डेंगू बुखार क्या है – कारण, लक्षण और उपचार – Healthya Style

डेंगू बुखार दुनिया की सबसे तेजी से फैलने वाली एक मच्छर संवाहित बीमारी है, जिसे “हड्डीतोड़ बुख़ार” के नाम से भी जानते हैं। जो उष्णकटिबंधीय (Tropical) और उपोष्णकटिबंधीय (sub-Tropical) क्षेत्रों में आम है। इसका फैलाव 100 से अधिक देशों में है, जो सालाना लगभग 400 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है। डेंगू बुखार के लक्षण फ्लू (Flu) के जैसे होते हैं। डेंगू बुखार का गंभीर रूप अंदरूनी रक्तस्राव, निम्न रक्तचाप में गिरावट (सदमे) और मृत्यु का कारण भी बन सकता है।

भारत का दक्षिण का भाग उष्णकटिबंधीय क्षेत्र जबकि उत्तर का भाग शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र कहलाता है। भारत में भी डेंगू एक आम बीमारी है, और इसका पीक सीजन जून से सितम्बर तक होता है। डेंगू वायरल संक्रमण का हर पहलू एक चुनौती बना हुआ है; शोधकर्ता आज तक इस बीमारी का रोगजनन ज्ञात नहीं कर पाए हैं। डेंगू से सुरक्षा के लिए अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है, शोधकर्ता इसके टीके पर काम कर रहे हैं। डेंगू मच्छर नियंत्रण के अब तक के सारे उपाय अपर्याप्त ही साबित हुए हैं।

डेंगू बुखार का मच्छर

आज मैं इस लेख के जरिये डेंगू बुखार की पूरी और सही जानकारी दूंगा, क्योंकि मुझे पता है online डेंगू के बारे में बहुत सी गलत जानकारी फैली हुई है, इसलिए मैं चाहता हूँ, कि आप डेंगू की विस्तृत जानकारी के इस लेख को पूरा पढ़ें और अपना ज्ञानवर्धन करें।

डेंगू का इतिहास

1943 जापान में पहले Isolation के बाद से डेंगू वायरस (DENV) प्रकाश में आया, और तब से लेकर अब तक इसके चार प्रकारों की पहचान की गई है। शहरीकरण और अंतर्राष्ट्रीय यात्रा जैसी वैश्विक घटनाएं डेंगू के प्रसार को सुविधाजनक बनाने का एक प्रमुख कारक रही हैं। dengue hemorrhagic fever (DHF) की पहली बड़ी महामारी 1953-1954 में फिलीपींस में हुई और उसके बाद डीएफ/डीएचएफ8 की महामारी का तेजी से वैश्विक प्रसार हुआ।

भारत में डेंगू वायरस का पहला मामला 1944 कलकत्ता में (अब कोलकाता) में अमेरिकी सैनिकों में पाया गया था। भारत में डेंगू बुखार की पहली वायरोलॉजिकल रूप से सिद्ध महामारी 1963-1964में कलकत्ता और भारत के पूर्वी तट में हुई थी। 1996 में डेंगू रक्तस्रावी बुखार (डीएचएफ) की महामारी ने दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में 10,000 से अधिक लोगों को प्रभावित किया। इसका प्रकोप सितंबर में शुरू हुआ, अक्टूबर से नवंबर तक चरम पर रहा और दिसंबर की शुरुआत तक चला और फिर यह पूरे देश में फैल गया।

डेंगू वायरस प्रकारों का दुनिया भर में विस्तार की स्थिति

डेंगू वायरस DENV (DF/DHF) के सभी प्रकारों का दुनिया भर में विस्तार का सफर कैसा रहा, यहां 1943 से 2013 तक प्रत्येक DENV प्रकार को संक्षिप्त विवरण को सभी घटनाक्रम के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं।

  • DENV-1 को पहली बार 1943 में फ्रेंच पोलिनेशिया और जापान में रिपोर्ट किया गया था, इसके बाद 1944 और 1945 में हवाई में रिपोर्ट किया गया था।
  • DENV-2 को पहली बार 1944 में पापुआ न्यू गिनी और इंडोनेशिया में, उसके बाद 1954 और 1956 में फिलीपींस में रिपोर्ट किया गया था। मलेशिया और थाईलैंड ने 1960 के दशक की शुरुआत से, साथ ही 1970 के दशक की शुरुआत से इंडोनेशिया और चीन, भारत। 1980 के दशक से फिलीपींस, श्रीलंका और सिंगापुर।
  • DENV-3 को पहली बार 1953 में फिलीपींस और थाईलैंड में रिपोर्ट किया गया था, और 1962 के बाद से हर साल एशिया में रिपोर्ट किया गया है।
  • DENV-4 को पहली बार 1953 में फिलीपींस और थाईलैंड में रिपोर्ट किया गया था। उसके बाद श्रीलंका, इंडोचीन क्षेत्र के साथ-साथ इंडोनेशिया, भारत, म्यांमार और फ्रेंच पोलिनेशिया में रिपोर्ट किया गया।
  • DENV-5 की घोषणा पहली बार अक्टूबर 2013 में की गई और जिसे वर्ष 2007 में मलेशिया में रिपोर्ट किया गया। जो डेंगू वायरस के मौजूदा सीरोटाइप में पांचवां और नवीनतम संकलन है।

डेंगू बुखार क्या है?

डेंगू बुखार, डेंगू वायरस से संक्रमित मादा एडीस इजिप्ती (female Aedes aegypti) मच्छर के काटने से होने वाली एक बीमारी है। जो दुनिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होती है। इसके लक्षण आमतौर पर फ्लू जैसे होते हैं, लेकिन इलाज न करने पर यह गंभीर डेंगू (डेंगू रक्तस्रावी बुखार) में बदल सकता है, और मृत्यु का कारण भी बन सकता है।

डेंगू का मच्छर क्यों काटता है?

एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) मच्छर मुख्य रूप से दिन में काटता है। यह सूर्योदय के लगभग दो घंटे बाद और सूर्यास्त से कई घंटे पहले अधिक सक्रिय होते हैं, लेकिन यह रात में रोशनी वाली जगहों में भी काट सकती है।

यह मच्छर बिना दिखे ही लोगों को शिकार बना सकता है, क्योंकि यह पीछे से आता है और टखनों और कोहनी पर काटता है। यह घरेलू स्तनधारी जानवरों को भी काटना पसंद करता है। केवल मादाएं अंडे देने के लिए रक्त प्राप्त करने के लिए काटती हैं।

मच्छर के काटने से बचने के लिए सुबह और शाम को पूरी बांह की कमीज और पैंट पहनें और Mosquito Repellent का प्रयोग करें, जब मच्छर सबसे ज्यादा सक्रिय हों।

डेंगू मच्छर की पूरी जानकारी के लिए पढ़ें।

डेंगू मच्छर को पहचानें कैसे?

एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) मच्छर, या डेंगू मच्छर, गहरे रंग का होता है और पैरों पर विशिष्ट सफेद निशान होते हैं और छाती पर वीणा जैसे निशान होते हैं। यह आकार में काफी छोटा है, केवल 4 से 7 मिलीमीटर लंबा है, पर मादा मच्छर की लंबाई नर से अधिक होती हैं।

डेंगू का मच्छर मादा एडीस इजिप्ती

डेंगू बुखार किसे प्रभावित करता है?

डेंगू सबसे अधिक मध्य और दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, एशिया के कुछ हिस्सों और प्रशांत द्वीप समूह में पाया जाता है। इन क्षेत्रों में रहने वाले या यात्रा करने वाले – दुनिया के आधे से अधिक लोग – सबसे अधिक जोखिम में हैं।

अधिकांश डेंगू के मामले लक्षणहीन हैं या हल्के लक्षण दिखाते हैं, यह एक गंभीर, फ्लू जैसी बीमारी के रूप में प्रकट हो सकता है। जो शिशुओं, छोटे बच्चों और वयस्कों को प्रभावित करता है, लेकिन शायद ही कभी मृत्यु का कारण बनता है।

संक्रमित मच्छर के काटने के बाद 4-10 दिनों रोग उभरने की अवधि के बाद लक्षण आमतौर पर 2-7 दिनों तक रहते हैं।

डेंगू बुखार कितना आम है?

एक शोध का अनुमान है, कि दुनिया की आधी आबादी, लगभग 4 अरब लोग, डेंगू के खतरे वाले क्षेत्रों में रहते हैं। जोखिम वाले क्षेत्रों में डेंगू अक्सर बीमारी का एक प्रमुख कारण होता है। हर साल 40 करोड़ लोग डेंगू से संक्रमित होते हैं। लगभग 100 मिलियन लोग संक्रमण से बीमार हो जाते हैं, और 40,000 लोग गंभीर डेंगू से मारे जाते हैं।

क्या आप डेंगू बुखार से प्रतिरक्षित (Immune) हो सकते हैं?

हां, एक बार जब आप डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाते हैं, तो आपके अंदर डेंगू वायरस के एक प्रकार के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। वायरस (DENV) के कम से कम चार संस्करण (Strains) होते हैं, और यह बहुत जटिल होते है।

शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) में ऐसे हथियार (Antibodies) होते हैं, जिनका उपयोग यह संक्रमणों को पहचानने और उनसे लड़ने में कर सकता है। जैसे ही आपका शरीर किसी वायरस से लड़ता है, तो पहले यह पता लगाता है, कि उसके वह पास कौन सा हथियार (Antibodies) है, जो उस विशिष्ट खतरे का ख़त्म करने में काम आ सकता है।

डेंगू बुखार के लक्षण

डेंगू बुखार के लक्षण क्या हैं?

बहुत से लोग डेंगू संक्रमण के कोई लक्षण अनुभव नहीं करते हैं। जो आमतौर पर डेंगू के लक्षण संक्रमण के चार से छह दिन बाद शुरू होते हैं और 10 दिनों तक चल सकते हैं। हालांकि, उन्हें अन्य बीमारियों का लक्षण भी समझा जा सकता है – जैसे कि फ्लू।

यदि आपको तेज बुखार (104°F/40°C) के साथ निम्न लक्षण हैं:

  • सिरदर्द
  • मांसपेशियों, हड्डी या जोड़ों का दर्द
  • जी मिचलाना
  • उल्टी होना
  • आंखों के पीछे दर्द
  • सूजन ग्रंथियां
  • लाल चकत्ते/दिदोरा (Rashes)

डेंगू बुखार के लक्षण मच्छर के काटने के 4 से 10 दिन बाद दिखाई देने लगते हैं और तीन से सात दिनों तक रह सकते हैं। याद रखें! डेंगू से पीड़ित 20 में से लगभग 1 व्यक्ति के मामले में, लक्षण खराब हो जाते हैं, और जीवन के लिए खतरा बन सकते हैं। इसे गंभीर डेंगू/डेंगू रक्तस्रावी बुखार, डेंगू शॉक सिंड्रोम कहा जाता है।

गंभीर डेंगू/डेंगू रक्तस्रावी बुखार (Hemorrhagic Fever)

गंभीर डेंगू रक्तस्रावी बुखार एक जानलेवा स्थिति है। यह तब होता है, जब आपके रक्तप्रवाह में थक्का बनाने वाली कोशिकाओं (Platelets) की संख्या कम हो जाती है, जिससे आपकी रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त होकर रिसने (Leak) लगती हैं। इससे सदमा, आंतरिक रक्तस्राव, अंग विफलता और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है। इस स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (Thrombocytopenia) कहते हैं।

गंभीर डेंगू बुखार के चेतावनी संकेत आमतौर पर आपके बुखार के चले जाने के 24 से 48 घंटों के बाद शुरू होते हैं। गंभीर डेंगू एक मेडिकल इमरजेंसी है, जो घातक हो सकती है। इसके लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

  • गंभीर पेट दर्द
  • बार-बार उल्टी होना
  • मसूड़ों या नाक से खून बहना
  • मल में खून आना
  • त्वचा के अंदर रक्तस्राव, चोट लगने जैसा दिखना
  • जोर जोर से या कठिनाई से सांस लेना
  • अत्यधिक थकान
  • चिड़चिड़ापन या बेचैनी

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया क्या है?

