अवसाद (डिप्रेशन) कैसे शारीरिक और मानसिक क्षमता को प्रभावित करता है?

अवसाद (डिप्रेशन) क्या है? यह “जिंदगी से जंग हारना” जैसा महसूस कराता है, मतलब सबकुछ ख़त्म हो चुका है। अवसाद आपको निराश, चिड़चिड़ा, और उदासीन बनाकर खुशियों से महरूम कर सकता है। आप हताश और असहाय महसूस कर सकते हैं। कुछ मामलों में, जीने की इच्छा मर जाती है। व्यवहारिक रूप से, आप हर गतिविधियों और जिम्मेदारियों से पीछे हटना चाहते हैं। ये सभी चीजें मिलकर आपको डिप्रेशन के दुष्चक्र में फंसाए रखने का काम करती हैं। आजकल हर कोई बच्चे, किशोर से लेकर बुजुर्ग सभी लोग डिप्रेशन की समस्या से परेशान हैं।

A young woman sitting alone on a beach battling major depression

 

सामाजिक रूप से तनावपूर्ण और जीवन की दर्दनाक घटनाएं, भोजन, आवास और स्वास्थ्य देखभाल जैसे संसाधनों तक पहुंच को मुश्किल या असंभव भी बना सकता है और सामाजिक समर्थन की कमी सभी अवसाद के जोखिम में योगदान करते हैं। अवसाद रिश्तों को कमजोर कर सकता है और आत्महत्या की प्रमुख वजह भी बन सकता है।

आज इस लेख में, जानेंगे कि अवसाद या डिप्रेशन क्या है और क्या हैं इसके लक्षण और कारण, और कैसे यह आपकी शारीरिक और मानसिक क्षमता को प्रभावित करता है? इसके अलावा और भी बहुत कुछ।

अवसाद (डिप्रेशन) क्या है? (What is Depression)

अवसाद या डिप्रेशन एक मनोदशा विकार (Mood disorder) है, जो जीवन में उदासी, खालीपन, निराशा और खुशियों के लगातार ख़त्म होने की भावनाओं का कारण बनता है। यह मूड के उतार-चढ़ाव के एहसास से अलग होता है, जैसा लोग जीवन के एक हिस्से के रूप में नियमित तौर पर और समय समय पर अनुभव करते रहते हैं।

जीवन की कुछ प्रमुख घटनाएँ, जैसे कि रिश्ते में साथी का धोखा, ख़राब व्यवहार, शंका करना या कोई शोक/सदमा या नौकरी छूटना, डिप्रेशन को ट्रिगर कर सकते हैं। लेकिन अवसाद नकारात्मक भावनाओं से एकदम भिन्न होता है, जो किसी के साथ घटित किसी घटना के कारण अस्थायी रूप से हो सकता है।

अवसाद गुजरकर ख़त्म होने वाली समस्या नहीं है, यह चलती रहती है। अवसाद विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिसमें सबसे आम प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार (Major depressive disorder) है। इसमें एपिसोड होते हैं, जिसके दौरान लक्षण कम से कम 2 सप्ताह तक बने रहते हैं। अवसाद कई हफ्तों, महीनों या वर्षों तक भी बना रह सकता है। यह एक पुरानी बीमारी है, जो ठीक हो जाती है और फिर दोबारा शुरू हो जाती है।

डिप्रेशन के चक्र से आप आसानी से “बाहर नहीं निकल सकते” हैं। उपचार के बिना, अवसाद बिगड़ सकता है और लंबे समय तक बना रह सकता है। गंभीर मामलों में, यह आत्महत्या या प्रयास का कारण बन सकता है। इसके लिए दीर्घकालिक उपचार की आवश्यकता होती है। लेकिन निराश ना हों। अवसाद से पीड़ित अधिकांश लोग मनोचिकित्सा या दवा या दोनों से बेहतर महसूस करते हैं।

अवसाद (डिप्रेशन) कितना आम है? (How common is Depression?)

दुनिया भर में, हर साल करीब 800 000 लोग आत्महत्या से मरते हैं, मतलब हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है, और प्रत्येक आत्महत्या के लिए 20 से अधिक बार प्रयास होते हैं।

National Crimes Record Bureau (NCRB) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है, कि 2019 में आत्महत्या से 1.39 लाख से अधिक भारतीयों की मृत्यु हुई, जिनमें से 67% युवा वयस्क (18-45 वर्ष) थे, जिसमें 6,491 लोगों के लिए आत्महत्या का कारण थी मानसिक विकार यानि कुल आत्महत्या 7% युवाओं द्वारा की गई थी।

क्या अवसाद (डिप्रेशन) इलाज योग्य है? (Is Depression curable?)

अवसाद का कोई इलाज नहीं है, और ना ही इसे पूर्णतया ठीक कर सकते हैं, लेकिन उपचार से प्रबंधित अवश्य कर सकते हैं। कुछ बीमारियों को कभी ठीक नहीं किया जा सकता है, जैसे – मधुमेह। यदि कोई एकबार मधुमेहग्रस्त हो जाता है, तो वह आजीवन मधुमेह से ग्रसित रहता है। जिसे उपचार से सिर्फ प्रबंधित कर सकते हैं, नियमित और समय पर दवा लेना और जीवनशैली में बदलाव ही मधुमेह के उपचार हैं।

ठीक वैसे ही अवसाद भी है, लेकिन इसे प्रबंधित करने के लिए बहुत सारे प्रभावी उपचार मौजूद हैं, जो ठीक होने में मदद करते हैं। इलाज जितनी जल्दी शुरू होगा, सफलता की संभावना उतनी अधिक होगी। अवसाद से पीड़ित बहुत से लोग उपचार के बाद ठीक हो जाते हैं। पर याद रखें! कुछ लोगों में इसकी पुनरावृत्ति भी हो सकती है।

पुनरावृत्ति को रोकने के लिए, जो लोग अवसाद की दवा लेते हैं, उन्हें उपचार जारी रखना चाहिए, लक्षणों में सुधार या दूर होने के बाद भी, जब तक डॉक्टर बंद करने की सलाह नहीं दे देते हैं। इसलिए अवसाद को लेकर चिंता करने वाली कोई बात नहीं है, लोग अवसाद से उबर भी सकते हैं, और लंबा और स्वस्थ जीवन भी जी सकते हैं।

A woman suffering from premenstrual dysphoric disorder

अवसाद (डिप्रेशन) के लक्षण क्या होते हैं? (What are the Symptoms of Depression?)

अवसाद से ग्रस्त सभी लोगों को एक समान लक्षणों का अनुभव नहीं होगा, यह विभिन्न प्रकार के लक्षण पैदा कर सकता है। कुछ आपके मूड को, तो अन्य आपके शरीर को प्रभावित करते हैं। लक्षण गंभीरता के अनुसार भिन्न हो सकते हैं, वे जारी रह सकते हैं या आते जाते रह सकते हैं।

यदि आप कम से कम 2 सप्ताह के लिए लगभग हर दिन निम्नलिखित लक्षणों में से कुछ का अनुभव करते हैं, तो आप अवसाद के साथ जी रहे हैं:

  • लगातार उदास रहना
  • पसंदीदा शौक, खेल या काम में दिलचस्पी ख़त्म होना
  • वजन कम होना या वजन बढ़ना
  • असामान्य रूप कम या ज्यादा उत्तेजित होना
  • कार्यशक्ति कम होना
  • अधिक सोना या सोने में कठिनाई
  • अपराधबोध से ग्रस्त या बेकार की बातें सोचना
  • ध्यान लगाने या निर्णय लेने में असमर्थता
  • आत्मघाती विचार, या जान देने का प्रयास करना

अवसाद अन्य लक्षण भी पैदा कर सकता है, जिसमें बेचैनी, भूख न लगना, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, पुराना दर्द, सिरदर्द और पाचन संबंधी समस्याएं शामिल हैं।

हालांकि ये लक्षण सामान्य हैं, लेकिन अवसाद से ग्रस्त हर व्यक्ति में एक जैसे नहीं होंगे। वे कितने गंभीर हैं, कितनी बार होते हैं, और कितने समय तक चलते हैं, यह अलग-अलग हो सकता है। आपके लक्षण अलग स्वरूप में भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, अवसाद ऋतुओं में बदलाव के साथ आ सकता है।

अवसाद (डिप्रेशन) कितने प्रकार होते हैं? (How many types of Depression?)

