भारतीय खाना पकाने के लिए सबसे अच्छा खाद्य तेल का चयन कैसे करें?
भारतीय खाना पकाने के लिए सबसे अच्छा खाद्य तेल कैसे चुनें? यह एक ऐसा प्रश्न है, जो हर उस भारतीय के जहन में अक्सर कौंधता रहता है, जिसे अपने स्वास्थ्य की जरा सी भी चिंता है। क्योंकि आजकल बाज़ार विभिन्न प्रकार और ब्रांड के तेलों से भरा पड़ा है और सबका दावा एक है, कि उनका खाद्य तेल सबसे अच्छा है, तो ख़राब तेल कौन बेच रहा है? अब आप सोचेंगे, कि ये खराब तेल क्या होता है और उसको पहचानें कैसे। आपको पता है, नहीं! यही सच भी है। तो क्या है, तेल के खेल का सच जानने के लिए इस लेख को पढ़ें, यह मात्र एक लेख नहीं है, बल्कि यह खाद्य तेल की जानकारी के बारे में पूरी एक गाइड है।
खाना पकाने के खाद्य तेल बारे में
किसी भी भारतीय रसोई घर का जिक्र खाद्य तेलों के बिना अधूरा होता है, चाहे वह खाना/व्यंजन किसी भी देश या प्रकार का क्यों न हो। भारत एक विशाल आबादी वाला देश है और यहाँ हर जगह का एक खास खाद्य तेल होता है, जो आमतौर पर वहां उगाये जाने वाले पौधे या पशु के स्रोत से प्राप्त होता है। उदाहरणत: दक्षिण और पश्चिम के लोग मूंगफली का तेल खाते हैं, जबकि पूर्व और उत्तर वाले सरसों का तेल, देशी घी। इसी तरह दक्षिण वाले नारियल और तिल का तेल। उत्तरी मैदानों के लोग सोयाबीन, सूरजमुखी, और हाइड्रोजेनेटेड खाद्य तेल को खाते हैं।
आम धारणा के विपरीत, आपको अपनी चर्बी या वजन घटाने के लिए अपने नियमित खाने के तेल को बंद करने की आवश्यकता नहीं है। तेल तकनीकी रूप से वसा होते हैं, खाना पकाने के लिए तेल का प्रकार और मात्रा दोनों का काफी महत्व रखते है। सबसे अच्छा खाद्य तेल चुनना इस बात पर निर्भर करता है, कि आप इससे किस प्रकार का और कौन सी विधि से खाना बनाना चाहते हैं जैसे कि तलना, सेंकना, भूनना, ग्रिलिंग, या तड़का लगाना। हर एक विधि के लिए, खाना पकाने के तेल की संरचना और Smoking point का काफी महत्व होता है।
क्या आपको पता है? आजकल ह्रदय से सम्बन्धित बीमारियां कितनी आम हो गई है। इसके लिए जिम्मेदार है हमारी ख़राब जीवनशैली और अस्वास्थ्यकारी खानपान। भारतीय खानपान सीधे खाद्य तेल से जुड़ा होता है और स्वास्थ्य के नजरिये से बहुत बड़ा factor होता और सारी गड़बड़ यहीं से शुरू होती है।
आज हम इस लेख के माध्यम से यह जानेंगे, कि भारतीय खाना पकाने के तेलों में अंतर पैदा करने वाले विभिन्न मापदंड क्या है, और खाना पकाने का सबसे अच्छा खाद्य तेल कौन सा है, तो आइए उन सभी factors पर एक नजर डालते हैं:
1- खाद्य तेल का टिकाऊपन/स्थिरता (Stability of Cooking Oils)
जब खाना पकाने का तेल प्रसंस्करण और भंडारण के दौरान गर्मी, प्रकाश और ऑक्सीजन के संपर्क में आता है, तो यह प्रकाश संवेदी ऑक्सीकरण के माध्यम से ऑक्सीकृत होता है। ऑक्सीकृत तेल हानिकारक यौगिकों और विषाक्त उत्पादों को पैदा कर सकते हैं और आपके खाने का स्वाद बिगाड़ सकते हैं।
तेल जितना अधिक ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करने और मुक्त कणों को बनाने के लिए टूटने का विरोध करेगा, खाना पकाने के लिए उतना ही बेहतर होगा। तेल के इस गुण को ऑक्सीडेटिव स्थिरता (Oxidative Stability) के रूप में मापा जाता है।
ऑक्सीडेटिव स्थिरता को अनुमानित समय (Induction time) के माध्यम से मापा जाता है। यह वह बिंदु होता है, जब तेल टूट जाता है और संभावित रूप से हानिकारक यौगिकों का उत्पादन करता है। अधिक अनुमानित समय बताता है, कि तेल ऑक्सीकरण के लिए अधिक प्रतिरोधी है, कम अनुमानित समय का मतलब है कि तेल कम प्रतिरोधी है और आसानी से ऑक्सीकरण होगा।
खाद्य तेल की ऑक्सीडेटिव स्थिरता को क्या प्रभावित करता है?