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया एक ऐसी स्थिति है, जो तब होती है जब आपके रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या बहुत कम हो जाती है। प्लेटलेट्स छोटी रक्त कोशिकाएं होती हैं, जो अस्थि मज्जा (Bone Marrow) में बड़ी कोशिकाओं से बनती हैं। चोट लगने पर घाव को सील करने के लिए प्लेटलेट्स आपस में चिपककर एक प्लग बनाते हैं। इस प्लग को रक्त का थक्का कहते हैं। प्लेटलेट्स को थ्रोम्बोसाइट्स (Thrombocytes) भी कहा जाता है, क्योंकि रक्त के थक्के को थ्रोम्बस (Thrombus) भी कहा जाता है।

डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue Shock Syndrome)

शॉक सिंड्रोम डेंगू संक्रमण की एक खतरनाक जटिलता है और उच्च मृत्यु दर से जुड़ा है। डेंगू में शॉक की शुरुआत नाटकीय तरीके से हो सकती है, और इसमें निरंतर इसमें वृद्धि होती रहती है। यदि आप डेंगू शॉक सिंड्रोम के संकेतों और लक्षणों को पहचानते हैं जो डेंगू रक्तस्रावी बुखार के बाद शुरू होते हैं, तो रोगी उचित चिकित्सा उपचार मिलने से बच सकता है।

डेंगू शॉक सिंड्रोम के लक्षण निम्न हैं:

  • तीव्र बुखार 2-7 दिनों तक या कभी-कभी 2 चरणों में होता है
  • रक्तस्राव का दिखना
  • लिवर का आकार जाना
  • आंतरिक रक्तस्राव के कारण त्वचा पर बैंगनी धब्बे बनना
  • आंतों की झिल्ली, जठरांत्र मार्ग, इंजेक्शन वाली जगहों से रक्तस्राव
  • उल्टी में खून का आना
  • रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या में कमी (100000/मिमी3 या उससे भी कम)
  • प्लाज्मा रिसाव की पुष्टि होना

प्लेटलेट काउंट क्या होता है?

एक सामान्य व्यक्ति के रक्त में प्लेटलेट काउंट 150,000 से 450,000 प्लेटलेट्स प्रति माइक्रोलीटर के बीच होती है। प्रति माइक्रोलीटर 150,000 से कम प्लेटलेट्स की प्लेटलेट गिनती सामान्य से कम है। रक्त में कम प्लेटलेट काउंट स्थिति में रक्तस्राव को रोकने में परेशानी हो सकती है। रक्तस्राव आपके शरीर के अंदर, त्वचा के नीचे या त्वचा की सतह से हो सकता है।

Note – डेंगू के लगभग 80 से 90 प्रतिशत रोगियों में इसका स्तर 100,000 से नीचे होगा, जबकि 10 से 20 प्रतिशत रोगियों में गंभीर रूप से निम्न स्तर 20,000 या उससे भी कम होगा।

इसे भी पढ़ें – Anemia क्या है – जानें क्या हैं इसके लक्षण और कारण?

डेंगू बुखार का कारण

डेंगू बुखार का क्या कारण है?

डेंगू बुखार चार प्रकार के डेंगू वायरस में से किसी एक के कारण होता है। जब डेंगू वायरस से संक्रमित मच्छर आपको काटता है, तो वायरस आपके खून में प्रवेश कर जाता है। मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद डेंगू वायरस प्रतिरूप (Clone) बनाने और संक्रामक चक्र की प्रक्रिया शुरू कर सकता है और यह प्रक्रिया आपको बीमार महसूस करा सकती है। संक्रमित व्यक्ति के आसपास रहने से आपको डेंगू बुखार नहीं हो सकता है। इसे सीधे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलाया जा सकता है।

डेंगू वायरस कितने प्रकार के होते हैं?

डेंगू वायरस की संरचना बहुत छोटी होती है, जो केवल एक सजीव के अंदर ही अपना प्रतिरूप बनाने और संक्रमण चक्र को दोहराने का काम कर सकता है। पूरी दुनिया में मुख्यतः चार प्रकार के डेंगू वायरस DENV-1, DENV-2, DENV-3, DENV-4 और DENV-5 (New Edition) पाए जाते हैं।

वायरस रक्त के उन हिस्सों को नष्ट कर सकता है जो थक्के बनाते हैं और आपकी रक्त वाहिकाओं को एक संरचना प्रदान करते हैं। यह, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली के हथियार (Antibodies) के साथ आपके रक्त को भी आपकी नसों से बाहर निकाल सकता है, जो आंतरिक रक्तस्राव का कारण बन सकता है। इससे गंभीर डेंगू के जानलेवा लक्षण सामने आते हैं।

क्या डेंगू बुखार दोबारा संक्रमित कर सकता है?

डेंगू बुखार ठीक होने के बाद, आपके अंदर उस प्रकार के वायरस के प्रति दीर्घकालिक प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित हो जाती है, जिसने आपको संक्रमित किया है। लेकिन अन्य तीन प्रकार के वायरस लिए नहीं। इसका मतलब है, कि आप भविष्य में अन्य तीन वायरस प्रकारों में से किसी एक से फिर से संक्रमित हो सकते हैं। दूसरी, तीसरी या चौथी बार डेंगू बुखार होने पर आपके गंभीर डेंगू बुखार होने का खतरा बढ़ जाता है।

डेंगू बुखार कैसे फैलता है?

डेंगू संक्रमित मादा एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है, जो जीका और चिकनगुनिया जैसे वायरस का भी संवाहक (Vector/Carrier) होता है। मच्छर जब डेंगू बुखार से संक्रमित किसी व्यक्ति को काटता है और फिर वही मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है, तो वे भी डेंगू से संक्रमित हो जाते हैं।

क्या डेंगू सांसर्गिक/छुआछूत का रोग है?

डेंगू बुखार फ्लू की तरह सीधे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित नहीं करता है। सीधे किसी अन्य व्यक्ति से डेंगू होने का एकमात्र रास्ता यह है, कि कोई गर्भवती महिला संक्रमित हो जाती है, तो इस संक्रमण को वह अपने बच्चे को भी दे सकती है।

डेंगू वेक्टर

डेंगू बुखार के जोखिम क्या हैं?