अवसाद के कई रूप हैं। नीचे कुछ सबसे सामान्य प्रकार दिए गए हैं।

प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार

प्रमुख अवसाद से ग्रसित व्यक्ति लगातार उदासी की स्थिति का अनुभव करता है। वे उन गतिविधियों में भी रुचि दिखाना बंद कर सकते हैं, जिनमें वे कभी बहुत आनंदित होते थे। इसके उपचार में आमतौर पर दवा और मनोचिकित्सा दोनों शामिल होता है।

लगातार अवसादग्रस्तता विकार

यह डिस्टीमिया (Dysthymia) के नाम से भी जाना जाता है, लगातार अवसादग्रस्तता विकार ऐसे लक्षणों को जन्म देता है, जो कम से कम 2 साल तक चलते हैं।

इस विकार से दुःखी व्यक्ति में प्रमुख अवसाद के प्रसंग के साथ-साथ हल्के लक्षण भी हो सकते हैं, लेकिन जो प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार के निर्धारित लक्षणों को पूरा नहीं करते हैं।

प्रसवोत्तर अवसाद

बच्चे को जन्म देने के बाद, कुछ महिलाओं को कुछ समय के लिए उदासी या भावनाओं के बढ़ने का अनुभव होता है, जिसे लोग “Baby blues” भी कहते हैं। यह स्थिति आमतौर पर कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों में ख़त्म हो जाती है। प्रसवोत्तर अवसाद, या प्रसवोत्तर अवसाद, अधिक गंभीर है।

इस प्रकार के अवसाद का कोई एक कारण नहीं होता है, और यह महीनों या वर्षों तक बना रह सकता है। प्रसव के बाद इस प्रकार के अवसाद का अनुभव करने वाले को अपनी स्थिति को डॉक्टर को बतानी चाहिए।

मौसमी पैटर्न के साथ प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार

पहले यह Seasonal Affective disorder (SAD) के रूप में जाना जाता था, इस प्रकार का अवसाद आमतौर पर सर्दियों और पतझड़ के महीनों के दौरान होता है, जब दिन की रोशनी कम होती है। यह शेष वर्ष के दौरान और प्रकाश चिकित्सा के कारण यह गायब हो जाता है। यह स्थिति विशेष रूप से उन लोगों को ही प्रभावित करती है, जो लंबे समय तक या ठन्डे प्रदेशों में रहते हैं।

अवसाद (डिप्रेशन) का कारण क्या है? (What is the Cause of Depression?)

Medical science अभी तक अवसाद के कारणों को पूरी तरह से समझ नहीं पाया है। इसके कई संभावित कारण हैं, और कभी-कभी, विभिन्न कारक लक्षणों को ट्रिगर करने के लिए एकदूसरे से जुड़ जाते हैं। Trigger करने की संभावना वाले कारकों में शामिल हैं:

  • मस्तिष्क संरचना (Brain structure) – यदि आपके दिमाग का फ्रंटल लोब (Frontal lobe) कम सक्रिय है, तो डिप्रेशन का खतरा अधिक होता है। हालांकि, वैज्ञानिक यह नहीं जानते हैं, कि यह अवसाद के लक्षणों की शुरुआत से पहले होता है या बाद में।
  • मस्तिष्क रसायन शास्त्र (Brain Chemistry) – आपके मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitter) नामक रसायन आपके मूड के बनने और बिगड़ने में एक अहम् भूमिका निभाते हैं, जब आपको अवसाद होता है। ऐसा होने का कारण यह है, कि ये रसायन वैसे काम नहीं कर रहे होते हैं, जिस तरह से उन्हें करना चाहिए।
  • हार्मोन (Hormones) – शरीर में हार्मोन के स्तर में असंतुलन अवसाद पैदा करने या ट्रिगर में अपना योगदान कर सकता है। हार्मोन परिवर्तन गर्भावस्था, प्रसवोत्तर की समस्याओं, थायराइड की समस्या, और रजोनिवृत्ति या कई अन्य स्थितियां अवसाद के लक्षणों की वजह बन सकते हैं।
  • परिवारिक इतिहास – यदि आपके परिवार में अवसाद या किसी अन्य मनोदशा संबंधी विकार का इतिहास है, तो आपको अवसाद होने का जोखिम बढ़ जाता है।
  • जीवन की घटनाएं – कुछ घटनाएं आपके शरीर के डर और तनावपूर्ण स्थितियों के प्रति प्रतिक्रिया करने के तरीके को प्रभावित करती हैं; जैसे तनाव, किसी प्रियजन की मृत्यु, कोई आघात, अलगाव, संबंधों में धोखा और भरोसे की कमी अवसाद का कारण बन सकती है।
  • आनुवंशिकी (Genetics) – शोधकर्ताओं को अभी तक ऐसे जीन (Gene) नहीं मिले हैं, जो अवसाद के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, लेकिन यदि आपका संबंध ऐसे किसी व्यक्ति से है, तो आपके अवसादग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • चिकित्सा स्थितियां – कुछ स्थितियां आपको उच्च जोखिम में डाल सकती हैं, जैसे कि गंभीर पुरानी बीमारी, अनिद्रा, पुराना दर्द, पार्किंसंस रोग, स्ट्रोक, दिल का दौरा और कैंसर।
  • व्यक्तित्व – जो लोग आसानी से परिस्थितियों के आगे हार मान लेते हैं या उसका सामना करने में परेशानी या कठिनाई होती है, ऐसे लोग अवसाद के शिकार हो सकते हैं।
  • पदार्थ का उपयोग – मादक द्रव्यों या शराब का अत्यधिक दुरुपयोग अवसाद के विकसित होने का कारण बन सकता है।
  • पीड़ा या दर्द – जो लोग लंबे समय तक भावनात्मक या पुरानी शारीरिक पीड़ा को महसूस करते रहते हैं, उनमें अवसाद विकसित होने की संभावना काफी प्रबल होती है।

विभिन्न कारकों के बीच परस्पर क्रिया से अवसाद का खतरा बढ़ सकता है। उदाहरण के लिए, पारिवारिक इतिहास या अवसाद के आनुवंशिक जोखिम वाले व्यक्ति को मानसिक क्षति पहुँचाने वाली घटना के बाद अवसाद के लक्षणों का अनुभव हो सकता है।

महिलाओं में डिप्रेशन के कारण और लक्षण

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अवसाद की समस्या लगभग दोगुनी होती है।

शोधकर्ताओं को यह नहीं पता है, कि महिलाओं में अवसाद की समस्या अधिक सामान्य क्यों दिखाई देती है। हालाँकि, 2021 के एक अध्ययन के अनुसार, ऐसा अंतर रिपोर्टिंग में असमानताओं के कारण हो सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अवसाद के लक्षणों की जानकारी और इलाज कराने की संभावना अधिक थी।

कुछ शोध बताते हैं कि लिंग भेदभाव के कारण अवसाद का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, कुछ प्रकार के अवसाद महिलाओं के लिए एकदम अनूठे होते हैं, जैसे कि प्रसवोत्तर अवसाद और मासिक धर्म से पूर्व बेचैनी की समस्या।

महिलाओं को उनसे संबंधित लक्षणों का अनुभव हो सकता है:

  • मूड, जैसे चिड़चिड़ करना
  • भावनात्मक हाल चाल, जैसे उदासी या खालीपन, चिंता या निराशा महसूस करना
  • व्यवहार, जैसे काम के प्रति निरुत्साह, सामाजिक संबंधों से दूरी, या आत्महत्या के विचार
  • संज्ञानात्मक क्षमताएं, जैसे कि कम और धीरे बोलना या बहुत सोचकर बोलना
  • नींद का स्वरूप, जैसे रात में नींद न आना, जल्दी जागना, या बहुत अधिक सोना
  • शारीरिक स्वास्थ्य, जैसे कार्यक्षमता में कमी, अत्यधिक थकान, भूख में कमी, वजन कम होना, पीड़ा होना, सिरदर्द होना

