खिचड़ी के प्रकार – क्या हैं इसके फायदे?
खिचड़ी भारत में बहुत ही लोकप्रिय व्यंजन है। आज मैं इस लेख माध्यम से आपको खिचड़ी के प्रकार – क्या हैं इसके फायदे? बताने वाला हूँ। इसको दाल और चावल को एक साथ मिलाकर तैयार करते हैं। लोग इसमें अपने स्वादानुसार सब्जियां और मसाले आदि मिलाते हैं। पकने के बाद इसमें घी से तड़का लगाने पर इसका स्वाद और बढ़ जाता है। वैसे तो खिचड़ी कभी भी और किसी भी मौसम में आप खा सकते हैं। सर्दियों में धूप में बैठकर गर्मागरम खिचड़ी खाने में जो मज़ा है वो किसी और मौसम में नहीं है।
खिचड़ी एक लोकप्रिय खाना हो सकता है लेकिन बहुत से लोगों को ये जरा भी पसंद नहीं आती। जोरों की भूख लगने या फिर पेट खराब होने की स्थिति में लोग अक्सर खिचड़ी ही बनाते हैं। क्योंकि यह बहुत ही कम समय में बन जाती है और हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद भी है।
खिचड़ी देखकर अक्सर लोग यही कहते हैं ये तो मरीजों का खाना है जबिक ऐसा नहीं है क्योंकि इसे तो सभी बड़े प्रेम के साथ खाते हैं क्या बीमार क्या स्वस्थ व्यक्ति। खिचड़ी बहुत ही फायदेमंद हैं जो आपकी सेहत और मूड दोनों को फिट रखती हैं।
2017 में, भारतीय मीडिया में यह प्रचारित किया जा रहा था कि सरकार खिचड़ी को भारत की “राष्ट्रीय व्यंजन” के रूप में नामित कर सकती है। लेकिन तभी (खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री) श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने यह स्पष्ट किया था कि खिचड़ी को पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक भोजन तो माना जाता है, लेकिन इसे राष्ट्रीय भोजन बनाने की कोई मंशा नहीं है।
खिचड़ी आमतौर पर देश के हर हिस्से में बनती है। तो आइए जानें खिचड़ी का इतिहास, खिचड़ी के प्रकार, उनके नाम और खाने के क्या फायदे हैं…
क्या है खिचड़ी का इतिहास? History of Khichdi
खिचड़ी का इतिहास बहुत पुराना है। राष्ट्रीय पहचान बना चुकी खिचड़ी का स्वाद हर शहर के साथ बदलता भी जाता है। भारत के एक कोने में साल में एक बार ‘खिचड़ी मेला’ भी लगता है। जो खिचड़ी के इतिहास से जुड़ा है। इतिहास के पन्नों को खोलें तो मालूम होता है कि खिचड़ी कोई सामान्य पकवान नहीं है, बल्कि यह भारत की धर्म और संस्कृति का उदाहरण देती है। लोक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा का आरंभ भगवान शिव ने किया था।
खिचड़ी मुख्यरूप से बंगाल, बिहार, हरियाणा, झारखंड, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, ओडिशा में बड़े ही चाव से खाई जाती है। खिचड़ी सिर्फ इन्ही राज्यों में ही नहीं बल्कि देश के हर कोने में बनायी और खाई जाती है। सर्दियों में तो लोग अक्सर ही इसे बनाते है। इसे “इंडिया का सुपर फूड” और “क्वीन ऑफ ऑल फूड” के नाम से सारी दुनिया जानती है।
खिचड़ी शब्द की उत्पत्ति
खिचड़ी एक संस्कृत शब्द “खिच्चा” से आया है। खिचड़ी एक एंग्लो इंडियन डिश केडगेरी और मिस्र की डिश कुशारि से मिलती जुलती है। 1350 में मोरोक्कन यात्री Ibn Battuta ने सिरका में रहते समय खिचड़ी का जिक्र किशरी के नाम से किया था। जिसे लोग चावल और मूंगदाल मिलाकर बनाते थे।
मुगल काल में खिचड़ी बहुत फेमस थी। 16 वीं सदी में मुगल शहंशाह अकबर के वजीर Shaikh Abu al-Fazal ibn Mubarak द्वारा लिखे गए मुगल दस्तावेज “Ain-I-Akbari” में भी खिचड़ी की रेसिपी लिखी गई थी और वो भी 7 अलग-अलग तरीकों से।