आपके डेंगू बुखार या बीमारी के चपेट में आने का अधिक खतरा होता है यदि:

  • आप उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहते हैं या यात्रा करते हैं। उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में डेंगू वायरस के संपर्क में आने का खतरा काफी बढ़ जाता है। विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिमी प्रशांत द्वीप समूह, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका शामिल हैं।
  • आपको पहले डेंगू बुखार हुआ हो। डेंगू के पिछले संक्रमण के कारण आपको गंभीर लक्षणों का खतरा बढ़ जाता है, यदि आपको फिर से डेंगू बुखार हो जाता है।

डेंगू बुखार की जटिलताएं क्या हैं?

गंभीर डेंगू बुखार आंतरिक रक्तस्राव और अंग क्षति का कारण बन सकता है। आपका रक्तचाप खतरनाक स्तर तक गिर सकता है, जिससे आपको Shock लग सकता है। कुछ मामलों में, गंभीर डेंगू बुखार मौत का कारण बन सकता है।

गर्भावस्था में डेंगू बुखार की जटिलताएं

जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान डेंगू बुखार होता है, तो उनमें यह गर्भपात, जन्म के समय कम वजन या समय से पहले जन्म का कारण बन सकता है। गर्भावस्था के दौरान डेंगू होने से रोकने के लिए सुरक्षित कदम उठाना महत्वपूर्ण है, ताकि आप अपनी और अपने अजन्मे बच्चे की सुरक्षा कर सकें।

डेंगू बुखार का निदान

डेंगू बुखार का निदान कैसे किया जाता है?

डेंगू बुखार की पहचान करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसके लक्षण अन्य बीमारियों जैसे चिकनगुनिया, जीका वायरस, मलेरिया और टाइफाइड बुखार के साथ आसानी से भ्रमित कर सकते हैं।

आपका डॉक्टर आपसे मेडिकल और ट्रैवल हिस्ट्री के बारे में कुछ प्रश्न पूछ सकता है। अपने डॉक्टर के सवालों के जवाब विस्तार से दें, प्रश्नों में शामिल हैं:

  • आपके लक्षण कब शुरू हुए?
  • क्या आपके लक्षण निरंतर या कभी-कभी रहते हैं?
  • आपके लक्षण कितने गंभीर हैं?
  • क्या आपके लक्षणों को बेहतर या बदतर बनाता है?
  • पिछले एक महीने में आपने कहाँ की यात्रा की है?
  • क्या आपको यात्रा के दौरान मच्छरों ने काट लिया था?
  • क्या आप हाल ही में किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में रहे हैं?

डेंगू बुखार का परीक्षण

डेंगू बुखार का परीक्षण कैसे करते हैं?

डेंगू बुखार की पहचान रक्त परीक्षण (Blood Test) द्वारा की जाती है। आपका डॉक्टर डेंगू वायरस की पहचान करने के लिए रक्त के नमूने को किसी प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजेगा, साथ ही वह यह भी देखेगा कि वायरस के चार संस्करणों में से कौन सा है। वह अन्य वायरस के लिए भी रक्त परीक्षण कर सकता है, जो समान लक्षण पैदा करते हैं।

डेंगू वायरस की उपस्थिति के एंटीबॉडी की जांच के लिए डॉक्टर रक्त परीक्षण करते हैं। इसके लिए डॉक्टर वायरोलॉजिकल टेस्ट या सीरोलॉजिकल टेस्ट का उपयोग कर सकता है।

  • Virological test/Virus isolation test यह परीक्षण सीधे वायरस के अंश की पहचान के लिए किया जाता है। इस प्रकार के परीक्षण के लिए अक्सर विशेष उपकरण और तकनीकी रूप से प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता होती है, इसलिए इस प्रकार का परीक्षण सभी जगह उपलब्ध नहीं हो सकता है।
  • Serological test यह परीक्षण वर्तमान या हाल के संक्रमण की पुष्टि करने के लिए रक्त में एंटीबॉडी का पता लगाता है, यह एक प्रचलित और सर्वसुलभ परीक्षण है। इस टेस्ट को एक healthcare professional आसानी से कर सकता और आपको वायरस है या नहीं इसका पता लगा सकता है।
  • Molecular Tests/Nucleic Acid Amplification Test (NAAT) Molecular Test का उपयोग रक्त में डेंगू वायरस के अंश का पता लगाने के लिए किया जाता है। NAAT परीक्षण डेंगू की पहचान करने का एक पसंदीदा तरीका है जो संक्रमण के स्पष्ट प्रमाण प्रदान कर सकते हैं
  • Antigen DetectionTest (NS1 Detection) NS1 परीक्षण डेंगू वायरस के गैर-संरचनात्मक प्रोटीन NS1 का पता लगाने के लिए करते हैं। यह प्रोटीन डेंगू के संक्रमण के दौरान रक्त में मिल जाता है।
  • Tissue Test डेंगू वायरस के परीक्षण के लिए ऊतक परीक्षण (biopsy or autopsy) नमूनों (liver, kidney, spleen और lung tissue) पर वायरस RNA का पता लगाने लिए किया जा सकता है।
  • Haemagglutination-inhibition test इस परीक्षण का उपयोग influenza A वायरस के प्रति एंटीबॉडी का पता लगाने या संख्या को निर्धारित करने के लिए किया जाता है, ताकि इन्फ्लूएंजा आइसोलेट्स के बीच एंटीजेनिक प्रतिक्रिया में अंतर को पहचानने के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
  • Platelet count test (thrombocytes) प्लेटलेट काउंट टेस्ट एक लैब टेस्ट है, जो आपके रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या को मापता है। प्लेटलेट्स, जिन्हें थ्रोम्बोसाइट्स भी कहते हैं, जो आपके रक्त में फैले रहते हैं और रक्त के थक्कों को बनाने के लिए आवश्यक हैं, जिसे शरीर रक्तस्राव को रोकने के लिए बनाता है।

डेंगू बुखार का प्रबंधन और उपचार

डेंगू बुखार के लक्षणों का प्रबंधन कैसे करें?