Worried woman sitting on the floor next to the sofa

पुरुषों में डिप्रेशन के कारण और लक्षण

National Health and Nutrition की Study के आंकड़ों के अनुसार, जो मानसिक स्वास्थ्य लक्षणों की आत्म-रिपोर्ट पर निर्भर करता है, 5.5% पुरुष 10.4% महिलाओं की तुलना में दी गई 2-सप्ताह के समय में अवसाद के लक्षणों के बारे में रिपोर्ट करते हैं।

अवसाद से ग्रस्त पुरुषों में महिलाओं की तुलना में अधिक शराब पीने, क्रोध प्रदर्शित करने और विकार के कारण खतरा मोल लेने की संभावना अधिक होती है।

पुरुषों में अवसाद के दूसरे लक्षण कुछ इस के प्रकार हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • मूड, जैसे क्रोधित होना, आक्रामक होना, चिड़चिड़ करना, चिंता या बेचैनी महसूस करना
  • भावनात्मक हाल चाल, जैसे खालीपन, उदास या निराश महसूस करना
  • व्यवहार, जैसे इच्छाओं का मरना, उत्साह की कमी, थकान महसूस करना, आत्महत्या के विचार, अत्यधिक शराब पीना या नशीली वस्तुओं का सेवन
  • पारिवारिक जिम्मेदारियों से भागना और सामाजिक संबंधों से दूरी
  • यौन रुचि, जैसे यौन इच्छा में कमी या यौन क्षमता में कमी
  • संज्ञानात्मक क्षमताएं, जैसे कि मन का भटकना, कार्यक्षमता में कमी, या उत्तर देने में देरी करना, बिना रुके काम करते रहना
  • नींद की परेशानी, जैसे नींद न आना, करवट बदलना या अत्यधिक नींद आना

कॉलेज के छात्रों में डिप्रेशन के कारण और लक्षण

कॉलेज के शुरुआती दिन थोड़े तनावपूर्ण हो सकते हैं, क्योंकि जब कोई पहली बार अन्य जीवन शैली, संस्कृतियों और अनुभवों से उसका सामना होता है, तो थोड़ा तनावग्रस्त हो सकता है।

कुछ छात्रों को इन बदलाओं से तालमेल बैठाने में कठिनाई होती है, और परिणामस्वरूप वे अवसाद, चिंता या दोनों का शिकार हो सकते हैं।

कॉलेज के छात्रों को अवसाद के निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव हो सकते हैं:

  • पढाई लिखाई में मन न लगना
  • आँखों से नींद गायब होना या बहुत ज्यादा सोना
  • भूख न लगना या भूख में कमी या वृद्धि होना
  • सामाजिक गतिविधियों या दोस्तों से दूरी बनाना
  • शराब या नशीली वस्तुओं की तरफ आकर्षित होना
  • खुद को नुकसान पहुँचाना या कोशिश करना

किशोरावस्था में डिप्रेशन के कारण और लक्षण

किशोरों में हार्मोनल और शारीरिक बदलाव, साथियों का दबाव और दूसरे कारक अवसाद का कारण बन सकते हैं। बहुत से किशोर दुखी या मूडी महसूस करते हैं। यदि किशोर की उदासी 2 सप्ताह से अधिक समय तक बनी रहती है, तो किशोर में अवसाद की समस्या हो सकती है।

किशोरों में निम्नलिखित अवसाद के कुछ लक्षणों का अनुभव हो सकता है:

  • गुस्सा, उदासी और चिड़चिड़ापन महसूस करना
  • खुद को दोषी, असहाय, या बेकार महसूस करना
  • मित्रों और भाई बहनों से दूरी बनाना
  • स्कूल में खराब व्यवहार या गायब रहना, होमवर्क न करना
  • शराब या नशीली वस्तुओं की तरफ आकर्षित होना
  • खुद को नुकसान पहुँचाना या कोशिश करना

बच्चों में डिप्रेशन के कारण और लक्षण

3-17 आयु वर्ग के 4.4% बच्चों और किशोरों में अवसाद का निदान होता है। यह आंकड़ा हाल के वर्षों में बढ़ा है।

बच्चों में अवसाद स्कूली कार्य और सामाजिक गतिविधियों को कठिन बना सकता है। वे इस तरह के लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं:

  • मूड, जैसे उद्दंड व्यवहार या चिल्लाना, या रोना
  • भावनात्मक हाल चाल, जैसे अक्षमता की भावना, उदास रहना
  • व्यवहार, जैसे स्कूल न जाना या बहाने बनाना, दोस्तों या भाई-बहनों से कटना, खुद को नुकसान पहुंचाना
  • संज्ञानात्मक क्षमताएं, जैसे मन एकाग्र न कर पाना, स्कूल का होमवर्क न करना, या ग्रेड में कमी
  • नींद का स्वरूप, जैसे नींद न आना या अधिक सोना

छोटे बच्चे अपनी इस परेशानी को शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं, कि उन्हें कैसा महसूस हो रहा है। इससे उनके लिए अपनी उदासी की भावनाओं को समझा पाना कठिन हो सकता है।

वृद्ध वयस्कों में अवसाद के कारण और लक्षण

डिप्रेशन का बढ़ती उम्र से कोई संबंध नहीं होता है, इसलिए इसे कभी भी हल्के में न लें। दुर्भाग्य से, वृद्ध लोगों के अवसाद का निदान और उपचार नहीं किया जाता है, और ना ही मदद लेने की उनकी कोई मंशा भी रहती है। वृद्ध वयस्कों में अवसाद के लक्षण थोड़े अलग या कम स्पष्ट हो सकते हैं, जैसे:

  • याददाश्त कमजोर या गायब होना
  • व्यक्तित्व में परिवर्तन होना
  • शारीरिक दर्द, थकान, भूख न लगना
  • नींद की समस्या या नींद न आना
  • यौन इच्छा में कमी — ऐसा किसी चिकित्सीय स्थिति या दवा के कारण नहीं होता
  • सामाजिक गतिविधियों से दूरी बनाना
  • आत्मघाती विचार या भावनाएँ, विशेषकर वृद्ध पुरुषों में

अवसाद (डिप्रेशन) के ट्रिगर्स कौन से हैं? (What are the Triggers of Depression?)

भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक, शारीरिक घटनाएं या परिस्थितियां कुछ ऐसे ट्रिगर्स हैं, जो अवसाद के लक्षण प्रकट होने या वापस आने का कारण बन सकते हैं।

ये कुछ सबसे आम ट्रिगर हैं:

  • जीवन की तनावपूर्ण घटनाएं, जैसे घाटा होना, पारिवारिक कलह, और रिश्तों में अस्थिरता
  • पूरी तरह से ठीक हुए बिना अवसाद का इलाज बंद कर देना
  • चिकित्सीय स्थितियां, पुरानी बीमारी जैसे हृदय रोग या मधुमेह

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अवसाद (डिप्रेशन) के जोखिम क्या हैं? (What are the Risks of Depression?)

अवसाद के जोखिम जैव रासायनिक, चिकित्सा, सामाजिक, आनुवंशिक या परिस्थितिजन्य जैसे कारकों से जुड़े हो सकते हैं। सामान्य जोखिम कारकों में शामिल हैं:

  • लिंग (Gender)- प्रमुख अवसाद की प्रबलता महिलाओं में पुरुषों की तुलना में दोगुनी है।
  • आनुवंशिकी – यदि आपके परिवार में इसका इतिहास है, तो आपको अवसाद का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है।
  • सामाजिक आर्थिक स्थिति – वित्तीय समस्याओं और कथित निम्न सामाजिक स्थिति सहित सामाजिक आर्थिक स्थिति या आपके सामाजिक समर्थन (Social support) की कमी अवसाद के जोखिम को बढ़ा सकती है।
  • दवाएं – कुछ प्रकार की दवाएं जैसे, हार्मोनल गर्भनिरोधक गोलियां, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और बीटा-ब्लॉकर्स सहित कुछ अन्य दवाएं अवसाद के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
  • विटामिन डी की कमी – अध्ययनों ने अवसादग्रस्तता के लक्षणों को विटामिन डी के निम्न स्तर से जोड़ा है।
  • लिंग पहचान – 2018 के एक अध्ययन के अनुसार, ट्रांसजेंडर (Transgender) लोगों के लिए अवसाद का जोखिम अन्य जेंडर के लोगों की तुलना में लगभग 4 गुना अधिक है।
  • पदार्थ का दुरुपयोग – शराब या नशीली दवाओं या वस्तुओं का अत्यधिक सेवन करना। लगभग 21% लोग पदार्थ उपयोग विकार से ग्रस्त हैं, वे भी अवसाद का अनुभव करते हैं।
  • चिकित्सा रोग – अवसाद अल्जाइमर या पार्किंसन, मधुमेह, Chronic Obstructive Pulmonary disease (COPD) बीमारियों से जुड़ा हुआ है। दिल की बीमारी वाले लोगों में अवसाद होने की संभावना उन लोगों की तुलना में लगभग दोगुनी होती है, जिन्हें नहीं है, जबकि कैंसर से पीड़ित 4 में से 1 व्यक्ति को भी अवसाद का अनुभव हो सकता है।

