
दालों के नाम – भारत में प्रसिद्ध और प्रचलित दालें फोटो के साथ
दोस्तों, आज के लेख का शीर्षक है “दालों के नाम – भारत में प्रसिद्ध और प्रचलित दालें फोटो के साथ” यह बहुत ही मजेदार लेख है और इसे पढ़ने में आपको बहुत मजा आएगा। हालाँकि इनमें से कुछ दालें प्रांतीय स्तर पर प्रचलित हैं तो कुछ दालें पूरे भारतवर्ष में बनाई और खाई जाती हैं। दालें प्रोटीन से भरपूर होती हैं इसके अलावा इसमें विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ और ‘ई’ के साथ पोटेशियम, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, कॉपर, फोलेट और फाइबर की मात्रा भी बहुत होती है।
दाल के बारे में…
भारत में दाल बहुत प्रकार की मिलती है और हर दाल एकदूसरे से अलग होती है साथ में पोषण भी जैसे कि मूंग दाल पचने में आसान, चना दाल में प्रोटीन और फाइबर वहीं मसूर की दाल पेट के लिए फायदेमंद।
कुछ को हम दाल के रूप में पकाकर खाते हैं तो वहीं कुछ साबुत दालों को सब्जी के रूप में भी खाते हैं जैसे चना, काबुली चना (छोला), राजमा, मटर (सूखी और हरी) इत्यादि।
भारतीय घरों में दाल हर दिन बनाई और खाई जाती है क्योंकि यह बनाने में आसान, सेहतमंद और खाने में स्वादिष्ट भी होती है। अब आपको अपने खाने में कौन सी दाल शामिल करनी चाहिए इसके लिए आपको सभी दालों के नाम पता होने चाहिए।
बाजार में आपको कई प्रकार की दाल मिल जाएंगी। इनमें से कुछ दाल छिलके के साथ मिलती है और कुछ बिना छिलके के साथ। इसीलिए आज हम आपके लिए भारत में प्रसिद्ध दालों की सूची वैज्ञानिक नाम (Botanical Name) के साथ लेकर आये हैं। इसमें सभी दालों के नाम और प्रकार फोटो के साथ जानकारी शामिल है। इसकी मदद से आप हर प्रकार की दाल को आसानी से पहचान सकते हैं।
आशा करता हूँ कि दालों के नाम हिंदी और इंग्लिश में बताने वाली यह पोस्ट आपको बहुत पसंद आएगी। मगर उसके पहले हम ये जानेंगे कि आखिर दाल किसे कहते हैं, यह हमें कहाँ से और कैसे प्राप्त होती है।
दाल किसे कहते हैं?
दाल भी अनाज की ही श्रेणी में आती है, जिसे दलहन के नाम से भी जाना जाता है। यह दाल के पौधों की फल / फली (छिम्मी legume) होती है।
जिसे पकने बाद इसे पौधों से तोड़कर धूप में सुखाते हैं, फलों के सूख जाने के बाद उनमें से बीजों को निकाल लेते हैं। इन्हीं बीजों को ही दाल कहते हैं, जिसे हम सभी रोज़ाना दाल के रूप में इस्तेमाल करतें हैं।
दालों की पहचान करते समय इन 2 महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखकर ही दाल की जाँच करें –
- छिलके वाली दाल (छिलका दाल) है, और बिना छिलके की दाल (धुली दाल) है।
- पूरी दाल (साबुत दाल) है, और दो भागों में विभाजित (टूटी दाल) है।
इन महत्वपूर्ण बातों को हमेशा ध्यान में रखें
साबुत मतलब संपूर्ण/पूरा
धुली मतलब बिना छिलका के
छिलका मतलब छिलके के साथ
टूटी मतलब विभाजित (दो भाग में)
आम तौर पर किसी भी दाल का उल्लेख उसके छिलके के साथ किया जाता है, क्योंकि दाल को छिलके के साथ ही विभाजित किया जाता है।
तो आइए शुरू करते हैं दालों के नाम और प्रकार की जानकारी के बारे में, जिसमें से कोई ना कोई एक दाल हम सभी की पसंदीदा अवश्य होगी —
1. अरहर की दाल / तुअर दाल – Red Gram/ Pigeon Pea
अरहर की दाल को इंग्लिश में Pigeon Pea या Red Gram Dal के नाम से जाना जाता है। अरहर की दाल भारतीय दालों में सबसे ज्यादा खाई जाने वाली दाल है। इसे तुवर दाल या तुअर दाल भी कहते हैं।