अपने लक्षणों को प्रबंधित करना ही डेंगू बुखार के इलाज का एकमात्र तरीका है। अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की सिफारिशों का पालन करें, जिसमें शामिल हो सकते हैं:

  • ढेर सारा पानी और तरल पदार्थ पीकर खुद को हाइड्रेट रखना।
  • जितना हो सके आराम करना।
  • दवाएं समय पर लेना।

Note – यदि आपको डेंगू बुखार है, तो आपको एस्पिरिन, इबुप्रोफेन (एडविल, मोट्रिन आईबी, अन्य) और नेप्रोक्सन सोडियम (एलेव) सहित अन्य ओटीसी दर्द निवारक जैसी दवाएं लेने से बचें। ये दर्द निवारक दवाएं डेंगू बुखार की जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

डेंगू बुखार का इलाज कैसे किया जाता है?

डेंगू बुखार का इलाज करने वाली कोई विशेष दवा या उपचार मौजूद नहीं है। आपका डॉक्टर आपको लक्षणों को प्रबंधित करने के तरीके के बारे में अपनी सिफारिशें (Recommendations) देने के साथ आपको दूसरे डॉक्टर के पास भी भेज सकता है, जो संक्रामक रोगों में माहिर है।

यदि आपको गंभीर डेंगू बुखार है, तो आपका डॉक्टर आपको Hospitalize होने के लिए कहेगा, हॉस्पिटल में आपकी देखभाल सही तरीके से हो सकती है जैसे:

  • डॉक्टर की निगरानी में सही तरीके से देखभाल
  • सलाईन के जरिये ग्लूकोज़ चढ़ाना
  • रक्तचाप की निगरानी
  • समय पर दवाएं और इंजेक्शन
  • खून की कमी के लिए खून चढ़ाना

डेंगू बुखार का निवारण

डेंगू के जोखिम को कैसे कम करें?

डेंगू की बीमारी से खुद को बचाने के दो मुख्य तरीके हैं, मच्छरों के काटने से बचना और टीकाकरण (Vaccination)

मच्छरों से सुरक्षा

डेंगू से बचने का सबसे अच्छा तरीका है संक्रमित मच्छरों द्वारा काटे जाने से रोकना है, खासकर यदि आप उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में रह रहे हैं या यात्रा कर रहे हैं। डेंगू बुखार के जोखिम को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है, कि आप खुद को मच्छरों के काटने से बचाएं:

  • रात में सोते समय मच्छरों को अपने से दूर भगाने के लिए अगरबत्ती, क्रीम या Mosquito Repellent का उपयोग करें।
  • रात में खुद को ढंककर सोएं जब आसपास मच्छरों की तादाद अधिक हो।
  • छोटे बच्‍चों को पूरे कपडे पहनाएं ताकि हाथ पांव अच्छे से ढंके रहे।
  • घर के आसपास स्थिर पानी को निकाल दें (बाल्टी या बैरल, पुराने टायर जिनमें बारिश का पानी हो सकता है) और उन गड्ढों को भर दें जहां पानी जमा हो सकता है।
  • पानी की टंकियों और बर्तनों में रखे को खुला न छोड़ें उन्हें ढककर रखें।
  • यदि संभव हो तो खिड़कियों पर जाली (Mesh) लगवाएं और दरवाजा सुबह और शाम को हमेशा बंद रखें।
  • कूलर के पानी को 4 – 5 दिन के अंतराल पर बदलते रहें।
  • जहां डेंगू की समस्या आम है, वहां रात में मच्छरदानी का प्रयोग करें।
  • यदि आप गर्भवती हैं, तो यदि संभव हो तो उन क्षेत्रों की यात्रा करने से बचें जहां डेंगू आम है।
  • बड़े गड्ढे या खुली नालियों में जमे हुए पानी पर मिट्टी का तेल या जले हुआ तेल डालें।
  • यात्रा करते समय, यह अवश्य पता कर लें, कि वहां पर या उस रास्ते पर बीमारी का कोई प्रकोप तो नहीं है।
  • डिहाइड्रेशन से बचने के लिए तरल पदार्थ नारियल पानी, नींबू पानी आदि का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें।

डेंगू का टीका (Dengue Vaccine)

फ्रांस की कंपनी Sanofi Pasteur ने (Dengvaxia™) नाम की डेंगू के लिए एक वैक्सीन (Vaccine) बनाई है। यह वैक्सीन 9 से 16 वर्ष की आयु के किशोरों में इस बीमारी को होने से रोकने में उन लोगों की मदद कर सकती है, जो पहले से ही डेंगू से संक्रमित हो चुके हैं। यह टीका डेंगू के सभी चारों प्रकार के वायरसों में लाभकारी हो सकता है। 40 देशों में इस टीके को लगाने की मंजूरी मिल चुकी है, हालांकि, भारत में यह वैक्सीन अभी ट्रायल फेज में है, ट्रायल पूरा होने के बाद ही कोई निर्णय लिया जायेगा। फिलहाल यह वैक्सीन अभी सभी उम्र वर्ग के लिए उपलब्ध नहीं है।

यदि आपको पहले कभी डेंगू नहीं हुआ है, तो इस टीके को लगवाने की सिफारिश (Recommend) नहीं की जाती है। डेंगू का टीका (Dengvaxia™) सिर्फ उन्हें दिया जा सकता है, जिन्हें पहले डेंगू हो चुका हो। इसलिए कि यदि आप भविष्य में दूसरे प्रकार के डेंगू वायरस से पीड़ित होते हैं, तो यह आपके गंभीर डेंगू के जोखिम को कम कर सकता है।

जहाँ तक प्रश्न है, डेंगू होने से पहले टीका लगवाने का, तो वो इसलिए नहीं लगाया जाता है क्योंकि इससे आपको गंभीर डेंगू होने का खतरा बढ़ सकता है। टीका लगाने से पहले आपका डॉक्टर रक्त परीक्षण के द्वारा इस बात की पुष्टि करेगा, कि आपको पहले डेंगू हुआ है या नहीं।

डेंगू बुखार के प्रति आपका क्या दृष्टिकोण होना चाहिए?