अवसाद के कारण अक्सर आपके स्वास्थ्य के अलावा अन्य तत्वों से भी जुड़े होते हैं – जैसे जीवन की कुछ खास घटनाओं का अनुभव करना, जैसे कि शोक, काम से जुड़ी समस्याएं, रिश्तों में बदलाव, वित्तीय समस्याएं, और चिकित्सा संबंधी चिंताएं।

Depressed and sad young man sitting at home alone

अवसाद (डिप्रेशन) एक लक्षण है

अवसाद के लक्षण किसी अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थिति के साथ या सह-रुग्णता (co-morbidity) के रूप में भी हो सकता है। उदाहरणों में शामिल:

मानसिक अवसाद

मनोविकार भ्रम की स्थिति पैदा कर सकता है, जैसे कि झूठी कल्पनायें जो वास्तविकता से कोसों दूर होती हैं। इसमें मतिभ्रम भी शामिल हो सकता है – उन चीजों को भी महसूस करना जो मौजूद ही नहीं हैं।

कुछ लोगों को मनोविकृति के साथ अवसाद का अनुभव होता है। मनोविकृति से ग्रस्त व्यक्ति, जो एक गंभीर मानसिक बीमारी है, इसके परिणामस्वरूप उसे अवसाद का अनुभव हो सकता है।

वैकल्पिक रूप से, अवसाद के साथ जीने वाले व्यक्ति की स्थिति गंभीर रूप धारण कर सकती है, यदि उसमें मनोविकृति के लक्षण भी शामिल हो जाएं।

दोध्रुवी विकार

डिप्रेशन बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar disorder) का एक सामान्य लक्षण है। द्विध्रुवी विकार वाले लोग अवसाद के समय का अनुभव करते हैं, जो हफ्तों तक बना रह सकता है। वे सनकीपन के समय का भी अनुभव करते हैं, जो एक ऐसा मूड है, जिसके कारण व्यक्ति बहुत खुश या आक्रामक या नियंत्रण से बाहर हो सकता है।

अवसाद (डिप्रेशन) का निदान कैसे करते हैं? (How to Diagnose Depression?)

यदि किसी व्यक्ति को इस बात की आशंका है, कि उसे अवसाद के लक्षण हैं, तो उन्हें डॉक्टर या मनोरोग विशेषज्ञ की मदद लेनी चाहिए।

एक योग्य डॉक्टर ही विभिन्न कारणों को ख़ारिज करके अवसाद के लक्षणों का सटीक मूल्यांकन सुनिश्चित कर सकता है और उसके लिए सुरक्षित और प्रभावी उपचार प्रदान कर सकता है।

वे लक्षणों के बारे में सवाल पूछेंगे, जैसे कि वे कब से मौजूद हैं। डॉक्टर शारीरिक कारणों की जांच भी कर सकता है और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों का पता लगाने के लिए रक्त परीक्षण कराने को कह सकते हैं।

मनोरोग विशेषज्ञ DSM-5 नियमावली के अनुसार आपसे प्रश्न पूछ सकते हैं। DSM-5 का उपयोग एक मनोचिकित्सक मानसिक विकारों का निदान करने में करते हैं, आपको कम से कम 2 सप्ताह तक इनमें से पांच या अधिक लक्षणों के मिलने का मतलब है, आपको अवसाद है।

DSM-5 manual की पूरी जानकारी – DSM-IV to DSM-5 Major Depressive Episode/Disorder Comparison

अवसाद (डिप्रेशन) का उपचार कैसे करते हैं? (How to treat Depression?)

अवसाद उपचार योग्य है। यद्यपि, उपचार उस व्यक्ति के सटीक प्रकार पर निर्भर करता है, जिस अवसाद के साथ वह जी रहा है।

हालांकि, लगभग 40% लोग शुरू में उपचार के प्रति उदासीन रहते हैं, कोई प्रतिसाद नहीं देते हैं। राहत पाने के लिए संयुक्त उपचार या दवाओं को लेने की आवश्यकता हो सकती है। लगभग 10 में से 4 लोग 12 महीनों के भीतर अपने लक्षणों से राहत मिल जाती है, लेकिन अवसाद वापस आ सकता है।

लक्षणों का प्रबंधन करने में आमतौर पर तीन चीजें महत्वपूर्ण होती हैं:

  • पारिवारिक समर्थन: यह व्यावहारिक समाधान और संभावित कारणों पर चर्चा करने से लेकर परिवार के सदस्यों को शिक्षित करने तक हो सकता है।
  • मनोचिकित्सा: इसे Talking therapy के रूप में भी जाना जाता है, कुछ विकल्पों में परामर्श और Cognitive Behavioral therapy (CBT) शामिल हैं।
  • दवा और उपचार: डॉक्टर अवसादरोधी (Antidepressants) दवाएं लिख सकता है।

अवसादरोधी दवाएं

अवसादरोधी दवाएं मध्यम से गंभीर अवसाद का इलाज करने में मदद कर सकती हैं। अवसादरोधी दवाओं के कई प्रकार हैं:

चयनात्मक सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर (SSRIs)

SSRIs सबसे अधिक निर्धारित एंटीडिप्रेसेंट दवाएं हैं और इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हैं। वे मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन (Serotonin) की उपलब्धता को बढ़ाकर अवसाद का इलाज करते हैं।

सेरोटोनिन और नॉरपेनेफ्रिन रीपटेक इनहिबिटर (SNRIs)

SNRIs मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन और नॉरपेनेफ्रिन (Norepinephrine) की मात्रा बढ़ाकर अवसाद का इलाज करते हैं। SNRI को MAOI के साथ नहीं लेना चाहिए, यदि आपको लीवर या किडनी की समस्या है।

ट्राइसाइक्लिक और टेट्रासाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट (TCAs and TECAs)

ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स (TCAs) और टेट्रासाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स (TECAs) आपके मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन और नॉरपेनेफ्रिन की मात्रा बढ़ाकर अवसाद का इलाज करते हैं। टीसीए SSRIs या SNRIs की तुलना में TCAs के अधिक दुष्प्रभाव होते हैं।

एटिपिकल एंटीडिप्रेसेंट

नॉरएड्रेनालाईन और डोपामाइन रीपटेक इनहिबिटर (एनडीआरआई)

ये दवाएं मस्तिष्क में डोपामाइन (Dopamine) और नॉरएड्रेनालाईन (Noradrenaline) के स्तर को बढ़ाकर अवसाद का इलाज कर सकती हैं।

मोनोमाइन ऑक्सीडेज इनहिबिटर (MAOIs)

MAOIs आपके मस्तिष्क में नॉरपेनेफ्रिन, सेरोटोनिन, डोपामाइन और टायरामाइन के स्तर को बढ़ाकर अवसाद का इलाज करते हैं।दुष्प्रभाओं और सुरक्षा कारणों से मानसिक विकारों के इलाज के लिए MAOIs पहली पसंद नहीं हैं। इनका प्रयोग तभी किया जाता है, जब अन्य दवाएं इलाज में असफल हो जाती हैं।

एन-मिथाइल डी-एस्पार्टेट (NMDA) प्रतिपक्षी

एन-मिथाइल-डी-एस्पार्टेट (NMDA) विरोधी मस्तिष्क में ग्लूटामेट के स्तर को बढ़ाकर अवसाद का इलाज करते हैं। ग्लूटामेट एक न्यूरोट्रांसमीटर है जिसे अवसाद में शामिल होता है। NMDA प्रतिपक्षी का उपयोग केवल उन रोगियों में किया जाता है जिन्हें अन्य अवसादरोधी उपचारों में सफलता नहीं मिली है।