खिचड़ी न्यू्ट्रिशन से होती है भरपूर
भारत में बनाई जाने वाली खिचड़ी में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स, कैल्शियम, फाइबर, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और पोटेशियम की मात्रा भरपूर होती है। खिचड़ी में आप कई सारी सब्जियां भी मिला सकते हैं। जो इसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू और स्वाद दोनों को बढ़ा देती हैं। खिचड़ी खााने को लेकर लोगों की सोच कुछ ठीक नहीं है। जबकि खिचड़ी में हमारे लिए बहुत सारे फायदे मौजूद होते हैं।
कहावत है खिचड़ी के चार यार दही, पापड़, घी और अचार। मतलब यह है कि खिचड़ी खाते समय इनका साथ में होना जरूरी है। क्योंकि इन चारों का कॉम्बिनेशन खिचड़ी के स्वाद को और ज्यादा बढ़ा देता है।
भारत में खाई जाने वाली खिचड़ी के प्रकार
उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक भारतीय लोग अपनी परंपरा के अनुसार भिन्न भिन्न तरीकों से स्थानीय स्वाद के साथ खिचड़ी बनाते आ रहे हैं। यह हर राज्य में अलग अलग नामों से जाना जाता है मगर उनमें से कुछ बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध हैं।
- मूंग दाल की खिचड़ी
- अरहर दाल की खिचड़ी
- होल ग्रेन साबुत अनाज की खिचड़ी
- आयुर्वेदिक खिचड़ी
- मसालेदार खिचड़ी
- ड्रायफ्रूट खिचड़ी
- बाजरे की खिचड़ी
- दही वाली खिचड़ी
भारत में प्रसिद्ध खिचड़ी के प्रकार और नाम
यहाँ हम भारत में बनाई जाने वाली कुछ प्रसिद्ध खिचड़ी के प्रकार और नाम के बारे में बताने जा रहा हूँ, जिनके बारे में आपने सुना नहीं होगा।
तमिलनाडु की खिचड़ी पोंगल
यह खिचड़ी आमतौर पर फसल के मौसम के उत्सव के दौरान बनाई जाती है। पोंगल को दाल, चावल और शुद्ध घी के साथ मिलाकर बनाया जाता है। यह मसालेदार और मीठे दो प्रकार से बनाई जाती है। मीठा या चक्करा पोंगल जो भुने हुए सूखे मेवों से बनाया जाता है और देवताओं को भोग चढ़ाया जाता है। चटपटा या मेलुंग पोंगल थोड़ा मसालेदार होता है।
आंध्र प्रदेश की कीमा खिचड़ी
आंध्र प्रदेश विशेष तौर पर अपनी खाद्य परंपराओं के लिए काफी मशहूर है। यहाँ के बावर्ची खाने (किचन) में कीमा खिचड़ी बनाई जाती थी खास हैदराबाद के निजामों के लिए की शाही किचन । इसे दाल, चावल और मांस के कीमा को विभिन्न प्रकार के मसालों को एकसाथ मिलाकर बनाते हैं। इसका स्वाद कुछ कुछ बिरयानी के जैसा होता है मगर लाजवाब। इस खिचड़ी को खट्टी या मीठी चटनी के साथ परोसते हैं।
गुजराती खिचड़ी
अहमदाबाद के संस्थापक, सुल्तान अहमद शाह को इस खिचड़ी का बहुत शौक था। वह इसे रोज़ाना खाना पसंद करते थे। यह व्यंजन गुजरात बहुत मशहूर है और यह अलग-अलग रूपों में आता है। जैसे कि मीठा या नमकीन बिना सब्जियों के। इसे हमेशा मीठी गुजराती कढ़ी के साथ परोसा जाता है।
कर्नाटक का Bisi Bele Bhath
Bisi Bele Bhath एक विशेष खिचड़ी है और इसके एक से अधिक कारण है। पहला यह मूंग दाल की बजाय अरहर (तुअर) दाल के साथ विभिन्न प्रकार की सब्जियों को एकसाथ मिलाकर बनाते हैं। दूसरा है जायका; इसके जायके का राज़ छिपा है 30 मसालों के अद्वितीय मिश्रण में। जो इस मसाला खिचड़ी को एक अलग ही मज़ेदार स्वाद देता है। इसे खूब सारे देशी घी के साथ परोसते है।
बिहारी खिचड़ी