डेंगू बुखार है तो क्या करें?

डेंगू बुखार के अधिकांश मामलों में लक्षण नहीं होते हैं या हल्के होते हैं, लेकिन कभी-कभी मामला अधिक गंभीर हो सकता है, जिसके लिए आपको तत्काल चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

डेंगू बुखार कितने समय तक रहता है?

डेंगू के शुरूआती लक्षण तीन से सात दिन तक रह सकते हैं। अधिकांश लोग इसके बाद बेहतर महसूस करने लगते हैं, लेकिन कुछ को जानलेवा गंभीर डेंगू होता है, जिसके लिए चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है।

क्या आप डेंगू बुखार से बच सकते हैं?

अधिकांश लोग बिना किसी स्थायी जटिलता के डेंगू बुखार से ठीक हो जाते हैं। डेंगू बुखार के लक्षण लगभग 20 में से 1 के गंभीर डेंगू होने की संभावना होती है। यदि आपको गंभीर डेंगू है और अस्पताल में चिकित्सकों की देखरेख में तुरंत इलाज किया जाता है, तो आपके ठीक होने की 99% से अधिक संभावना है।

गर्भावस्था और डेंगू बुखार की जटिलताएं

यदि आप गर्भवती हैं और आपको डेंगू बुखार से पीड़ित हैं, तो यह गर्भपात, जन्म के समय कम वजन या समय से पहले जन्म का कारण बन सकता है। गर्भावस्था के दौरान डेंगू होने से रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए, ताकि खुद के साथ अजन्मे बच्चे की सुरक्षा हो सके।

क्या आपको कई बार डेंगू बुखार हो सकता है?

हाँ। चूंकि डेंगू वायरस के कम से कम चार प्रकार (Strains) होते हैं, इसलिए आपको एक से अधिक बार डेंगू हो सकता है। हालांकि, आप आमतौर पर पहले डेंगू के प्रकार से प्रतिरक्षित (Immunized) हो जाते हैं, और यह आपको फिर कभी नहीं हो सकता है। लेकिन अन्य प्रकार (Strains) में से कोई एक आपको बीमार कर सकता है। याद रखें, यदि आपको एक से अधिक बार डेंगू हो जाता है, तो भविष्य में डेंगू बुखार से गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना अधिक हो जाती है।

डेंगू होने पर अपना ख्याल कैसे रखें?

यदि आपको पहले डेंगू हो चुका है, तो भविष्य में आपको वायरस के अलग प्रकार के कारण आपके गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना अधिक होती है। अपनी सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने पर विचार करें मच्छरों के काटने से खुद को बचाएं, खासकर यदि आप ऐसी जगह पर रहते हैं, जहां डेंगू एक आम समस्या है।

आपको अपने डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?

यदि आप ऐसे क्षेत्र में रहते हैं या वहां गए हैं जहां डेंगू आम है, तो यदि आपको डेंगू के लक्षण दिखते हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें। वे आपको उचित सलाह देंगे कि आप अपनी देखभाल कैसे करें और चिकित्सकीय उपचार की जरूरत कब होगी।

आपको अपने डॉक्टर से क्या प्रश्न पूछने चाहिए?

  • मेरे लक्षणों का सबसे संभावित कारण क्या है?
  • मुझे किस प्रकार के परीक्षणों की आवश्यकता है?
  • डेंगू के लिए कौन से उपचार उपलब्ध हैं?
  • मुझे बेहतर महसूस होने में कितना समय लगेगा?
  • मैं अपने लक्षणों के लिए कौन सी दवाएं ले सकता हूं?
  • मुझे किन लक्षणों के आधार पर ICU में भर्ती किया जाना चाहिए?
  • क्या इस बीमारी के कोई दीर्घकालिक प्रभाव हैं?

डेंगू बुखार के दीर्घकालिक प्रभाव क्या हैं?

डेंगू बुखार के कुछ दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं:

  • सभी डेंगू वायरस में से किसी एक के संक्रमण के बाद शरीर में प्रतिरक्षात्मक प्रणाली के विकसित होने प्रतिक्रिया गंभीर डेंगू के खतरे को बढ़ाती है, जब आप शेष चार में से किसी भी वायरस से संक्रमित होता है।
  • मांसपेशियों में अस्पष्ट दर्द, जोड़ों का दर्द और कमजोरी जो कुछ हफ्तों से लेकर कई महीनों तक बनी रह सकती है।
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण व्यक्ति कई अन्य बीमारियों की चपेट में आ सकता है।
  • यदि डेंगू के साथ कुछ जटिलताएं जैसे एन्सेफलाइटिस, दौरे, अवसाद, निमोनिया, कार्डियो मायोपैथी, लीवर की चोट, ऑर्काइटिस, ओओफोराइटिस आदि हैं, तो यह डेंगू के बाद की अवधि के दौरान बनी रह सकती है।

क्या डेंगू मलेरिया से भी ज्यादा घातक है?

नहीं, जबकि इन दोनों बीमारियों से संक्रमित बहुत कम लोग ही मरते हैं, लेकिन मलेरिया दुनिया भर में डेंगू से घातक है।

दुनिया भर में अनुमानित 400 मिलियन लोगों को हर साल डेंगू हो जाता है, लगभग 40,000 लोग इससे मर जाते हैं (लगभग 0.01%)। दुनिया भर में अनुमानित 271 मिलियन लोगों को हर साल मलेरिया होता है, उनमें से लगभग 627,000 लोग मर जाते हैं (लगभग 0.3%)

यह याद रखना महत्वपूर्ण है, कि कोई भी बीमारी दुनिया के कुछ हिस्सों में दूसरों की तुलना में अधिक घातक हो सकती है। अफ्रीका में बच्चों को मलेरिया से मरने का अनुपातहीन रूप से खतरा है, जबकि एशिया में रहने वाले लोग डेंगू से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