तापमान, प्रकाश, ऑक्सीजन सांद्रता, तेल प्रसंस्करण, और फैटी एसिड संरचना भी खाद्य तेल की ऑक्सीडेटिव स्थिरता को प्रभावित करती है। लेकिन, खाना पकाने के तेलों की ऑक्सीडेटिव स्थिरता को प्रभावित करने वाले तीन मुख्य कारक हैं, उनमें शामिल हैं:
- वसा का प्रकार और अनुपात (Types of Fat)
- तेल के शोधन की सीमा (Extent of Refinement)
- एंटीऑक्सीडेंट का स्तर (Antioxidant Levels)
A. वसा का प्रकार और अनुपात (Types of Fat)
खाद्य तेल मुख्य रूप से वसा होते हैं, जिनमें पौधों पर आधारित (जैसे नारियल का तेल) या पशु-आधारित तेल (जैसे घी, मक्खन) के प्राकृतिक स्रोत के आधार पर अलग-अलग आणविक बंधन होते हैं। यदि वसा अणुओं के बीच कम डबल बांड होंगे तो यह गर्मी के प्रति अधिक प्रतिरोधी होती है। डबल बांड के अणु गर्मी के संपर्क में आने पर आसानी से ऑक्सीकृत और टूट जाते हैं।
वसा मुख्यतः दो प्रकार की होती है – संतृप्त वसा (Saturated Fat) और असंतृप्त वसा (Unsaturated Fat) – और शरीर के लिए हमें दोनों वसा की आवश्यकता होती है, लेकिन वसा का उच्च अनुपात असंतृप्त वसा से मिलना चाहिए। खाने में वसा का स्वस्थ संतुलन बनाये रखने से आपके “Bad” कोलेस्ट्रॉल (LDL) के स्तर को ठीक या कम करने में मदद मिल सकती है।
संतृप्त वसा (Saturated Fats)
संतृप्त वसा की रासायनिक संरचना में कोई डबल बांड नहीं होता है, और उनकी कार्बन श्रृंखला हाइड्रोजन परमाणुओं से भरी या ‘संतृप्त’ होती है। संतृप्त वसा आमतौर पर कमरे के तापमान पर ठोस होते हैं, जैसे नारियल का तेल और ताड़ का तेल और पशु वसा – जैसे मांस, मक्खन।
हालांकि संतृप्त वसा खाने में स्वादिष्ट होती है, इसका सेवन कम मात्रा में किया जाना चाहिए, आदर्श रूप से संतृप्त वसा आपके दैनिक कैलोरी सेवन का 6% से कम होना चाहिए, नहीं तो ये रक्त में “Bad” कोलेस्ट्रॉल (LDL-low-density lipoprotein) के स्तर को बढ़ा सकता है और आपको हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
असंतृप्त वसा (Unsaturated Fats)
असंतृप्त वसा आमतौर पर कमरे के तापमान पर जमते नहीं हैं। ये संतृप्त वसा से इसलिए भिन्न होते हैं, क्योंकि इसकी रासायनिक संरचना में एक या अधिक डबल बांड होते हैं।
असंतृप्त वसा के स्रोत भी पौधे और पशु दोनों हो सकते हैं। हालांकि, यह नियमित रूप से खाना पकाने के लिए अच्छा है, क्योंकि इसमें मौजूद “Good” कोलेस्ट्रॉल (HDL-high-density lipoprotein) आपको ह्रदय की परेशानियों से बचाता है। असंतृप्त वसा को आगे मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड वसा में वर्गीकृत किया जा सकता है।
मोनोअनसेचुरेटेड फैटी एसिड (Monounsaturated Fatty Acids-MUFA)
मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड में दो कार्बन के बीच ‘मोनो’ या एक डबल बॉन्ड होता है और यह उच्च तापमान पर भी स्थिर और प्रतिरोधी होते हैं। मोनोअनसैचुरेटेड वसा रक्त शर्करा और इंसुलिन के स्तर को नियंत्रण में रखते हैं। यह “Bad” कोलेस्ट्रॉल (LDL) के स्तर को कम करते हैं, जिससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा कम होता है।। एवोकैडो, नट्स, जैतून और मूंगफली के तेल में मोनोअनसेचुरेटेड फैटी एसिड पाया जाता है।
पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड (Polyunsaturated Fatty Acids-PUFA)
पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड में दो या दो से अधिक डबल बॉन्ड होते हैं, और यह ऑक्सीकरण प्रवण होता है। पॉलीअनसेचुरेटेड वसा खाने से “Bad” कोलेस्ट्रॉल को कम करके हृदय रोग होने की संभावना को कम किया जा सकता है। वे हमें मछलियों से ओमेगा -3 और ओमेगा -6 और विटामिन ई के रूप में मिलता है, और पौधों में सोयाबीन तेल, मकई का तेल और सूरजमुखी के तेल से मिलता है।
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B. तेल के शोधन की सीमा (Extent of Refinement)
अपरिष्कृत खाद्य तेल (Unrefined Oil)
अपरिष्कृत खाना पकाने के तेल ऐसे खाद्य तेल होते हैं, जो यांत्रिक रूप से निकालते समय किसी भी प्रकार के ताप के संपर्क में नहीं आते हैं, जिससे उनके प्राकृतिक पोषक तत्व बरकरार रहते हैं। तेल को निकालने के बाद किसी भी केमिकल को मिलाया नहीं जाता है। ये वे तेल होते हैं जिन्हें गर्मी, निथारने और अन्य शोधन प्रक्रियाओं से नहीं गुजारा जाता है।
कैसे अपरिष्कृत खाद्य तेल का ग्रेड बनाते हैं?
ओलिव आयल विभिन्न प्रकार की श्रेणियों जैसे – Extra Virgin oil, Virgin oil, Pure oil और Extra Light oil में उपलब्ध हैं। तेल की श्रेणी इसमें मौजूद ओलिक एसिड (Oleic Acid) के प्रतिशत और तेल को निकालने की विधि पर निर्भर करती है। तो, जैतून के तेल के विभिन्न ग्रेड इस प्रकार हैं:
- Extra Virgin Olive Oil – जैतून के फल को पहली बार दबाये जाने से जो तेल निकलता है, वो उच्चतम गुणवत्ता वाला तेल होता है। इसमें 1% से कम ओलिक एसिड होता है।
- Virgin Olive Oil – वर्जिन जैतून का तेल की गुणवत्ता Extra Virgin से कम होती है। यह भी पहली बार दबाने से ही आता है, लेकिन इसमें ओलिक एसिड की मात्रा थोड़ी अधिक (3%) होती है।
- Pure Olive Oil – शुद्ध जैतून का तेल दूसरी बार दबाने के साथ-साथ गर्मी और प्रशोधन (Refining) का मिश्रण है। इसे “Pure” कहा जाता है क्योंकि इसमें कुछ मिलाया नहीं जाता है, लेकिन इसकी गुणवत्ता Extra Virgin or Virgin से कम होती है। ओलिक एसिड की मात्रा लगभग 3-4% से होती है।
- Extra Light Olive Oil – यह जैतून का तेल निम्नतम ग्रेड का होता है। उन्हें “Light” कहा जाता है, क्योंकि वे सिर्फ रंग में हल्के होते हैं, पर कैलोरी में कम नहीं। इन तेलों को अक्सर वनस्पति तेल के साथ मिलाया जाता है। यह बेस्वाद और एक उच्च Smoke point वाला होता है।
परिष्कृत खाद्य तेल (Refined Oil)
परिष्कृत खाना पकाने के तेल को भी अपरिष्कृत तेल की तरह बीजों या फलों को दबाकर निकाला जाता है, फिर आधुनिक तरीके से निष्कर्षण किया जाता है । जिसमें कई चरण होते हैं और यह कई रासायनिक प्रक्रियाओं से गुजरते हैं – जैसे फैटी एसिड को बेअसर करना और फॉस्फोलिपिड्स को हटाना, तेल को फ़िल्टर करना। बाद में तेल को Alkaline substance के साथ साफ़ करना शामिल है।
खाद्य तेलों को परिष्कृत करने का कारण तेल की प्राकृतिक तेज़ गंध को कम करना, लंबी शेल्फ-लाइफ और Smoke point को उच्च बनाना होता है। रिफाइनिंग के कारण कुछ तेलों का पोषण ख़त्म हो जाता है और वो खाने लायक नहीं रहते हैं। यह प्रक्रिया तेल से प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट को ख़त्म कर देती है। रिफाइंड तेल या “RBD” तेल डीप-फ्राइंग के लिए बेहतर होते हैं।