FDA ने अवसाद के इलाज के लिए एक NMDA दवा, Esketamine (Spravato REMS) को मंजूरी दी है।

दवाओं का प्रत्येक प्रकार एक अलग न्यूरोट्रांसमीटर या न्यूरोट्रांसमीटर्स के संयोजन पर कार्य करता है।

इन दवाओं को केवल डॉक्टर द्वारा निर्धारित और निर्देशानुसार ही लेना चाहिए। कुछ दवाओं का असर दिखने में थोड़ा समय लग सकता है। उपचार के बीच में दवा लेना या बंद कर देने से, दवा का फायदा नहीं मिलता है, जैसा कि आपको पहले ही बताया गया होगा।

कुछ लोग लक्षणों में थोड़ा सुधार होने के बाद दवा लेना बंद कर देते हैं, लेकिन इससे समस्या फिर से उत्पन्न हो सकती है। दवा लेने से कुछ समस्या हो, तो अवसादरोधी के बारे में डॉक्टर से अपनी चिंता को अवगत कराना चाहिए।

अवसादरोधी दवाओं के दुष्प्रभाव

कुछ अवसादरोधी दवाएं जैसे SSRI और SNRI के दुष्प्रभावों का अनुभव कुछ ही लोगों को हो सकता है:

  • जी मिचलाना
  • कब्ज
  • दस्त
  • निम्न रक्त शर्करा
  • वजन बढ़ना या कम होना
  • उतावलापन या आतुरता
  • कामेच्छा में कमी या नपुंसकता

2004 में US Food and Drug Administration (FDA) ने दवा निर्माताओं को अवसादरोधी दवा की बोतलों के लेबल पर “ब्लैक बॉक्स” में चेतावनी लिखने की बात कही थी।

चेतावनी इंगित करती है कि, अन्य खतरों के अलावा, ये दवाएं उपचार के शुरू के कुछ महीनों के भीतर कुछ बच्चों, किशोरों और युवाओं में आत्मघाती विचारों या कार्यों को बढ़ावा दे सकती हैं। जबकि, खतरे में वृद्धि होती है, लेकिन असली खतरा (अवसाद) कम रहता है।

मनोचिकित्सा (Psychotherapy)

अवसाद के कुछ रूपों के लिए, मनोचिकित्सा आमतौर पर पहला उपचार होता है। संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (CBT) और पारस्परिक मनोचिकित्सा अवसाद के उपचार के लिए दो मुख्य प्रकार की मनोचिकित्सा हैं, जिसमें पीड़ित की चिकित्सक के साथ व्यक्तिगत सत्रों में, समूहों में, फोन पर या ऑनलाइन CBT हो सकती है।

मनोचिकित्सा, जिसे “Talk therapy” के रूप में भी जाना जाता है, तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी प्रशिक्षित चिकित्सक से बात करके उन कारकों से निपटने के लिए सीखता है, जो उनकी मानसिक स्वास्थ्य स्थिति में योगदान करते हैं, जैसे कि अवसाद।

अवसाद और अन्य मानसिक विकारों वाले लोगों में लक्षणों में सुधार के लिए मनोचिकित्सा अवसाद और अन्य मानसिक विकार वाले लोगों के लिए एक प्रभावी उपचार है। अवसाद के कुछ रूपों के लिए, मनोचिकित्सा आमतौर पर पहला उपचार होता है, जबकि कुछ लोग मनोचिकित्सा और दवाओं के संयोजन के प्रति सकारात्मक प्रतिसाद देते हैं।

संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (Cognitive Behavioral therapy)

संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (CBT) में, एक चिकित्सक आपके विचारों के, हानिकारक व्यवहारों और भावनाओं के बीच संबंध को पहचानने के लिए काम करेगा। तब वे आपके हानिकारक विचारों और व्यवहारों को बदलने के लिए नियमित रूप से काम करते हैं। आपका चिकित्सक आपको “होमवर्क” दे सकता है, जहाँ आप नकारात्मक विचारों को अधिक सकारात्मक विचारों से बदलने का अभ्यास करते हैं।

द्विभाषी व्यवहार थेरेपी (Dialectical Behavior Therapy)

डायलेक्टिकल बिहेवियर थेरेपी (DBT) CBT के समान है, लेकिन इससे लड़ने के बजाय सत्यापन, या असहज विचारों, भावनाओं और व्यवहारों को स्वीकार करने पर विशेष जोर देती है।

साइकोडायनेमिक थेरेपी (Psychodynamic therapy)

साइकोडायनेमिक थेरेपी टॉक थेरेपी का एक रूप है, जो आपको अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन को बेहतर ढंग से समझने और सामना करने में आपकी मदद करती है। साइकोडायनेमिक थेरेपी इस विचार पर आधारित है कि आपकी वर्तमान वास्तविकता आपके अचेतन, बचपन के अनुभवों से आकार लेकर प्रतिबिंबित होती है।

प्रकाश चिकित्सा (Light therapy)

सफेद रोशनी के संपर्क में आने से आपके मूड को नियंत्रित करने और अवसाद के लक्षणों को सुधारने में मदद मिल सकती है। लाइट थेरेपी का उपयोग आमतौर पर मौसमी उत्तेजित विकार में करते हैं, जिसे अब मौसमी स्वरूप के साथ प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार कहते हैं।

इलेक्ट्रोकोनवल्सी थेरेपी (Electroconvulsive therapy)

मस्तिष्क उत्तेजना उपचार एक अन्य उपचार का विकल्प है। उदाहरण के लिए, दोहराए जाने वाले ट्रांसक्रानियल चुंबकीय उत्तेजना (Transcranial Magnetic stimulation) मस्तिष्क को चुंबकीय तरंगें भेजती है, और इससे प्रमुख अवसाद का उपचार करने में सहायता मिल सकती है।

यह एक तरह से मस्तिष्क को “रीसेट” करने में मदद करता है, और न्यूरोट्रांसमीटर्स के साथ या अन्य मुद्दों को ठीक कर सकता है, जो अवसाद का कारण बनते हैं।

यदि किसी को अवसाद की दवा के उपचार में कुछ फायदा नहीं मिल रहा हो, तो व्यक्ति को (ECT) से उसे फायदा हो सकता है। हालांकि, कि डॉक्टर भी पूरी तरह से यह नहीं समझते हैं, कि आखिर ECT काम कैसे करता है।

अवसाद (डिप्रेशन) के प्राकृतिक उपचार क्या हैं? (What are the Natural Remedies for Depression?)

कुछ लोग हल्के से मध्यम अवसाद का इलाज करने के लिए प्राकृतिक उपचार जैसे हर्बल दवाओं का उपयोग करते हैं। हालांकि, हर्बल उत्पादों की गुणवत्ता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है, कि क्या वे सुरक्षित या प्रभावी हो सकते हैं?

2018 में अवसाद के लिए हर्बल उपचार की एक व्यवस्थित समीक्षा रिपोर्ट में हर्बल उपचार से सम्बन्धित सकारात्मक परिणामों बारे में बताया गया, कि प्रमाणित अवसादरोधी दवाओं की तुलना में इसके दुष्प्रभाव कम हैं।

निम्नलिखित कुछ लोकप्रिय जड़ी-बूटियाँ और पौधे हैं, जिनका उपयोग लोग आमतौर पर अवसाद के इलाज के लिए करते हैं:

  • बसंत फूल (St. John’s wort): यह उन लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है, जिन्हें बाइपोलर डिसऑर्डर है या हो सकता है।
  • जिनसेंग: पारंपरिक चिकित्सा के चिकित्सक इसका उपयोग मानसिक स्पष्टता में सुधार और तनाव को कम करने के लिए करते हैं।
  • बबूने का फूल (Chamomile): इसमें फ्लेवोनोइड्स होते हैं, जिनका अवसादरोधी प्रभाव हो सकता है।
  • लैवेंडर: यह चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं से निपटने में मदद कर सकता है।

अवसाद के इलाज के लिए किसी भी प्रकार के हर्बल उपचार को करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करना आवश्यक है। कुछ जड़ी-बूटियाँ अन्य दवाओं के कार्य को प्रभावित कर सकती हैं या लक्षणों को बदतर (और ख़राब) बना सकती हैं।

अवसाद और व्यायाम

एरोबिक (Aerobic) व्यायाम करने से, एंडोर्फिन (Endorphins) के स्तर में बढ़ोत्तरी होती है, जो न्यूरोट्रांसमीटर्स को उत्तेजित करते हैं, जिससे संभवतः अवसाद और चिंता में कमी आती है। 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार, उपचार-प्रतिरोधी अवसाद में व्यायाम विशेष रूप से सहायक हो सकता है।

व्यायाम का सबसे बड़ा लाभ तब मिलता है, जब कोई व्यक्ति इसे मान्य उपचार, जैसे कि एंटीडिप्रेसन्ट और मनोचिकित्सा के साथ जोड़ देता है।

अवसाद और योग

योग को अपनी रोज की दिनचर्या का हिस्सा बनायें। घर से बाहर निकलें, प्रतिदिन सैर पर जाएं, व्यायाम और योग को अपने जीवन में स्थान दें ताकि तनाव आपके पास फटक भी न पाये।

कुछ योग – आसन हैं जो अवसाद से बाहर निकलने या कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं, जिनमे शामिल हैं:

  • भुजंगासन
  • धनुरासन
  • अर्धमत्स्येन्द्रासन
  • नौकासन
  • त्रिकोनासन
  • अधोमुख श्वान आसन

एक बात हमेशा याद रखें, इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं, जीवन तब तक सही नहीं चल सकता है, जब तक आप चीजों को सही नहीं करते।

यदि आप सही परिणाम की आशा करते हैं, तो आप कार्यों का चयन सही तरीके से करें फिर देखिये आपके जीवन का हर दिन किसी खूबसूरत चमत्कार से कम नहीं है।

पूरक दवाएं (Supplements)

हल्के से मध्यम अवसाद के लक्षणों का इलाज करने के लिए लोग उपरोक्त जड़ी-बूटियों को पूरक के रूप में ले सकते हैं। कुछ अन्य प्रकार के पूरक और भी हैं, जो इन लक्षणों का इलाज करने में मदद और सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

  • S-Adenosyl-L-Methionine (Equal) – कुछ शोध बताते हैं, कि यह शरीर में एक प्राकृतिक रसायन का सिंथेटिक रूप है, जो अवसाद के लक्षणों को कम कर सकता है। हालाँकि, इस पर और अधिक शोध की जरूरत है, क्योंकि शोधों के परिणाम उतने स्पष्ट नहीं हैं।
  • 5-Hydroxytryptophan (5-HTP) – यह मस्तिष्क में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ा सकता है, जो लक्षणों को कम कर सकता है। जब आप ट्रिप्टोफैन का सेवन करते हैं, तो आपका शरीर इस रसायन का निर्माण करता है। हालाँकि, इस बारे में और अधिक अध्ययन की जरूरत है।
  • ओमेगा -3 फैटी एसिड – ये आवश्यक वसा तंत्रिका संबंधी विकास और मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। अपने आहार में ओमेगा-3 वसा को शामिल करने से, आपको अवसाद के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकती है।

पूरक लेने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य बात करें, क्योंकि वे अन्य दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकते हैं या नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

विटामिन (Vitamins)

शरीर के लिए विटामिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। शोध से पता चलता है, कि अवसाद के लक्षणों को कम करने के लिए दो विटामिन विशेष रूप से उपयोगी होते हैं:

  • विटामिन बी: ​​बी-12 और बी-6 मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। विटामिन बी का स्तर कम होने से अवसाद विकसित होने का जोखिम अधिक हो सकता है।
  • विटामिन डी: इसे सनशाइन विटामिन भी कहा जाता है, विटामिन डी मस्तिष्क, हृदय और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। अवसाद और विटामिन डी की कमी के बीच क्या संबंध है, इस पर अधिक शोध की आवश्यकता है।

कई जड़ी-बूटियाँ, पूरक और विटामिन अवसाद के लक्षणों को कम करने में मदद करने का दावा तो करते हैं, लेकिन अधिकांश नैदानिक ​​​​अनुसंधान (Clinical research) में खुद को प्रभावी साबित नहीं कर पाए।

अवसाद (डिप्रेशन) के लिए भोजन और आहार

2019 के एक अध्ययन के शोध परिणाम बताते हैं, कि बहुत अधिक मीठा या प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खाने से विभिन्न शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। एक ऐसा आहार जिसमें इस प्रकार के भोजन या खाद्य पदार्थ हैं, युवा वयस्कों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।

अध्ययन में यह भी पाया गया, कि निम्नलिखित में से अधिक से अधिक खाद्य पदार्थ खाने से अवसाद के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है:

डिप्रेशन में क्या खाना चाहिए?

  • विटामिन सी – पत्तेदार हरी सब्जियां, खट्टे फल और दूसरे फल और सब्जियां
  • विटामिन डी – सैल्मन, झींगा, अंडे, फोर्टिफाइड दूध, जूस और अनाज के उत्पाद
  • विटामिन बी – रेड मीट, मछली, अंडे, डेयरी उत्पाद, साबुत अनाज और पत्तेदार हरी सब्जियां
  • मैग्नीशियम, सेलेनियम और जिंक – मेवे, बीज, साबुत अनाज, हरी सब्जियां और मछली
  • कार्बोहाइड्रेट – साबुत अनाज की ब्रेड और अनाज, ब्राउन राइस, बाजरा, फलियां, और स्टार्च वाली सब्जियां, जैसे आलू, मक्का, मटर, और कद्दू
  • ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड – सैल्मन, ट्राउट, टूना, बीन्स, अखरोट, ब्रोकोली, फूलगोभी, पालक, खरबूजे, चिया बीज, और कनोला और अलसी का तेल

डिप्रेशन में क्या नहीं खाना चाहिए?

  • शराब – शराब और नशीली दवाएं आपको आपके नींद के चक्र से दूर कर देते हैं और मिजाज और चिंता का कारण भी बनते हैं। इसलिए, यदि आप दवा ले रहे हैं, तो शराब और ड्रग्स के दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
  • फ़ास्ट फ़ूड और जंक फ़ूड – चिप्स, सैंडविच, हैम्बर्गर, फ्राइड चिकन, फ्रेंच फ्राइज़, प्याज के छल्ले, चिकन नगेट्स, टैकोस, पिज्जा और हॉट डॉग
  • रिफाइंड चीनी – कैंडी, केक, आइसक्रीम, कैंडी पेस्ट्री, कुकीज़, सोडा, फलों के रस, डिब्बाबंद फल और प्रसंस्कृत मांस
  • कैफीन – कॉफी, ग्रीन टी, कोको बीन्स, चॉकलेट, च्युइंग गम, ग्वाराना, एनर्जी ड्रिंक और कोला नट्स। चॉकलेट के स्वाद वाले खाद्य पदार्थ

अवसाद और चिंता (Depression and Anxiety)

एक ही समय पर व्यक्ति में अवसाद और चिंता दोनों हो सकती है। वास्तव में, शोध से पता चला है, कि अवसादग्रस्तता विकार वाले 70% से अधिक लोगों में चिंता के लक्षण भी होते हैं।

हालांकि ऐसा माना जाता है, कि वे अलग-अलग वजहों से होते हैं, अवसाद और चिंता कई बार एक समान लक्षण पैदा कर सकते हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैं:

  • चिड़चिड़ापन
  • स्मरणशक्ति या एकाग्रता में कठिनाई
  • नींद की समस्या

अवसाद और मनोग्रसित-बाध्यता विकार (Obsessive Compulsive Disorder)

मनोग्रसित-बाध्यता विकार (OCD) एक प्रकार का चिंता विकार है। यह अवांछित और विचारों की पुनरावृत्ति, आग्रह और भय (जुनून) का कारण बनता है। इन आशंकाओं के कारण डर या भय वश बार-बार पूजा पाठ करते रहते हैं, जिससे उन्हें उम्मीद होती है, कि यह भय से उत्पन्न हुए तनाव को कम करेगा।

OCD के निदान वाले लोग अक्सर खुद को डर और मजबूरियों के पाश में पाते हैं। ऐसी स्थिति वाले लोग सबसे अलग-थलग महसूस कर सकते हैं। इससे दोस्तों और सामाजिक गतिविधियों से दूरी हो सकती है, जो आपके अवसाद के जोखिम को और बढ़ा सकता है।