भारत में प्रचलित डेंगू बुखार के बारे में मिथक और भ्रांतियां

डेंगू बुखार के साथ कई सारे मिथक जुड़े हुए हैं, जो कभी-कभी स्थिति को पहले से भी खराब बना सकता है। इसलिए, आपको भी इन मिथकों के जाल में नहीं फंसना हैं। यहां डेंगू बुखार के बारे में कुछ पारंपरिक मिथक और गलत धारणाएं दी गई हैं, जिनका पालन करने से पहले उसकी पड़ताल अवश्य करें:

मिथक 1: आपको अपने जीवनकाल में डेंगू बुखार दुबारा नहीं हो सकता है।

तथ्य: डेंगू बुखार के बारे में शायद यह सबसे प्रचलित गलत और खतरनाक धारणा है। डेंगू बुखार के वायरस (DENV) के पांच अलग-अलग प्रकार होते हैं। जब कोई व्यक्ति पहली बार के संक्रमण से ठीक हो जाता है, तो उसे एक प्रकार के वायरस से ही आजीवन प्रतिरक्षा मिलती है। डेंगू के अन्य तीन प्रकारों से बीमारी का खतरा बना रहता है, दूसरी बार का संक्रमण पहले की तुलना में संभावित रूप से अधिक गंभीर हो सकता है।

मिथक 2: डेंगू बुखार संक्रामक मतलब छूत की बीमारी है।

तथ्य: डेंगू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। आप किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने के कारण डेंगू की चपेट में नहीं आ सकते हैं। यह सिर्फ संक्रमित मादा एडीज मच्छर द्वारा काटे जाने पर ही किसी व्यक्ति को डेंगू हो सकता है, और लक्षण काटने के 3 से 7 दिन के बाद सामने आते हैं।

हालांकि, एडीज मच्छर आमतौर पर अपने प्रजनन क्षेत्र से दूर नहीं जाते हैं। यदि आपके परिवार में किसी को घर पर ही एडीज मच्छर ने काट लिया है, तो आपको भी डेंगू बुखार होने संभावना अधिक हो सकती है। इसलिए घर को मच्छरों से मुक्त रखें।

मिथक 3: डेंगू बुखार घातक या गंभीर नहीं है।

तथ्य: डेंगू बुखार घातक हो सकता है, अगर इसका ठीक तरह से इलाज न किया जाए। एक बार संक्रमित होने पर, डेंगू के सामान्य लक्षणों में तेज बुखार के साथ सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द शामिल है। आमतौर पर, बुखार तीन से पांच दिनों तक रहता है।

आपके शुरुआती बुखार के कम होने के 24 से 48 घंटे बाद गंभीर डेंगू के लक्षण शुरू हो जाते हैं जैसे लगातार उल्टी, साँस लेने में कठिनाई, मल में खून आना और थकान। ये सब चेतावनी के संकेत बताते हैं, कि आपका डेंगू बुखार बिगड़ रहा है और आप तुरंत चिकित्सा के लिए अस्पताल जाएं।

गंभीर डेंगू से डेंगू रक्तस्रावी बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम हो सकता है, जिसका इलाज न करने पर मृत्यु भी हो सकती है।

मिथक 4: डेंगू के मच्छर सिर्फ गंदे इलाके और गंदे पानी में ही पैदा होते हैं।

तथ्य: एडीज एजिप्टी मच्छर ठहरे हुए पानी में अंडे देता है, चाहे वह साफ हो या गंदा। यह पुराने टायर, टूटे फूटे बर्तन, जार, ड्रम और पानी रुके गड्ढों में भी अंडे दे सकते हैं। इसलिए ऐसी चीजों को घर से निकालकर बाहर फेंक दें और गड्ढों को मिट्टी से भर दें।

अपने घर को साफ-सुथरा रखने के अलावा, अपने आसपास के परिसर को भी स्वच्छ रखें ताकि मच्छरों को पनपने से रोका जा सके।

मिथक 5: डेंगू बुखार का प्रकोप केवल बरसात के मौसम में ही होता है।

तथ्य: National Library of Medicine (NLM) की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, डेंगू के प्रसार में तापमान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डेंगू प्रसार के लिए सबसे उपयुक्त तापमान 28.7°C है। बारिश का मौसम मच्छरों को पनपने और विकसित होने के लिए प्रजनन का स्थान देती है। दोनों कारकों का मच्छरों की आबादी और डेंगू प्रसारण की गतिशीलता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

डेंगू प्रसारण की सबसे बड़ी संभावना जून से सितम्बर तक होती है, जब बारिश और गर्मी के मौसम के मध्य में औसत तापमान 28-29°C होता है। वैसे तो डेंगू पूरे साल लोगों को संक्रमित करने में सक्षम है और इसके संक्रमण का खतरा भी बना रहता है।

मिथक 6: आपका शरीर खुद से डेंगू बुखार को ठीक कर सकता है।

तथ्य: डेंगू बुखार में इस तरह की लापरवाही बरतना आपके लिए घातक हो सकता है। अगर आपको बुखार, सिरदर्द, उल्टी, और हड्डी और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण हैं तो तत्काल चिकित्सा सहायता और लेने में देरी न करें।

डेंगू बुखार का खुद से इलाज करना खतरनाक है, क्योंकि इससे आपका डेंगू गंभीर डेंगू में विकसित हो सकता है। इसलिए अफवाहों से बचें, डेंगू की सही जानकारी प्राप्त करें या किसी डॉक्टर से इस बारे में सलाह लें।

मिथक 7: डेंगू हर मच्छर के काटने से फैल सकता है

तथ्य: हर मच्छर के काटने से डेंगू होता है, यह बिल्कुल भी सच नहीं है! डेंगू एक मच्छर संवाहित वायरल संक्रमण है, जो केवल मादा एडीज एजिप्टी मच्छरों के माध्यम से फैल सकता है। वास्तव में, ये मच्छर केवल तभी डेंगू को फैला सकते हैं जब वे स्वयं इससे प्रभावित हों। इसलिए किसी भी मच्छर के काटने पर घबराने की जरूरत नहीं है। अपने घर और आसपास के परिसर को साफ़ सुथरा बनायें, ताकि मच्छर पैदा ही न हों।

मिथक 8: डेंगू बुखार केवल बच्चों और वृद्धों को ही हो सकता है

तथ्य: यह सिर्फ एक मिथक है, क्योंकि डेंगू बुखार से कोई भी संक्रमित हो सकता है, क्या बच्चे और क्या वृद्ध। मच्छर के काटने और व्यक्ति की उम्र, लिंग से किसी भी प्रकार का कोई संबंध नहीं होता है, ना ही इस बात का कोई scintific प्रमाण मौजूद है।

मिथक 9: क्या डेंगू के लिए बकरी का दूध काम करता है?