मकर संक्रांति के दिन बिहारी खिचड़ी को और भी अधिक लोकप्रियता मिलती है। क्योंकि इसे पूजा में प्रसाद की तरह चढ़ाये जाने का रिवाज़ है। इसे चावल, मूंग की दाल, उड़द की दाल, अदरक, मिर्च, और हींग को मिलाकर बनाते हैं। फिर इसमें देशी घी का तड़का लगाते हैं। इसे चोखा (भरता), पापड़ और आचार के साथ परोसते हैं।
बंगाली खिचौरी
बंगाली खिचौरी जो एक दलिया की तरह होता है। जिसको चावल, भुनी हुई मूंग दाल, देसी घी और अदरक के साथ बनाते है। लेकिन इसमें लहसुन या प्याज नहीं मिलाते है। क्योंकि इसे प्रसाद के रूप में भी चढ़ाया जाता है। कुछ लोग इसे सादा खाना पसंद करते हैं। वहीं कुछ लोग इसमें सब्जी मिलाना भी पसंद करते हैं। इसे बैंगन भाजा, भजिया, मीठी टमाटर की चटनी और तली हुई हिल्सा मछली के साथ परोसते हैं।
राजस्थानी बाजरे की खिचड़ी
राजस्थानी खिचड़ी सबसे अलग है क्योंकि इसमें चावल का उपयोग नहीं होता है। जो कि खिचड़ी में एक मुख्य सामग्री होती है। राजस्थान में चावल नहीं होता है, इसलिए ज्वार या बाजरे का प्रयोग खिचड़ी बनाने में होता है। इसको दही, लहसुन की चटनी या अचार के साथ परोसा जाता है।
कश्मीरी खिचड़ी मूंग खेचर
यह कश्मीर की पारंपरिक खिचड़ी है। यह चावल और छिलके वाली मूंग की दाल के साथ बनाई जाती है। कदम् के अचार के साथ इसका स्वाद दोगुना हो जाता है।
आंवला खिचड़ी – उत्तर प्रदेश
यह खासकर मकर सक्रांति के अवसर पर पारंपरिक रूप से बनाई जाती है। आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं यह खिचड़ी कितनी पौष्टिक है। इसे काले चने, चावल, और आंवला को मिलाकर बनाते हैं।
गढ़वाली खिचड़ी – उत्तराखंड
इस खिचड़ी को ‘तिल की खिचड़ी’ के नाम से भी जाना जाता है। इसे चावल, काले चने और तिल के साथ बनाया जाता है। यह सर्दियों के मौसम में ज्यादा खायी जाती है। क्योंकि तिल के कारण यह शरीर को गर्म रखती है।
मसाला भात – महाराष्ट्र
तुअर दाल के साथ विभिन्न प्रकार की सब्जियों और कई तरह के मसालों को एकसाथ मिलाकर बनाते हैं। मसाला भात बहुत का स्वाद बहुत ही जायकेदार होता है। इसे पापड़ और देशी घी के साथ परोसते है।
ओडिशा की खेचड़ी
ओडिशा में खिचड़ी को खेचड़ी कहते है। यह भगवान जगन्नाथ मंदिर का एक प्रिय भोग है। इसे अचार, दही, आलू भर्ता या बैंगन भर्ता के साथ परोसा जाता है।
खिचड़ी क्यों खानी चाहिए?
- खिचड़ी में पोषण तत्व भरपूर होते हैं।
- इसको खाने से बदहजमी नहीं होती है।
- यह वजन कम करने में मददगार है।
- खिचड़ी खाने से डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है।
- इसे खाने से वात, पित्त और कफ की समस्या नहीं होती है।
- इसको खाने से शरीर से हानिकारक तत्व निकल जाते हैं।
- खिचड़ी खाने से शरीर स्वस्थ और निरोगी रहता है।
खिचड़ी खाने के फायदे
आजकल की भागमभाग लाइफ की वजह से लोगों के पास समय की बहुत कमी है। इसलिए फास्ट फूड या बाहर खाने का चलन तेजी से बढ़ा है। इसके लिये हम अपने पारंपरिक खानपान की उपेक्षा करते जा रहे हैं। जबकि फास्ट फूड हमारी सेहत को बनाने के बजाय बिगाड़ रहा है।
हमारा पारंपरिक खाना ही हमारी सेहत को मजबूत बनाता है। जैसे कि खिचड़ी, आज भी बहुत से लोग खिचड़ी को बीमारों का खाना मानते हैं। खिचड़ी खाने को लेकर लोगों की सोच उदासीन है। शायद उन्हें नहीं पता कि खिचड़ी हमारे लिए कितनी फायदेमंद हैं। तो आइये जानते हैं खिचड़ी खाना हमारे लिए कितना फायदेमंद है…