OCD वाले किसी व्यक्ति को भी अवसाद होना असामान्य नहीं है। चिंता विकार होने से आपके दूसरे विकार के होने की संभावना बढ़ सकती है। OCD वाले 80% लोगों में प्रमुख अवसादग्रस्तता एपिसोड भी होते हैं।

मनोविकृति के साथ अवसाद (Depression with Psychosis)

कुछ व्यक्तियों में प्रमुख अवसाद के साथ-साथ मनोविकृति नामक एक अन्य मानसिक विकार के लक्षण भी हो सकते हैं। जब दो स्थितियाँ एक साथ होती हैं, तो इसे अवसादग्रस्तता मनोविकार के रूप में जाना जाता है।

अवसादग्रस्त मनोविकृति वाले लोग भ्रम के कारण लोग ऐसी चीजों को देखते, सुनते, मानते या सूंघते हैं जो वास्तविक नहीं हैं। ऐसी हालत वाले लोग भी उदासी, निराशा और चिड़चिड़ापन की भावनाओं का अनुभव कर सकते हैं।

दो स्थितियों का संयोजन विशेष रूप से खतरनाक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अवसादग्रस्त मनोविकार वाले व्यक्ति को भ्रम का अनुभव हो सकता है, जो उनमें आत्महत्या के विचार या असामान्य जोखिम लेने का कारण बनता है।

इन दोनों स्थितियों का कोई स्पष्ट कारण पता नहीं है, कि वे एक साथ कैसे हो सकते हैं, लेकिन उपचार लक्षणों को सफलतापूर्वक कम कर सकता है।

गर्भावस्था में अवसाद (Depression in Pregnancy)

गर्भावस्था का समय एक महिला के लिए रोमांचक होता है। हालांकि, गर्भावस्था में गर्भवती महिला के लिए अवसाद का अनुभव करना भी सामान्य हो सकता है।

गर्भावस्था के समय महिलाओं को अवसाद के निम्न लक्षण हो सकते हैं:

  • खाने की इच्छा में बदलाव बहुत कम या बहुत ज्यादा खाना
  • निराशा, चिंता या उदासी महसूस करना
  • किसी चीज में मन न लगना
  • एकाग्रचित्त होने या याद रखने में कठिनाई
  • नींद की समस्या (अनिद्रा या बहुत अधिक सोना) शामिल है
  • मृत्यु या आत्महत्या के विचार

गर्भावस्था के दौरान अवसाद का उपचार पूरी तरह से टॉक थेरेपी और अन्य प्राकृतिक उपचारों पर केंद्रित हो सकता है। जबकि, कुछ महिलाएं एंटीडिप्रेसेंट लेती हैं, यह स्पष्ट नहीं है कि कौन सी सबसे सुरक्षित हैं।

बच्चा पैदा होने के बाद भी अवसाद का खतरा बना रह सकता है, जिसे प्रसवोत्तर अवसाद कहा जाता है।

अवसाद और शराब (Depression and Alcoholism)

शोधों ने इस बात को साबित किया है, कि शराब का उपयोग और अवसाद के बीच एक गहरा संबंध है। जिन लोगों को अवसाद है, वे शराब का दुरुपयोग करने की अधिक संभावना रखते हैं। जितने लोग पदार्थ उपयोग विकार का अनुभव करते हैं, लगभग 50% लोगों में सह-होने वाली मानसिक बीमारी थी।

बार-बार और अधिक मात्रा में शराब पीने से अवसाद के लक्षण बिगड़ सकते हैं, और जो लोग अवसादग्रस्त हैं, उनके शराब पर निर्भर होने के और उसके दुरुपयोग की संभावना अधिक होती है।

a woman abusing alcohol due to depression

क्या डिप्रेशन अनुवांशिक है?

यदि आपके माता-पिता या भाई-बहन अवसादग्रस्त हैं, तो आपको अवसाद होने की संभावना अन्य लोगों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक होती है। हालांकि, अवसाद से पीड़ित सभी लोगों के पास ऐसा कोई पारिवारिक इतिहास नहीं होता है।

एक नये शोध अध्ययन से पता चलता है, कि अवसाद की संवेदनशीलता का कारण आनुवंशिक भिन्नता नहीं हो सकती है। शोधकर्ता मानते हैं, कि कुछ लोगों को अवसाद विरासत के तौर पर मिल सकता है, पर इसके उभरने में कई अन्य मुद्दे भी प्रभावपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

क्या अवसाद (डिप्रेशन) विकलांगता है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अवसाद दुनिया भर में मानसिक विकलांगता का प्रमुख कारण माना गया है। अवसाद से पीड़ित लगभग 10 से 15% लोग आत्महत्या करते हैं और लगभग 20% से अधिक आत्महत्या का प्रयास करते हैं।

एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 200 मिलियन भारतीय जो मनोसामाजिक अक्षमताओं के साथ जी रहे हैं, यह वयस्कों, किशोरों और बच्चों यानि हर किसी को प्रभावित कर सकता है।

अवसाद की रोकथाम कैसे करें?

विशेषज्ञ अवसाद को आमतौर पर रोके जाने योग्य नहीं मानते हैं, क्योंकि इसे पहचानना थोड़ा कठिन है, जिसके कारण इसे रोक पाना मुश्किल होता है।

लेकिन एक बार जब आप अवसादग्रस्तता एपिसोड का अनुभव कर लेते हैं, तो इससे सीखकर आप भविष्य के एपिसोड को रोकने के लिए बेहतर तरीके से तैयारी कर सकते हैं, कि कौन से जीवनशैली में बदलाव और उपचार सहायक हो सकते हैं।

निम्नलिखित तकनीकें जो आपकी मदद कर सकती हैं, उनमें शामिल हैं:

  • नियमित व्यायाम करना
  • भरपूर नींद लेना
  • उपचार के साथ बने रहना
  • तनाव को कम करना
  • दूसरों के साथ संबंध को मजबूत बनाना

बार बार पूछे जाने वाले प्रश्न

यहाँ अवसाद के बारे में कुछ सामान्य प्रश्न दिए गए हैं।

डिप्रेशन दिमाग को कैसे प्रभावित करता है?

कोई भी निश्चित रूप से नहीं जानता कि अवसाद क्या होता है, लेकिन शोधकर्ताओं ने निर्धारित किया है कि यह एक विकार है जिसका जैविक आधार है और मस्तिष्क की रसायन शास्त्र इसमें एक बड़ी भूमिका निभाती है। अध्ययनों से पता चला है कि कैसे मस्तिष्क की संरचना और रसायनों में अंतर अवसाद में योगदान दे सकता है, लेकिन यह भी है, कि अवसाद होने से आपके मस्तिष्क में परिवर्तन होता है।

जब आप अवसाद से ग्रस्त होते हैं, तो आपका मस्तिष्क शारीरिक रूप से बदल जाता है। National Institutes of Health के शोध से पता चलता है, कि जब आप अवसाद से पीड़ित होते हैं तो आप Gray matter volume (GMV) गँवा देते हैं। यह नुकसान आपके मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं के विकास को बाधित करने वाले हार्मोन कोर्टिसोल (hormone cortisol) के कारण आपके मस्तिष्क के कुछ हिस्सों के सिकुड़ने के कारण होता है।

अधिक जानकारी के लिए पढ़ें – डिप्रेशन के दौरान दिमाग को क्या होता है?

क्या डिप्रेशन आपके व्यक्तित्व को बदल देता है?

अब तक हुए शोधों से मिश्रित परिणाम मिले हैं, कि क्या अवसाद वास्तव में किसी के व्यक्तित्व में बदलाव ला सकता है या नहीं।

प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार (MDD) के सबसे प्रमुख लक्षणों में एक गंभीर और लगातार कम मूड, गहरा दुख या निराशा की भावना शामिल है। जिस तरह से अवसाद मस्तिष्क को प्रभावित करता है, उसका परिणाम सीधे व्यक्तित्व परिवर्तन में हो सकता है।

अधिक जानकारी के लिए पढ़ें – क्या प्रमुख अवसाद स्थायी व्यक्तित्व परिवर्तन का परिणाम है?

क्या डिप्रेशन आपकी सोच को प्रभावित करता है?