अरहर की दाल खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होती है। और अगर दाल तड़के वाली मिल जाये, तो फिर उसके स्वाद के बारे में यही कह सकते हैं “सोने पे सुहागा”।
अरहर की दाल में प्रोटीन काफी मात्रा में पाया जाता है करीबन 22% प्रोटीन और उसके साथ ही फाइबर, फैट, कार्बोहाइड्रेट जैसे पौष्टिक तत्व भी पाए जाते हैं। इसका बैज्ञानिक नाम Cajanus cajan है।
2. मूंग – Green Gram
साबुत मूंग को इंग्लिश में Green Gram और Whole Mung कहते हैं। साबुत मूंग को भी दाल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। मूंग में 24% प्रोटीन के साथ के ही कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फाइबर जैसे बहुत सारे पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं।
मूंग दाल को भी प्रमुख दालों में से एक माना जाता है। मूंग का वैज्ञानिक नाम Vigna radiata है।
जिन लोगों को पाचन से सम्बंधित परेशानी हो वो लोग मूंग दाल को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। साबुत मूंग को अंकुरित करके भी खाया जाता है इसके बहुत फायदे हैं।
3. हरी मूंग दाल छिलका – Split Green Gram
साबूत मूंग को तोड़कर दो भागों में विभाजित कर देते हैं मगर इसका छिलका नहीं निकालते हैं तो उसे Split Green gram हरी मूंग की दाल या मूंग छिलका दाल कहा जाता है। मूंग की दाल बनाने में सबसे आसान है। यह सुपाच्य होने के साथ- साथ पोषण से भरपूर भी होती है।
4. मूंग की दाल – Yellow Mung Dal / Green Gram Skinned
साबूत मूंग का छिलका निकालकर उसे दो भागों में विभाजित कर देते हैं तो उसे Yellow Mung Dal / Green Gram Skinned मूंग की दाल कहते हैं। इसी मूंग दाल की मांग बाजार में सबसे ज्यादा रहती है।
मूंग की दाल बहुत सेहतमंद होती है। बीमारी में मूंग दाल की खिचड़ी बनाकर खिलाई जाती है क्योंकि यह आसानी से पच जाती है। इसे रोज खाने से वजन नियंत्रण में रहता है। इसके साथ ही यह दिल के रोगों में भी फायदा पहुंचाती है। इसे दाल के आलावा भी कई प्रकार से खा सकते हैं जैसे मूंग दाल का चीला, मूंग दाल का हलवा, मूंग के पकौड़े इत्यादि।
5. काली उड़द (उरद) – Black gram / Black Urad
काली उड़द (उरद) को इंग्लिश में Black Gram कहते हैं। साबुत काली उड़द को दाल के रूप में उपयोग किया जाता है। काली उड़द में प्रोटीन के अलावा फैट, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी, आयरन, फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम जैसे बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह भी प्रमुख दालों में से एक मानी जाती है। काली उड़द की दाल का वैज्ञानिक नाम Vigna Mungo है।
काली उड़द की दाल पोषण से भरपूर होती है। प्रतिदिन इसका सेवन करने से इंसान बीमारियों से दूर रहता है, और अगर गर्भवती महिलाएं इसका सेवन करें तो उनका बच्चा सेहतमंद चुस्त और सुंदर पैदा होता है। इस दाल से ढेरों प्रकार की डिश बनाई जाती है।
6. उड़द दाल छिलका – Split Black gram
साबूत उड़द का छिलका निकालकर उसे दो भागों में विभाजित कर देते हैं तो उसे Split Black Gram उड़द की दाल या उड़द छिलका दाल कहा जाता है। भारत में खाई जाने वाली सबसे आम दालों में से एक है। यह दाल विटामिनों का एक समृद्ध स्रोत है।
उड़द दाल छिलका गर्भवती महिलाओं के लिए अत्यधिक फायदेमंद है क्योंकि यह आयरन, कैल्शियम, फोलिक एसिड, मैग्नीशियम और पोटेशियम से भरपूर होती है। यह दाल भी खाने में स्वादिष्ट और आसानी से बन भी जाती है। उड़द दाल के फायदे बहुत हैं, इसलिए इसे अपनी डाइट में शामिल अवश्य करें।
7. धुली उड़द दाल – Skinned Black Gram / White Lentil
साबूत उड़द को तोड़कर दो भागों में विभाजित करके इसका छिलका निकाल देते हैं तो उसे Skinned Black Bram / White Lentil धुली उड़द दाल कहते हैं। इसी उड़द दाल की मांग बाजार में सबसे ज्यादा रहती है। साउथ इंडियन डिश तो इस दाल के बिना अधूरी है, इसके बिना डोसा, इडली और मेदू वडा जैसी डिश बन ही नहीं सकती।
8. हरी उड़द – Green Gram / Green Urad
हरी उड़द को अंग्रेजी में Green Gram / Green Urad कहते हैं। साबुत हरी उड़द को दाल के रूप में उपयोग किया जाता है। इसमें भी काली उड़द के समान बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह दाल अन्य दालों की अपेक्षा काम प्रचलित और खाई जाती है। हरी उड़द की दाल का वैज्ञानिक नाम भी Vigna Mungo है।
9. मसूर – Brown Lentil
मसूर को इंग्लिश में Brown Lentil कहते हैं। मसूर की दाल खाने में स्वादिष्ट और बेहद पौष्टिक होती है। मसूर की दाल में प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और फाइबर पाया जाता है।इसे खड़ी मसूर के नाम से भी जाना जाता है। यह भी एक प्रमुख दाल मानी जाती है। इसे दाल मखनी बनाने में भी इस्तेमाल करते हैं। तड़के वाली मसूर दाल खाने में स्वादिष्ट होती है। मसूर का वैज्ञानिक नाम Lens Culinaris है।
10. मलका मसूर / साबुत लाल मसूर – Whole Red Lentil
साबुत मसूर की दाल को इंग्लिश में Whole Red Lentil के नाम से जानी जाती है। मसूर का छिलका निकाल देते हैं मगर इसे दो टुकड़ों में नहीं तोड़ते हैं इसीलिए इसे साबुत लाल मसूर कहते हैं। यह मलका मसूर के नाम से भी प्रसिद्ध है। अपने के स्वाद के कारण ही ‘यह मुंह और मसूर की दाल’ जैसी कहावत बनी है।
11. मसूर की दाल – Split Red Lentil
मसूर को दो टुकड़ों में तोड़कर उसका छिलका निकाल दिया जाता है तो उसे Split Red Lentils या मसूर की दाल कहतें हैं। मसूर की दाल इसी रूप में सबसे अधिक बाजार में उपलब्द्ध है।
मसूर की दाल का उपयोग सूप बनाने में भी किया जाता है। बच्चों के लिए यह दाल बहुत फायदेमंद होती है क्योंकि इसमें प्रोटीन, फाइबर, आयरन आदि होता है जो बच्चों के दिमागी विकास के लिए जरूरी है। हमें बच्चों के खाने में मसूर की दाल को अवश्य शामिल करना चाहिए।
12. कुलथी दाल / कुरथी दाल / घाट की दाल – Horse Gram / Kulthi bean
कुलथी दाल उतनी प्रचलित तो नहीं है, लेकिन यह एक बहुत ही अच्छी दाल होती है। कुलथी दाल को इंग्लिश में Horse Gram कहते हैं। कुलथी दाल को पहाड़ी घाट की दाल के नाम से भी जाना जाता है। कुलथी दाल पोषक तत्वों से भरपूर होती है इसमें फास्फोरस, आयरन, मिनरल्स, कैल्शियम, वसा, कार्बोहाइड्रेट इत्यादि। यह अपने औषधीय गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है। कुलथी दाल का वैज्ञानिक नाम Macrotyloma Uniflorum है।
इस दाल के बहुत से फायदे हैं पेट की आम बीमारियों में, हड्डियों को मजबूत बनाए, डायबिटीज में फायदेमंद, इम्यून सिस्टम दुरुस्त करे, मेमोरी पावर बढ़ाये, दिल के रोगियों के लिए बेहद लाभकारी होती है।
13. खेसारी दाल – Grass Pea
खेसारी दाल का नाम शायद बहुत कम लोगों ने सुना या पता होगा। खेसारी दाल को इंग्लिश में Grass Pea कहते हैं। उत्तर भारत में इसे लतरी/लतारी के नाम से भी जानते हैं। खेसारी दाल में बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं जैसे आयरन, मैग्नीशियम और जिंक आदि। खेसारी दाल भी औषधीय गुणों वाली होती है। इसका वैज्ञानिक नाम Lathyrus Sativus Linn है।
यह दाल देखने में एकदम अरहर दाल की तरह ही दिखती है। कुछ मुनाफाखोर इसे अरहर दाल में मिलाकर बेचते हैं। इस दाल के भी बहुत सारे फायदे हैं जैसे कफ, पित्त को कम करे, शक्तिवर्धक, भूख बढ़ाये, बवासीर आदि में लाभकारी होती है।
खेसारी की दाल शरीर के लिए नुकसानदेह होती है ऐसा दुष्प्रचार करके भारत सरकार पर दबाव बनाया गया। कहा गया कि इस दाल का लंबे समय तक सेवन से न्यूरोलॉजिकल सम्बंधित यानी लैथरिज्म नाम का रोग हो जाता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 1961 में इसे प्रतिबंधित कर दिया।
इसके काफी दिनों बाद जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस इन रूरल प्रैक्टिस में एक रिपोर्ट प्रकाशित होती है। जिसमें न्यूरोलॉजिस्ट विजय नाथ मिश्र ने शोध के हवाले से इस बात का खंडन किया था, कि खेसारी दाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं बल्कि फायदेमंद है।
14. मोठ /मटकी – Moth / Turkish Gram / Matki
मोठ दाल को इंग्लिश में Moth bean / Turkish Gram कहते हैं। मोठ दाल को मटकी के नाम से भी जानते हैं। मोठ दाल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। यह प्रोटीन से भरपूर होने के साथ ही मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, मैंगनीज, आयरन, कॉपर, सोडियम और जिंक आदि भी होते हैं। मोठ दाल का वैज्ञानिक नाम Vigna Aconitifolia है।
इस दाल के सेहत से जुड़े कुछ फायदे हड्डियों को मजबूत करे, प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाये, मांसपेशियों को दुरुस्त करे, वजन घटाने में सहायक, ऊर्जा के स्तर को बढ़ाए, कब्ज में लाभकारी इत्यादि। मोठ दाल फायदेमंद है इसे अपनी नियमित डाइट में शामिल जरूर करें।
15. हरी मटर – Green Peas
हरी मटर को इंग्लिश में Green Peas कहते हैं। यह पोटैशियम से भरपूर होने के साथ ही विटामिन A, C, मैग्नीशियम, सोडियम, आयरन, आदि भी होते हैं। यह किसी भी डिश को स्वादिष्ट बना सकती है जैसे मटर पनीर, आलू मटर, Green Peas मसाला, मटर मलाई, मटर पुलाव आदि। मटर का वैज्ञानिक नाम Pisum Sativum है।
हरी मटर सर्दियों के मौसम में मिलती है, यह Antioxidants से भरपूर, वजन कम करने में सहायक, शुगर लेवल ठीक करे, इम्युनिटी ठीक करने में मदद करती हैं। हरी मटर से कई तरह की डिश बनाई जाती है, आजकल Frozen हरी मटर बाजार में हर Grocery स्टोर में आसानी से मिल जाती है।
16. सफेद मटर – White Peas
सफेद मटर को इंग्लिश में White Peas कहते हैं। इसे सूखी मटर के नाम से भी जाना जाता है। सफेद मटर भी काबुली चना की तरह छोले बनाने के काम आती है। मटर के छोले वाली चाट का स्वाद बहुत स्वादिष्ट होता है। मटर के छोले का इस्तेमाल अलग-अलग प्रकार की चाट में किया जाता है।
17. मटर की दाल – Yellow Split Peas / Matar Dal
मटर की दाल को इंग्लिश में भी Matar Dal ही कहते हैं। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, आयरन, सोडियम, जिंक के साथ विटामिन C, विटामिन K, विटामिन B6, आदि भी होते हैं। यह एकदम चने की दाल जैसी दिखती है। मगर चने की दाल के अपेक्षा सस्ती होती है। इसीलिए यह दाल ज्यादा लोकप्रिय नहीं है।
18. सूखी हरी मटर / वटाणा – Dried Green Peas
सूखी हरी मटर का इस्तेमाल सब्जी के रूप में अधिकतर किया जाता है। हरी मटर को सुखाकर मटर के दाने को दाल या सब्ज़ी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इससे कई प्रकार के व्यंजन भी बनाए जातें हैं।
19. काला चना – Black Chickpea/Bengal Gram
काला चना को इंग्लिश में Black Chick Peas/Bengal Gram कहते हैं। चने को किसी भी रूप में खाएं यह स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। काला चना कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम से भरपूर होता है। काला चने का वैज्ञानिक नाम Cicer Arietinum होता है।
चना खाना फायदेमंद है मगर अंकुरित चना खाना बहुत ज्यादा फायदेमंद है। अंकुरित चने में क्लोरोफिल, विटामिन ए, बी, सी, डी, फास्फोरस, पोटैशियम, मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। काला चना के बहुत से फायदे हैं जैसे पाचन क्रिया में, Anemia में, रक्त वर्धक, डायबिटीज में, बालों के लिए फायदेमंद इत्यादि। गरमी में चने का सत्तू बहुत राहत देता है। गर्मी में चने के सत्तू का सेवन करने मात्र से आप गर्मी एवम लू के दुष्प्रभावों से बचे रहते हैं।
20. चना दाल – Split Chickpea / Split Bengal Gram
चना दाल को इंग्लिश में Split Chick Peas/Split Bengal Gram कहते हैं। यह बहुत पौष्टिक होती है। भारत में ऐसे बहुत से लोग हैं जो रोज चने की दाल खाना पसंद करते हैं। चने की दाल में कार्बोहाइड्रेड, फाइबर, प्रोटीन,फोलेट, आयरन, फास्फोरस, मैंगनीज आदि। चना दाल भी मुख्य दालों में से एक है। यह खाने में भी काफी स्वादिष्ट होती है।
चने की दाल अकेले भी बना सकते हैं, और दूसरी दालों के साथ मिलाकर भी बना सकते हैं जैसे दाल मखनी और पंचमेल दाल। सब्जियों के साथ मिलाकर दाल बनाई जाती है जैसे लौकी के साथ, पालक के साथ और तोरई के साथ मिलाकर सब्जी बनाते हैं। बेसन को चने की दाल पीसकर बनाया जाता है।
21. काबुली चना/छोला – Chickpeas
काबुली चना को इंग्लिश में Chickpeas कहते हैं। यह चना की ही एक किस्म होती है जिसे काबुली चना कहते है। यह आकार में थोड़ा बड़ा होता है। इसे छोला चना भी कहा जाता है। यह स्वाद में बेहद लाजवाब होता है, यह छोले कुलचे और छोले भटूरे की जान होता है। इसमें आयरन, कैल्शियम, विटामिन सी, ए, ई, फोलेट, एंटीऑक्सीडेंट्स और भी कई तरह के न्यूट्रिशन से भरपूर काबुली चना हड्डियों के लिए बहुत ही अच्छा होता है। काबुली चना का वैज्ञानिक नाम Cicer Arietinum होता है।
छोले की कई सारी डिश बनाई जाती है छोले भटूरे, छोले कुलचे, छोले की सब्जी। छोले में एक घुलनशील फाइबर होता है जिसे रैफिनोज कहा जाता है। यह आपकी हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है। आप छोले कैसे खाना पसंद करेंगे या पसंद है? छोले- चावल, छोले कुलचे, छोले- भटूरे।
22. हरा चना – Fresh Green Chickpeas
हरा चना को इंग्लिश में Green Chana कहते हैं। हरा चना भी मटर की तरह प्रोटीन से भरपूर होता है और यह मांसपेशियों की बढ़ोत्तरी में काफी मददगार होता है। हरा चना प्रोटीन, विटामिन ए, सी, बी9 और फोलेट से भरपूर होता है।
जिसकी वजह से आपको सुस्त दिमाग और तनाव से लड़ने में मदद मिलती है। हरे चने में कई सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो सर्दी के लिए बहुत जरूरी हैं। इसमें एंटीऑक्सिडेंट गुण होने की वजह से आपकी इम्युनिटी और स्किन दोनों ही सही रहती है।
हरा चना सर्दी के लिए काफी हेल्दी फूड माना जाता है। अगर अभी तक आपने हरे चने को अपने खाने में शामिल नहीं किया है तो जरूर ट्राई कीजिए. हरे चने को आप जैसे चाहें वैसे खा सकते हैं, कच्चा या इसकी सब्जी बनाकर खा सकते हैं या कुछ और जैसे पराठा, सलाद इत्यादि। सर्दियों के मौसम में हरा चना को अपने खाने अवश्य शामिल करें इसलिए कि इसके बहुत सारे फायदे हैं।
23. सूखा हरा चना – Dried Green Chickpeas
सूखा हरा चना को इंग्लिश में Dried Green Chana ही कहते हैं। सूखा हरा चना भी हरा चना की तरह प्रोटीन और विटामिनों से भरपूर होता है। यह भी हमारे शारीरिक विकास में काफी मददगार होता है। इसको आप भूनकर या इसकी सब्जी बनाकर खा सकते हैं।
24. राजमा लाल – Kidney Bean Red
राजमा को इंग्लिश में Kidney Beans कहते हैं। राजमा की दो वराइटी बहुत मशहूर हैं, लाल राजमा और राजमा चितरा। यह बड़े और छोटे दोनों साइज में मिलता है। इसकी कई सारी किस्में पाई जाती हैं, मगर भारत में यही दो किस्में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं।
राजमा एक गुणकारी खाद्य पदार्थ है, जिसमें पोषक तत्वों की भरमार होती है। इसमें आयरन, कॉपर, फोलेट,मैग्रीशियम, कैल्शियम और विटामिन-सी जैसे कई सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं। राजमा का वैज्ञानिक नाम Phaseolus Vulgaris है।
राजमा खाने से हमारा Digestion System सही रहता है। जिन लोगों को पेट की परेशानी है वो लोग राजमा को अपनी डाइट का नियमित हिस्सा अवश्य बनायें।
25. राजमा चित्रा – Kidney Bean Chitra
राजमा खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है। चावल के साथ इसे खाने पर इसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है। पंजाबी खाने में राजमा का इस्तेमाल खूब होता है। राजमा खाने के ढेरों फायदे हैं मगर ज्यादा मात्रा में खाने पर यह नुकसान भी करता है।
26. लोबिया / चवली – Lobia / Black Eyed Bean/ Cowpea
लोबिया को इंग्लिश में Lobia/Black Eyed Bean कहते हैं। इसे Cowpea के नाम से भी जानते हैं। लोबिया खाने में तो स्वादिष्ट होता ही है और यह शरीर के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसमें प्रोटीन २४% के साथ वसा, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन, थायमीन, राइबोफ्लेविन, नियासीन, फ़ाइबर, एंटीऑक्सीडेन्ट, विटामिन बी2 और विटामिन सी जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। लोबिया का वैज्ञानिक नाम Vigna Unguiculata है।
इसकी हरी फलियों की सब्जी और सूखे बीजों को दाल या सब्जी दोनों तरह से इस्तेमाल किया जाता है। लोबिया खाने के कई सारे फायदे हैं जैसे कि वजन नियंत्रण में मदद, हड्डियों को मजबूत रखे, पेट संबंधित समस्याओं में, ब्लड शुगर सामान्य रखे आदि।
27. सेम – Lima bean/Butter Bean
सेम को अंग्रेजी में Lima Bean/Butter Bean कहते है।। इसे Vaal Dal के नाम से भी जानते हैं। सेम दाल और सब्जी दोनों खाने में बेहद स्वादिष्ट होती है। सेम में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन,मैग्निशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, फाइबर जैसे पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। इन पौष्टिक तत्वों का फायदा उठाने के लिए इसे अपनी डाइट में अवश्य शामिल करें। सेम का वैज्ञानिक नाम Phaseolus Lunatus है।
सेम की सब्जी बनाकर खाने से कुछ हद तक इसकी पौष्टिकताओं का फायदा मिलता है। सेम कब्ज की समस्या में राहत के लिए, स्किन प्रॉब्लम्स को दूर करने के लिए, खून साफ करने में मददगार होती है।
28. बाकला – Broad bean
बाकला को इंग्लिश में Fava Bean/Faba Bean कहते हैं। यह Broad Bean के नाम से बहुत मशहूर है। इसके नाम से Bean अवश्य जुड़ा है मगर यह मटर के परिवार (Pea family) से आती है। बाकला की सब्ज़ी लोग बड़े चाव खाते हैं क्योंकि यह पौष्टिकता से भरपूर होती है। इसमें प्रोटीन, फाइटो न्यूट्रीएंट्स, विटामिन बी, फोलेट, कैल्शियम, सेलेनियम, कॉपर, फाइबर, मैग्नीशियम और मिनरल्स आदि पोषक तत्व मौजूद होते हैं। बाकला का वैज्ञानिक नाम Vicia Faba है।
बाकला की सब्जी और सूखे बीजों को दाल या सब्जी दोनों तरह से इस्तेमाल किया जाता है। बाकला खाने के बहुत फायदे हैं जैसे रक्तचाप के लिये, गर्भवती महिलाओं के लिए, प्रतिरक्षा को बढ़ाए, वजन कम करने में, Osteoporosis से बचने के लिए, अवसाद को दूर करे, Parkinson’s रोग से बचाये, हृदय के लिए, आदि।
29. सोयाबीन – Soybean
सोयाबीन को इंग्लिश में Soybean कहते हैं। सोयाबीन को तिलहन और दलहन दोनों तरह से इस्तेमाल किया जाता है। कुछ लोग इसकी दाल बना कर खाते हैं तो कुछ लोग सब्जी। यह प्रोटीन से भरपूर होती है करीब 37%। मगर सोयाबीन को तेल के रूप में सबसे ज्यादा खाया जाता है। सोयाबीन का वैज्ञानिक नाम Glycine max है।
शारीरिक विकास के लिए दाल महत्वपूर्ण है
दालों को प्रोटीन का बहुत ही अच्छा स्रोत माना जाता है। प्रोटीन जो हमारे शरीर की सबसे अहम् जरूरतों में से एक है, यह हमारी मांसपेशियों व Immune System को मजबूत रखता है। प्रोटीन शारीरिक विकास और शरीर को सुचारू तरीके से काम करने के लिए बहुत जरूरी है, मगर इसे संतुलित मात्रा में ही लें।
प्रोटीन की कमी से कमजोरी और थकान वहीं ज्यादा होने पर वजन बढ़ने लगता है। Non Veg लोगों को प्रोटीन की कोई समस्या नहीं, मगर शाकाहारी लोग इसकी कमी को दाल खा कर पूरी करें और साथ ही dairy products (दूध, पनीर, दही) और मेवे भी खाएं जो प्रोटीन के अच्छे स्रोत होते हैं।
अंत में…
दालों के बिना भारतीय खाने की कल्पना करना भी बेमानी है। भारतीयों के दिल में दाल का एक विशेष महत्व होता है, क्योंकि दाल के बिना भारतीय खाने की थाली अधूरी मानी जाती है।
दालों के बहुत सारे फायदे हैं इसलिए इसे अपने खाने में जरूर शामिल करें। इस लेख की मदद से आप प्रसिद्ध और प्रचलित दालों के नाम और फायदों से जुड़ी ढेर सारी जानकारी बिना किसी दिक्कत के प्राप्त कर सकते हैं।
यह लेख उन लोगों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण (खास) है जो शहरों में रहते हैं जिनको दलहन व तिलहन के बारे ज्यादा कुछ पता नहीं होता है। आप लोगों से निवेदन है कि हमसे कोई दाल छूट गई हो और आपके प्रान्त में वह प्रचलित है तो कृपया उसके बारे में हमारे Comment Box में जरूर बतायें।
दोस्तों, इस लेख के माध्यम से आप सभी को दालों के नाम के बारे में अच्छी खासी जानकारी मिल गई होगी। आज का यह लेख आपको कैसा लगा नीचे बॉक्स में कमेंट जरूर करें। आपके कमेंट से ही मुझे और लिखने की प्रेरणा मिलेगी जिससे मैं अलग अलग विषयों पर अधिक जानकारी आप लोगों से शेयर कर पाउँगा। इस पोस्ट को आप सभी लोग अपने सोशल मीडिया पर लाइक और शेयर जरूर करें, जल्द वापस आऊंगा एक नयी पोस्ट के साथ।