1. खिचड़ी पाचन तंत्र को मजबूत करे
सर्दियों के मौसम में अपच की बहुत शिकायत होती है। जिनको कब्ज या अपच की शिकायत है तो खिचड़ी खाने से इसमें मदद मिलती है। सर्दियों के मौसम में खिचड़ी पाचन तंत्र को मजबूत करती है।
बहुत से लोग सिटिंग जॉब में होते हैं जिसके कारण एक ही जगह बैठकर घंटों काम करते रहते हैं। उनके लिए खिचड़ी बहुत अधिक लाभकारी हो सकती है। खिचड़ी को रात में दही के साथ बिल्कुल भी ना खाएं।
2. खिचड़ी ठंड से करे बचाव
सर्दियों के मौसम में बहुत से लोगों को कफ, फीवर या वीकनेस आदि की शिकायत होती है। अगर आप सर्दियों में नियमित रूप से खिचड़ी खाते हैं तो इससे आवश्यक पोषक तत्व मिलते रहते हैं। जिनकी वजह से शरीर जल्दी ठीक होता है।
3. खिचड़ी पचने में आसान
कभी आपने सोचा है कि आखिर बीमारी के बाद डॉक्टर खिचड़ी खाने के लिए क्यों कहते हैं? खिचड़ी सुपाच्य और हल्की होने की वजह से ही मरीज को खाने की सलाह दी जाती है। खिचड़ी खाने से शरीर के हानिकारक तत्त्व भी साफ होते हैं। खिचड़ी बुजुर्गों के लिए बहुत फायदेमंद खाना है।
4. खिचड़ी शरीर को डीटॉक्सीफाई करे
खिचड़ी आयुर्वेदिक आहार का एक प्रमुख भोजन है। नियमित रूप से खिचड़ी खाने से वात्त, पित्त और कफ जैसी समस्यायें पैदा नहीं होती है। इतना ही नहीं खिचड़ी शरीर को डीटॉक्सीफाई करने के साथ-साथ इम्युनिटी को सुधारने में भी मदद करती है।
5. एनर्जी और पोषण देती खिचड़ी
खिचड़ी जितनी खाने में स्वादिष्ट लगती है उतनी ही पोषण से भरपूर होती है। क्योंकि यह दाल, चावल, सब्जियों और विभिन्न मसालों के मिश्रण से तैयार होती है। खिचड़ी में मौजूद पोषक तत्व और विटामिंस हमारे शरीर को एनर्जी से भर देते हैं। नियमित रूप से खिचड़ी का सेवन करने से आपका शरीर निरोगी बना रहेगा।
6. पेट के लिए फायदेमंद खिचड़ी
खिचड़ी को एक हेल्दी फूड माना जाता है। ऐसा इसलिए कि खिचड़ी में आमतौर पर ज्यादा मसाले नहीं डालते हैं। यही कारण है कि खिचड़ी हमेशा से एक हेल्दी फूड मानी जाती रही है। आयुर्वेद में खिचड़ी को आंत और पेट के लिए बहुत लाभकारी माना गया है। खिचड़ी पाचन क्रिया को दुरुस्त रखती है। जिसके कारण हमारा पेट दुरुस्त रहता है और हम बीमारियों से बचे रहते हैं।
7. खिचड़ी कब्ज की समस्या को दूर करे
महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान अक्सर कब्ज या अपच की समस्या हो जाती है। ऐसे लोग जो बाहर का खाना ज्यादा खाते हैं उनको भी यह समस्या हो जाती है। अगर आप भी ऐसी ही समस्या से परेशान हैं या पेट में भारीपन है। तो खिचड़ी खाना आपके लिए फायदेमंद होगा। खिचड़ी खाने से पेट में भारीपन नहीं रहता और खाना जल्दी पच जाता है।
8. खिचड़ी लूज मोशन ( दस्त ) में हितकारी
अगर लूज मोशन की समस्या हो गई है। तो छिलकेवाली मूंग दाल की खिचड़ी खानी चाहिए। यह खिचड़ी सूखी नहीं बल्कि पतली बनानी चाहिए। इससे लूज मोशन और पेट दर्द में तुरंत राहत मिलती है। जिसके कारण शरीर में कमजोरी नहीं महसूस नहीं होती है।
9. मूड को दुरुस्त करे खिचड़ी
जॉब करने वाले पुरुष व महिलाएं अक्सर काम से लौटने के बाद। खाना बनाने का मूड नहीं होता हैं इसलिए वो बाहर का कुछ भी खा लेते हैं। यदि आप भी ऐसा करते हैं या खाना बनाने का मूड नहीं होता है। तो मसाला खिचड़ी सबसे आसान उपाय है। यह झट से बन भी जाती है साथ ही स्वादिष्ट भी होती है। आप इसमें अपनी पसंद की सब्ज़ी, दाल, या अन्य सामग्री भी डाल सकते हैं।
10. जोड़ों के दर्द में फायदेमंद
खिचड़ी जोड़ों के दर्द (आर्थराइटिस) को दूर करने में भी फायदेमंद होती है। खिचड़ी में पड़ने वाली हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है। इसलिए हल्दी जोड़ों के दर्द में राहत पहुंचाती हैं। हल्दी में औषधीय गुणों के अलावा बायोएक्टिव कंपाउंड्स के कारण हमारी एंटीऑक्सीडेंट क्षमता बढ़ती हैं।
11. हृदय रोगियों के लिए लाभकारी खिचड़ी
खिचड़ी खाना हृदय रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है। खिचड़ी में प्रयुक्त दालों (मूंग दाल ) में पॉलीफेनॉल्स और ऑलिगोसेकेराइड्स तत्वों से भरपूर होती हैं। जो ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कम करने के साथ कैंसर से भी बचाव करती हैं। कई रिसर्च से यह साबित होता है कि हमको दालें रोजाना खानी चाहिए। क्योंकि ये Coronary Artery Disease (CAD) को कम करने की क्षमता रखती है।
Coronary Artery Disease (CAD) – प्लाक (रक्त में वसा, कॉलेस्ट्रोल, कैल्सियम और अन्य पदार्थ) नामक वसीय, मोम जैसा पदार्थ कोरोनरी धमनियों में जमा हो सकता है। यह पदार्थ आपकी धमनियों में जमकर उन्हें संकरा बना सकता है, फलस्वरूप हृदय में ब्लड और ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है। इस प्रक्रिया को कोरोनरी धमनी की बीमारी (सीएडी) कहते हैं।
Coronary Artery Disease (CAD) होने के कारण हैं उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, मधुमेह, व्यायाम की कमी, मोटापा, उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल, खराब आहार, अत्यधिक शराब का सेवन।
12. खिचड़ी वजन कम करने में सहायक
आपको वजन कम करना है तो खिचड़ी खायें। खिचड़ी वजन घटाने में सहायक होती है। खिचड़ी में दाल के कारण फाइबर अधिक होता है, जो भोजन के पाचन को धीमा कर देता है ताकि इंसुलिन का स्तर को कम रहे। अगर आप वजन कम करने को लेकर गंभीर हैं तो खिचड़ी में सफेद के बजाय ब्राउन चावल का इस्तेमाल करें।
13. छोटे बच्चों का पहला खाना है खिचड़ी
खिचड़ी छोटे बच्चों के लिए भी उपयोगी मानी जाती है। 10-11 महीने के बच्चों का मेटाबॉलिज्म कमजोर होता है और खाना ठीक से हजम नहीं कर पाता है। ऐसे में बच्चों को खिचड़ी खिलाना अधिक फायदेमंद रहता है। खिचड़ी हर बच्चे को आसानी से बिना किसी दिक्कत के खिला सकते हैं। इसी वजह से इसे छोटे बच्चों का खाना भी कहा जाता है।
अंत में…
जैसा कि आपने ऊपर खिचड़ी के प्रकार के बारे में पूरी जानकारी पढ़ी उसके इतिहास से लेकर फायदों तक। हम आपसे यही कहेंगे खिचड़ी खाना आपको पसंद है या नहीं यह अलग विषय है।
लेकिन अगर आप फिटनेस पाना चाहते हैं या पेट की समस्या से जूझ रहे हैं। तो सप्ताह में एक दिन खिचड़ी आपको जरूर खानी चाहिए। खासतौर पर तब जब आपका पेट बाहर आ रहा है या फिर कमर के आसपास चर्बी जम रही है।
खिचड़ी को आप अपने रेगुलर खानपान में शामिल करेंगे तो यह शरीर के लिए आपकी तरफ से सेहत का तोहफा होगा।
तो दोस्तों आज की यह मेरी Health Tips कैसी लगी नीचे बॉक्स में कमेंट जरूर करें, क्योंकि कमेंट करेंगे, तो मुझे और प्रेरणा मिलेगी और मैं अलग अलग विषयों पर जानकारी आप लोगों से शेयर कर पाउँगा।
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