डिप्रेशन सिर्फ ख़ुशी के आड़े ही नहीं आता है, अपितु यह आपके सोचने की क्षमता को भी बाधित कर सकता है। यह आपके ध्यान, याददाश्त और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है। 2013 की एक शोध अध्ययन के अनुसार, अवसादग्रस्त लोगों को उन वस्तुओं को पहचानने में परेशानी होती है, जो उनके द्वारा देखी गई वस्तु के जैसी या एक समान थीं।

2015 के एक अध्ययन ने भी यही निष्कर्ष निकाला था, कि अवसाद अल्पकालिक स्मृति हानि का कारण बन सकता है। जब आपको यह याद न हो, कि आपने नाश्ते में क्या खाया था, या आप किसी महत्वपूर्ण घटना को ही भूल जाएँ। ध्यान रखें कि स्मृति हानि के और भी कई कारण हो सकते हैं, इसलिए अपने लक्षणों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।

डिप्रेशन से कौन सी बीमारियाँ होती हैं?

लोगों में अवसाद के साथ-साथ अन्य चिकित्सा या मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं होना आम बात है, जैसे कि चिंता, मनोग्रसित-बाध्यता विकार (OCD), पैनिक डिसऑर्डर, फोबिया, ड्रग एब्यूज डिसऑर्डर और खाने के विकार। यदि आप में अवसाद या किसी अन्य मानसिक बीमारी के लक्षण हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें जो उपचार मदद कर सकते हैं।

क्या कुछ दवाएं अवसाद का कारण बन सकती हैं?

कुछ लोगों में, दवाएं अवसाद का कारण बन सकती हैं। उदाहरण के लिए, बार्बिटुरेट्स, बेंजोडायजेपाइन, और मुँहासे की दवा आइसोट्रेटिनॉइन जैसी दवाएं कभी-कभी अवसाद से संबद्ध हो जाती हैं, खासकर वृद्ध लोगों में। इसी तरह, पेट की ऐंठन को दूर करने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, ओपिओइड (कोडीन, मॉर्फिन) और एंटीकोलिनर्जिक्स जैसी दवाएं कभी-कभी मूड में बदलाव और अस्थिरता का कारण बन सकती हैं। यहां तक कि बीटा-ब्लॉकर्स नामक रक्तचाप की दवाएं भी अवसाद से संबद्ध हो जाती हैं।

अवसाद और पुरानी बीमारी के बीच क्या संबंध है?

एक पुरानी बीमारी अवसाद का कारण बनती है। पुरानी बीमारी एक ऐसी बीमारी है जो बहुत लंबे समय तक चलती है और आमतौर पर पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकती है। हालांकि, पुरानी बीमारियों को अक्सर आहार, व्यायाम, जीवनशैली में बदलाव करके और कुछ दवाओं के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है। मधुमेह, हृदय रोग, गठिया, कैंसर, गुर्दे की बीमारी, एचआईवी और एड्स, ल्यूपस और मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस) जैसी पुरानी बीमारियां अवसाद का कारण बन सकती हैं।

अधिक जानकारी के लिए पढ़ें – 10 चिकित्सीय स्थितियां अवसाद से जुड़ी हुई हैं

क्या अवसाद पुराने दर्द से जुड़ा है?

दर्द और अवसाद दोनों मस्तिष्क क्षेत्र और न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन सिस्टम में गहरा संबंध है। जिससे अवसाद दर्द का कारण बन सकता है – और पुराना दर्द अवसाद का कारण बन सकता है। कभी-कभी दर्द और अवसाद दोनों मिलकर एक दुष्चक्र बनाते हैं जिसमें दर्द अवसाद के लक्षणों को और बिगाड़ देता है, और फिर परिणामी अवसाद दर्द की भावनाओं को और भी बदतर कर देता है।

कई लोगों में, अवसाद अस्पष्ट शारीरिक लक्षण जैसे पीठ दर्द या सिरदर्द का कारण बनता है। इस तरह का दर्द अवसाद का पहला या एकमात्र संकेत हो सकता है।

दर्द और इसके कारण होने वाली समस्याएं आपको समय के साथ कमजोर करने के अलावा आपके मूड को भी प्रभावित कर सकती हैं। पुराने दर्द से पैदा हुई कई समस्यायें अवसाद की वजह बन सकती हैं, जैसे अनिद्रा और तनाव।

अधिक जानकारी के लिए पढ़ें – अवसाद और पुराने दर्द के बीच क्या सम्बन्ध है?

क्या डिप्रेशन अक्सर दुख के साथ होता है?

दु: ख किसी भी नुक्सान के लिए एक सामान्य प्रतिक्रिया है। नुकसान जो दु: ख का कारण बन सकते हैं, उनमें किसी प्रियजन की मृत्यु या अलगाव, नौकरी छूटना, या जीवन में किसी भी अन्य परिवर्तन, जैसे तलाक से पैदा “खालीपन” या सेवानिवृत्ति शामिल है।

कोई भी दुःख और हानि का अनुभव कर सकता है, लेकिन सबको नैदानिक अवसाद का अनुभव नहीं होगा, जो अवसाद में दु: ख वाले अवसाद से भिन्न होता है, इसमें कई अन्य लक्षण शामिल होते हैं जैसे आत्मसम्मान में कमी, भविष्य के बारे में नकारात्मक विचार और आत्महत्या, जबकि दु: ख में भावनाएं शामिल होती हैं किसी प्रियजन के लिए खालीपन, गम और लालसा, आनंद महसूस करने की एक अटूट भावना के साथ।

Last but not least…

अवसाद (डिप्रेशन) क्या है एक गंभीर, पुरानी चिकित्सा स्थिति है, यह अस्थायी, या एक दीर्घकालिक चुनौती भी हो सकती है, जो पीड़ित व्यक्ति के जीवन के हर पहलू को प्रभावित कर सकती है। आत्मघाती विचारों के मन में पनपने से यह और भी घातक हो सकता है। अवसाद के साथ जीना मुश्किल हो सकता है, लेकिन उपचार आपके जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

लोग डिप्रेशन से बाहर निकलने का रास्ता नहीं खोजते हैं। अवसाद किसी व्यक्तिगत असफलता या कमजोरी का संकेत नहीं है। यह इलाज योग्य है, और जल्दी इलाज कराने से ठीक होने की संभावना बढ़ सकती है। लेकिन याद रखें, उपचार आपके अवसाद को पूरी तरह से दूर नहीं करता है।

चूंकि अवसाद का इलाज करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, इसलिए व्यक्ति को उपचार के लिए अवसाद में विशेषज्ञता वाले डॉक्टर को देखना और कई अलग-अलग उपचारों को आजमाने के लिए तैयार रहना महत्वपूर्ण है। अवसाद के लक्षणों को प्रबंधित करने में दवाओं और उपचारों का सही संयोजन सर्वोत्तम परिणाम प्रदान करता है।

 

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Disclaimer

इस Article के माध्यम से दी गई जानकारी, केवल शिक्षा के उद्देश्य से बीमारियों और स्वास्थ्य के बारे में लोगों को सचेत करने का एक साधन मात्र है। हमेशा कोशिश रहती है कि हर लेख संपूर्ण और सटीकता से परिपूर्ण हो।इस Blog पर उपलब्ध किसी भी सलाह, सुझावों को निजी स्वास्थ्य के लिए उपयोग में लाने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

 

https://www.bridgestorecovery.com/blog/how-major-depression-affects-the-brain-and-body-why-residential-treatment-can-help/https://www.webmd.com/depression/guide/what-is-depressionhttps://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/depression/symptoms-causes/syc-20356007https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/depression/diagnosis-treatment/drc-20356013https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/9290-depressionhttps://www.healthline.com/health/depressionhttps://www.medicalnewstoday.com/articles/8933https://neurosciencenews.com/depression-thinking-skills-9297/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK519712/table/ch3.t5/

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Ashok Kumar
Ashok Kumar

नमस्कार दोस्तों,
मैं एक Health Blogger हूँ, और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के बारे में शोध-आधारित लेख लिखना पसंद करता हूँ, जो शिक्षाप्रद होने के साथ प्रासंगिक भी हों। मैं अक्सर Health, Wellness, Personal Care, Relationship, Sexual Health, और Women Health जैसे विषयों पर Article लिखता हूँ। लेकिन मेरे पसंदीदा विषय Health और Relationship से आते हैं।

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