आरबीडी तेल (RBD Oils) किसे कहते हैं? (What is RBD Oils)
दुकानों में बिकने वाले खाद्य तेलों को “RBD” तेल के रूप में जाना जाता है। ये ऐसे तेल होते हैं, जिन्हें शोधित (Refined), विरंजित (Bleached) और गंधमुक्त (Deodorized) किया गया हो। ये तेल मूल तिलहन की गुणवत्ता के बिना आम तौर पर बेस्वाद, गंधहीन और रंगहीन होते हैं। आरबीडी तेलों को डीप फ्राइंग और उच्च ताप पर टिके रहने के लिए बनाया गया है।
खाद्य तेलों के प्रसंस्करण को अक्सर तीन आरबीडी श्रेणियों में विभाजित किया जाता है: शोधन, विरंजन और दुर्गन्ध। बड़े पैमाने पर प्रसंस्करण में उपयोग किए जाने वाले इन चरणों को छोटे पैमाने पर भी लागू किया जा सकता है।
खाद्य तेलों के निष्कर्षण (Extraction) की कौन सी विधियां हैं?
सालों पहले वैज्ञानिकों ने कहा था, कि रिफाइंड तेल खाना पकाने के लिए सबसे अच्छा माध्यम है और वे हमें हृदय रोग और मोटापे से सुरक्षित रखते हैं। लेकिन नयी शोधों के आधार पर वैज्ञानिकों ने पुराने सिद्धांत को बदल दिया, और कहा है, कि हमें कोल्ड प्रेस्ड ऑयल (Cold pressed Oil) और अपरिष्कृत तेलों का सेवन करना चाहिए, न कि रिफाइंड तेल।
लेकिन दोनों में क्या अंतर है? जबकि दोनों एक समान दिखते हैं। कोल्ड-प्रेस्ड से निकाले गए तेल के पोषण तत्व बरक़रार रहते हैं, और रिफाइंड तेल के सारे पोषण संबंधी लाभ रिफाइनिंग की प्रक्रिया के दौरान ख़त्म हो जाते हैं। यहाँ कुछ आधुनिक और प्राचीन तेल निष्कर्षण की विधियां बताई गई है, ताकि आप जान सकें कि कौन सी विधि का तेल सेहतमंद होता है —
- Chemical Extraction – रासायनिक निष्कर्षण तेल निकालने का सबसे कारगर तरीका माना जाता है। हालाँकि, यह कम सुरक्षित प्रक्रिया है, क्योंकि इसमें हेक्सेन (Hexane) का उपयोग होता है। जबकि तेल निर्माता यह सुनिश्चित करते हैं कि हेक्सेन की थोड़ी भी मात्रा खाद्य तेल में न पहुंचे, लेकिन शुद्धता की गारंटी देना असंभव है। हेक्सेन की थोड़ी मात्रा से भी नींद, मतली और सिरदर्द जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
- Hot Pressed Oil – क्या Hot pressed नाम की कोई प्रक्रिया होती है? हाँ। इस प्रक्रिया में, प्रेस सिलेंडर या प्रेसिंग मशीन हीटर से जुड़ी होती है। गर्म करने से तिलहन नरम हो जाते हैं और इसलिए न केवल निष्कर्षण की प्रक्रिया आसान हो जाती है बल्कि अधिक तेल निकाला जाता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में खाद्य तेल के अधिकांश पोषण तत्व ख़त्म हो जाते हैं।
- Cold Pressed Oil- कोल्ड प्रेस्ड ऑयल तेल निष्कर्षण की विधि में तिलहन को दबाकर तेल को निकाला जाता है। पूरी प्रक्रिया में सिर्फ दबाव का प्रयोग होता है और किसी प्रकार की कोई गर्मी प्रयोग नहीं होती है और यही इस तेल को किसी भी अन्य रूप से स्वस्थ बनाता है। हालांकि, अधिकांश तिलहन/बीज कोल्ड-प्रेसिंग के अनुकूल नहीं हैं जैसे- सोयाबीन, तिल के बीज, बिनौला, मूंगफली आदि। इसके अलावा, कोल्ड-प्रेस्ड तेलों में नमी की मात्रा स्थिर नहीं होती है, इसलिए ऐसे खाद्य तेल लंबे समय तक भंडारण के लिए आदर्श नहीं है।