तथ्य: Journal of Pharmacuticals and Biomedical Sciences की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, डेंगू बुखार के इलाज के लिए बकरी का दूध और दुग्ध उत्पाद बहुत मददगार होते हैं, क्योंकि वे सीधे मानव प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करते हैं। डेंगू बुखार की कुछ जटिलताएं होती हैं, वे हैं रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या में कमी और सेलेनियम की कमी।

बकरी के दूध में अन्य पशु दूधों की तुलना में 27% अधिक सेलेनियम (Selenium) होता है। सेलेनियम एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो शरीर द्वारा अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखने के लिए आवश्यक है, और शरीर में वायरस के निर्माण का विरोध करने में एक प्रमुख घटक के रूप में कार्य करता है।

इस शोध से यह प्रमाणित होता है, कि डेंगू बुखार बकरी के दूध और उसके उत्पादों के साथ प्रबंधित किया जा सकता है।

मिथक 10: रक्त में प्लेटलेट्स का कम होना मतलब आपको डेंगू है

तथ्य: रक्त में प्लेटलेट्स काउंट कम होने का डेंगू ही एकमात्र कारण नहीं है, बल्कि इसके अलावा भी कई और वजहें हैं जैसे ल्यूकेमिया, कैंसर, रक्ताल्पता, वायरल संक्रमण, कैंसर की दवाएं, सर्जरी, गर्भावस्था और अधिक शराब का सेवन।

मिथक 11: डेंगू बुखार पपीते के पत्ते का अर्क प्लेटलेट्स को बढ़ाता है

तथ्य: यह मिथक सत्य है! पपीते के पत्ते का अर्क अब व्यापक रूप से कई देशों में डेंगू बुखार के इलाज के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। जैव चिकित्सा अनुसंधान की काफी शोधों के बाद यह स्पष्ट किया गया है, कि पपीते के पत्ते का अर्क पीने से शरीर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता है और उच्च खुराक लेने पर भी किसी भी जहरीले प्रभाव से इंकार किया गया है।

आप भी पपीते के पत्ते के अर्क का उपयोग कर सकते हैं बशर्ते इस दिशा निर्देश के साथ:

पपीते के पत्ते के अर्क को कैसे पियें जानने के लिए इस Guidelines को अवश्य पढ़ें –

Last but not Least…

हर साल लाखों लोगों को डेंगू बुखार होता है। भले ही ज्यादातर मामले हल्के या बिना लक्षण वाले हों, लेकिन गंभीर डेंगू के बारे में सोचना ही डरावना सपना हो सकता है।

डेंगू बुखार के लिए ये कहावत एकदम सटीक है कि “बचाव ही इसका इलाज है” मतलब इस बीमारी से बचाव के तरीके अपना कर ही आप इसे अपने से दूर रख सकते हैं। क्योंकि डेंगू का कोई सटीक इलाज मौजूद नहीं है ना ही कोई टीका (Vaccine) बना है। इसलिए आप मच्छरों के काटने के जोखिम को कम करने के लिए कदम उठायें।

अपने घर को साफ़ सुथरा और मच्छर मुक्त रखें इसके लिए खिड़कियों पर जाली (Mesh) लगवाएं साथ ही घर के आसपास भी सफाई का विशेष ध्यान दें बेकार की चीजों को घर के बाहर जमा न करें जैसे टायर, खाली डिब्बे, ड्रम इत्यादि बल्कि उन्हें फेंक दें और घर के नजदीक सारे गड्ढों को मिटटी से भर दें।

बारिश के मौसम में यात्रा करते समय विशेष सावधानी बरतें, यदि आप यात्रा करते समय बीमार हो जाते हैं, तो किसी पेशेवर डॉक्टर से अपना पूरा Checkup अवश्य करवाएं।

 

दोस्तों, यह Post आपको कैसा लगी नीचे Comment Box में जरूर बताएं। आपके Comment से ही मुझे और अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलेगी, और मैं अधिक सटीकता के साथ किसी भी विषय पर जानकारी आप लोगों से Share कर पाउँगा। आप सभी से अनुरोध है कि, इस Post पसंद आने पर Like करें और अपने Social Media पर दोस्तों के साथ Share अवश्य करें, ताकि और लोग भी इस जानकारी का फायदा उठा सकें, जल्द वापस आऊंगा एक New Post के साथ।

Disclaimer

इस Article के माध्यम से दी गई जानकारी, केवल शिक्षा के उद्देश्य से बीमारियों और स्वास्थ्य के बारे में लोगों को सचेत करने का एक साधन मात्र है। हमेशा कोशिश रहती है कि हर लेख संपूर्ण और सटीकता से परिपूर्ण हो।इस Blog पर उपलब्ध किसी भी सलाह, सुझावों को निजी स्वास्थ्य के लिए उपयोग में लाने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

 

References –

https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/dengue-fever/symptoms-causes/syc-20353078https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/dengue-fever/diagnosis-treatment/drc-20353084https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/thrombocytopenia/symptoms-causes/syc-20378293http://www.jpbms.info/index.php?option=com_docman&task=doc_view&gid=204&tmpl=component&format=raw&Itemid=48https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/17753-dengue-feverhttps://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3510884/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3946041/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4297835/

Share your love
Ashok Kumar
Ashok Kumar

नमस्कार दोस्तों,
मैं एक Health Blogger हूँ, और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के बारे में शोध-आधारित लेख लिखना पसंद करता हूँ, जो शिक्षाप्रद होने के साथ प्रासंगिक भी हों। मैं अक्सर Health, Wellness, Personal Care, Relationship, Sexual Health, और Women Health जैसे विषयों पर Article लिखता हूँ। लेकिन मेरे पसंदीदा विषय Health और Relationship से आते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *