का उपचार पीड़ित के लक्षणों के आधार पर ही करते हैं।

2- माध्यमिक सिरदर्द (Secondary headaches)

माध्यमिक सिरदर्द के लक्षण तब हमें दिखाई देते हैं, जब कोई अन्य कारक सिर की संवेदनशील नसों को उत्तेजित करता है। माध्यमिक सिरदर्द विभिन्न कारकों की वजह से पैदा होते हैं।

इनमें शामिल हैं शराब या कैफीन का Overdose, बुखार, मासिक धर्म में हॉर्मोनल उतार-चढ़ाव, ब्रेन ट्यूमर, मस्तिष्क में Blood Clots, विशेष प्रकार की गंध, मस्तिष्काघात, काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा), घबराहट, तनाव, निर्जलीकरण (dehydration), पीठ और गर्दन की मांसपेशियों में तनाव, Pain Killers की Overdose जिसे रिबाउंड सिरदर्द इत्यादि।

1- प्रतिघात (Rebound headaches)

दर्द निवारक दवाओं के अति प्रयोग की वजह रिबाउंड सिरदर्द होता है। इससे गर्दन में दर्द, बेचैनी, नाक का बंद होना और नींद में कमी आ सकती है। यह पूरे दिन बना रहता है, दवा लेने पर आराम तो मिलता है लेकिन जैसे ही दवा का असर ख़त्म होता है दर्द फिर शुरू हो जाता है।

यदि आप दर्द निवारक दवा अक्सर लेते रहते हैं, तो इस प्रकार के सिरदर्द के लिए आप अतिसंवेदनशील हो सकते हैं। इन दवाओं के अधिक उपयोग से सिरदर्द कम होने की बजाय अधिक होता है।

जैसे कि एसिटामिनोफेन, इबुप्रोफेन, एस्पिरिन और नेप्रोक्सन को एक महीने मे 15 से अधिक दिनों के लिए उपयोग किया जाता है। यह सिरदर्द ऐसी दवाओं के कारण भी होता है जिनमें कैफीन की मात्रा होती है।

रिबाउंड सिरदर्द का एकमात्र ईलाज यह है कि आप उस दवा से दूरी बना लें जिसे दर्द निवारक के रूप में ले रहे हैं। इससे आपका दर्द कुछ दिनों के अंदर पूरी तरह से कम हो जायेगा।

2- थंडरक्लैप सिरदर्द (Thunderclap headaches)

यह अचानक से होने वाला गंभीर सिरदर्द हैं, जिसे लोग अपने जीवन का सबसे खराब सिरदर्द कहते हैं। यह शुरू होते ही मिनटों में अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाता है और 5 मिनट तक बना रहता है। अचानक नए सिरदर्द को गंभीरता से लें, क्योंकि यह किसी गंभीर समस्या का सूचक भी हो सकता है।

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माइग्रेन के विपरीत, थंडरक्लैप सिरदर्द अचानक से शुरू होता है। दर्द इतना तीव्र होता है की, आपका सारा ध्यान उसी की तरफ चला जाता है। इसे आप सिर, गर्दन या पीठ पर कहीं भी दर्द महसूस कर सकते हैं।

थंडरक्लैप सिरदर्द मस्तिष्क और मस्तिष्क के आसपास रक्तस्राव से जुड़ा होता है। कुछ परिस्थितियों में यह अचानक और बहुत गंभीर सिरदर्द पैदा कर सकता है, जैसे: मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं का फटना, मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में रूकावट, मस्तिष्क में रक्त के थक्के बनना, मस्तिष्क संक्रमण, जैसे कि मेनिन्जाइटिस या एन्सेफलाइटिस

डॉक्टर थंडरक्लैप सिरदर्द का ईलाज आपके द्वारा महसूस किए गए लक्षणों के आधार पर करते हैं। और यह जानने के लिए निम्न परिक्षण करते हैं, जैसे: मस्तिष्क की स्थिति देखने के लिए सिर का सीटी स्कैन, मस्तिष्क का एमआरआई, Magnetic Resonance Angiography (MRA) मस्तिष्क में रक्त प्रवाह की स्कैनिंग।

फिर सटीक कारण जानने के बाद डॉक्टर अपने उपचार के विकल्प को निर्धारित करते हैं। उपचार का विकल्प प्रत्येक व्यक्ति के कारणों के आधार पर भिन्न हो सकता है।

3- साइनस सिरदर्द

साइनस में सूजन किसी संक्रमण अथवा ऐलर्जी से हो जाने के कारण साइनस सिरदर्द होते हैं।अक्सर लोग इसे माइग्रेन की तरह समझ लेते हैं, क्योंकि यह सिरदर्द भी अत्यंत कष्टदायी होता है।

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यदि आप भी साइनस सिरदर्द से ग्रसित है और निम्न लक्षण आपको महसूस हो रहे हैं, जैसे: माथे और गालों पर टीसने वाला दर्द, चेहरे को छूने से दर्द या सूजन महसूस होना, नाक बन्द अथवा बहते रहना, नाक से पीला बहाव और कान में दर्द।

अगर सिरदर्द एक सप्ताह बाद भी बना रहे और दर्द निवारक दवा भी बेअसर हो तो आपको तुरंत डॉक्टर से ईलाज के लिए परामर्श लेना चाहिए।

डॉक्टर आपको नाक खोलने वाले (नेजल स्प्रे) जैसी दवाई लेने का परामर्श दे सकते हैं। वैसे आप घर पर भी साइनस सिरदर्द को कम करने का प्रयास कर सकते हैं। इसका सबसे असरदार तरीका है गर्म पानी की भाप लेना; पानी में नमक मिलाकर उससे नाक को धोयें, अथवा अपने चेहरे पर ठंडा कपड़ा रखें।

4- कैफीन सिरदर्द

यह सिरदर्द कैफीन युक्त दवा या पेय पदार्थ के लंबे समय तक उपयोग के बाद बंद कर देने के कारण कैफीन सिरदर्द होता है।

5- सर्वाइकोजेनिक (Cervicogenic) सिरदर्द

यह सिरदर्द सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस (Cervical Spondylosis)से जुड़ा होता है जिसका लक्षण है गर्दन में दर्द और अकड़न। सिरदर्द भी हो सकता है, जो सिर के पीछे और गर्दन के ठीक ऊपर से शुरू होकर सिर पर माथे तक जाता है। दर्द आमतौर पर आता जाता रहता है, कभी कभी बहुत तेज़ हो जाता है लेकिन उसके बाद एकदम से शांत पड़ जाता है।

6- स्ट्रेस आधारित सिरदर्द

यह तनाव से जुड़े सिरदर्द का एक प्रकार है। यह दर्द किसी तनाव का परिणाम होता है, और यह तनाव किसी भी कारण से उत्पन्न हो सकता है।

7- रीढ़ सम्बन्धित सिरदर्द (Cortical Vertebral Spondylitis)

शरीर में रीढ़ की हड्डी में गर्दन और पीठ के क्षेत्र में दर्द सबसे आम लक्षण है। रीढ़ की हड्डी में सूजन, जलन, दर्द और लालपन कशेरुकासन्धि शोथ कहते है। स्पाइनल कैनाल में दो कशेरुका के बीच की डिस्क के सूज जाने को स्पोन्डीलाइटिस कहते हैं।

इसके कारण मेरुदण्ड की तंत्रिकाओं की जड़ों पर दबाव भी पड़ सकता है। जिससे गर्दन अकड़ जाती है या रोगी दर्द से बचने के लिए थोड़ा-सा टेढ़ा होकर चलता है। तंत्रिका सम्बन्धित लक्षणों में जैसे सुन्नपन (सुन्नता तंत्रिकाओं की जड़ों पर दबाव का बनना), लकवा और चुभन हैं।

इसका उपचार हड्डी रोग विशेषज्ञ द्वारा ही किया जाना चाहिए। कभी-कभी ऑपरेशन की भी ज़रूरत पड़ सकती है। तीव्र दर्द में शोथरोधी दवाओं के खाने और आराम करने से फायदा होता है। कई रोगीयों में उपचार के बाद फिर से यह परेशानी शुरू हो सकती है।

8- इग्ज़र्शन सिरदर्द (Exertion Headache)

इस तरह के सिरदर्द बहुत अधिक शारीरिक श्रम के कारण होते है। यह तनावरुपी सिरदर्द और निर्जलीकरण (Dehydration) दोनों का मिलाजुला रूप हो सकता है।

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9- एलर्जी सिरदर्द

साइनस सिरदर्द की तरह, वातावरण में एलर्जी पैदा करने वाले तत्व नाक और साइनस ऊतकों में जलन पैदा कर देते हैं, जिसके कारण सिरदर्द हो सकता है।

सिरदर्द किसी गंभीर समस्या का कारण बन सकते हैं। अगर आपको नियमित और लगातार गंभीर सिरदर्द होता है तो डॉक्टर की सलाह लेना महत्वपूर्ण हो जाता है।

सिरदर्द का निवारण – Prevention of Headache

सिरदर्द को कैसे रोकें?

सिरदर्द कष्टकारी होते हैं जिनकी वजह से शारीरिक कमज़ोरी हो सकती है। इसलिए ऐसे किसी भी कारक की पहचान करने का प्रयास करें, जो आपके सिरदर्द को सक्रिय करने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।

  • दवाएं – किसी भी दर्द निवारक दवा को लम्बे समय से लेते रहने के बाद अचानक से बंद कर देने से सिरदर्द हो सकता है। इसे रिबाउंड या विथड्रावल (withdrawal) सिरदर्द कहा जाता है। यदि आप दर्द से छुटकारा पाने वाली अधिक दवाएं लेते हैं, तो रीबाउंड-सिरदर्द का चक्र जारी रहता है।
  • शराब – बहुत ज़्यादा शराब का सेवन सिरदर्द का कारण बन सकता है।
  • खाने-पीने की चीजों पर ध्यान दें – यदि आपको कुछ खाने या पीने से सिरदर्द होता है, तो जो कुछ भी आप खाते या पीते हैं उनकी सूची बनायें। इससे आपको सिरदर्द पैदा करने वाली वस्तु की पहचान कर उससे दूरी बनायें।
  • खाने में कोताही न बरतें – भोजन (नाश्ता, दोपहर का खाना , रात का खाना) रोज़ और नियमित समय पर खाएं।
  • कैफीन का कम सेवन – कैफीन युक्त भोजन या पेय को बहुत ज्यादा मात्रा में लेने से माइग्रेन की समस्या हो सकती है। कैफीन को अचानक से खाना या पीना बंद ना करके, बल्कि धीरे धीरे कम करना चाहिए।
  • पर्याप्त नींद लें – यदि आप नियमित रूप से हर रोज़ पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं चाहे थके ही क्यों ना हों, इससे माइग्रेन होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
  • तनाव को कम करें – तनाव कम करने के कई तरीके हैं। इसके लिए आप व्यायाम, चिंतन, प्रार्थना, अपने प्रियजनों के साथ रहें और ऐसा कुछ करें जिनसे आपको ख़ुशी मिले। परेशान करने वाली परिस्थिति को बदलने के लिए योजना बनायें।
  • ऊर्जा बनाए रखें – नियमित रूप से खायें और शरीर में पानी की कमी ना होने दें।

सिरदर्द का परीक्षण – Diagnosis of Headache

सिरदर्द का निदान

हल्के सिरदर्द जिसका कोई गंभीर लक्षण महसूस ना हो उसके परीक्षण की कोई आवश्यकता नहीं होती है। गंभीर लक्षण हों तभी रक्त परीक्षण करवाएं, अन्यथा इसका कोई फायदा नहीं। चोट न लगने की स्थिति में एक्स-रे या सीटी स्कैन भी आवश्यक नहीं । गंभीर चोट सिर में लगने पर ही एक्स-रे या स्कैन आवश्यकता होती है, मामूली चोट में नहीं। खोपड़ी या गर्दन की मांसपेशियों में होने वाले दर्द के आलावा सिरदर्द में किया जाने वाला परीक्षण सामान्य ही होता है।

गंभीर सिरदर्द में, आपका डॉक्टर आपके लक्षणों और चिकित्सा इतिहास के आधार पर आपकी शारीरिक जाँच करेगा। यह जानकारी आपके सिरदर्द के प्रकार और कारण को पता करने में मदद करेगी।

अगर नीचे बताये गए लक्षण आपको सिरदर्द के साथ दिखाई देते हैं तो अपने डॉक्टर को अवश्य मिलें और बतायें

वे गंभीर और बार बार होते हैं।

वे रात भर सोने नहीं देते हैं।

वे अपने स्वरुप में या आवृत्ति में बदलाव करते हैं।

वे नए हैं या नए लक्षण महसूस होते हैं।

एक चिकित्सक किसी विशेष प्रकार के सिरदर्द का उपचार आपकी स्थिति के वर्णन, दर्द के प्रकार और दर्द के समय व स्वरुप के आधार पर कर सकता है। यदि सिरदर्द की प्रकृति जटिल और अधिक गंभीर है, तब उनके कारणों का पता करने के लिए कुछ परीक्षण किए जा सकते हैं। जैसे कि;

  • रक्त परीक्षण (blood tests)
  • एक्स-रे
  • मस्तिष्क का सीटी स्कैन (CT scan) और एमआरआई (MRI)

सिरदर्द का इलाज – Headache Treatment

सिरदर्द का उपचार

सिरदर्द के उपचार में आवश्यक है दर्द निवारक दवाएं और भरपूर आराम। सामान्य दर्द निवारक दवाएं किसी भी मेडिकल स्टोर से आप आसानी से खरीद सकते हैं।

गंभीर सिरदर्द में डॉक्टर की हिदायत का पालन करना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि दर्द निवारक दवाओं के अत्यधिक उपयोग से सिरदर्द फिर से पैदा हो सकता है। (रिबाउंड सिरदर्द के उपचार में दर्द निवारक दवाओं की खुराक को डॉक्टर की सलाह पर ही कम या बंद करें।)

सिरदर्द के लिए दवाएं

असली समस्या का सही उपचार मिलने पर बार-बार होने वाले सिरदर्द को ख़त्म कर देता है। जब कोई अन्य समस्या दिखाई नहीं देती, तब चिकित्सक अपना इलाज दर्द को रोकने पर केंद्रित कर देता है। और आपको कुछ दर्द निवारक दवाएं सुझाता है जिसे उसके निर्देशन में आपको लेनी होती हैं।

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Disclaimer

इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। हमारी कोशिश है कि हर लेख संपूर्ण और सटीकता से परिपूर्ण हो इसके लिए हर संभव उपाय किए हैं। लेकिन healthyastyle इस लेख की सटीकता की ज़िम्मेदारी नहीं लेता है। इस ब्लॉग पर मौजूद किसी भी सलाह, सुझावों को निजी स्वास्थ्य के लिए उपयोग में लाने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

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Ashok Kumar
Ashok Kumar

नमस्कार दोस्तों,
मैं एक Health Blogger हूँ, और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के बारे में शोध-आधारित लेख लिखना पसंद करता हूँ, जो शिक्षाप्रद होने के साथ प्रासंगिक भी हों। मैं अक्सर Health, Wellness, Personal Care, Relationship, Sexual Health, और Women Health जैसे विषयों पर Article लिखता हूँ। लेकिन मेरे पसंदीदा विषय Health और Relationship से आते हैं।

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