- तेल निष्कर्षण की प्राचीन प्रक्रिया (कच्ची घानी) – खाना पकाने के तेल की बात हो, और “कच्ची घानी” शब्द न आये ऐसा कैसे हो सकता है, यह शब्द आप लोगों ने भी अवश्य सुना होगा। “घानी” यह पत्थर या लकड़ी से बने ओखली और मूसल की तरह यंत्र होता है, प्राचीन काल में यह तेल निकालने का सबसे सरल, आसान और प्रचलित तरीका था, लेकिन अब इस प्रक्रिया का प्रयोग न के बराबर होता है।
C. एंटीऑक्सीडेंट स्तर (Antioxidant Levels)
जैसा कि शब्द से ही पता चलता है, एंटीऑक्सिडेंट खाद्य तेल को ऑक्सीकरण से बचाते हैं, एक ऐसी प्रक्रिया जो काफी तेजी से घटती है, जब तेल लंबे समय तक उच्च गर्मी के संपर्क में रहता है। एंटीऑक्सिडेंट ऐसे घटक हैं, जो तेल और वसा के हाइड्रोजन को free radicals देकर ऑटो-ऑक्सीकरण (Auto-Oxidation) को रोकते हैं, जो कि ऑटो-ऑक्सीडेशन के प्रारंभिक और प्रसारित होने वाले चरणों में बनते हैं।
अध्ययनों के अनुसार, कुछ बेहतरीन खाना पकाने के तेलों में प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट हो सकते हैं, जबकि अन्य में सिंथेटिक एंटीऑक्सिडेंट मिलाए जाते हैं। खाना पकाने के तेलों की शेल्फ-लाइफ (Shelf-life) और उपयोग की समय सीमा को बढ़ाने के निहितार्थ हैं, जो ऑक्सीकरण के लिए तेल के प्रतिरोध को बढ़ा सकते हैं। एंटीऑक्सिडेंट ऑक्सीकरण प्रक्रिया को रोककर खाद्य संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
2. खाना पकाने के तेल का Smoke Point (Smoke point of Cooking Oils)
खाद्य तेल का Smoke point वह तापमान होता है, जिस पर यह चमकना बंद कर देता है और इसके बजाय जलने और धुँआ निकलने लगता है, जिससे तेल के आवश्यक पोषक ख़त्म हो जाते हैं और यह हानिकारक/विषाक्त तत्वों से भर जाता है। यह तब होता है, जब अत्यधिक गर्मी के कारण तेल में मौजूद यौगिक टूट जाते हैं।
खाना पकाने के तेल का Smoke Point क्या है?
Smoke point को तेल का Burning point भी कहा जाता है, और यह न्यूनतम (325F या 163°C) से लेकर बहुत अधिकतम (520 F या 271°C) तक हो सकता है। यदि खाना पकाने की तकनीक के अनुसार सही तेलों का चयन किया जाए, तो रसोई में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सकता है।
ध्यान रखें, कि विभिन्न तेल निर्माताओं के बीच Smoke point व्यापक रूप से भिन्न हो सकते हैं। सामान्य तौर पर, अधिक परिष्कृत तेलों में अपरिष्कृत, Virgin, or Extra Virgin oils तेलों की तुलना में Smoke point उच्च होगा।
खाना पकाने के तेल का Smoke Point क्यों महत्वपूर्ण है?
तेल से धुंए का निकलना हमेशा कोई समस्या नहीं होती है: कई बार यह अपरिहार्य भी होता है, जैसे कि जब आप अत्यधिक गर्म कड़ाही में कुछ तल रहे हों। हालांकि, तेल से धुँआ निकलना एक प्रकार का संकेत है, कि आपका तेल जलकर ऑक्सीकृत/ख़राब हो रहा है।
हर खाना पकाने की विधि के लिए, प्रत्येक खाद्य तेल की संरचना का विश्लेषण Smoking point के अनुसार करना चाहिए। Smoking point को जानना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि तेल ऑक्सीकृत होने के बाद खाने में जहरीले यौगिकों के साथ जला या कड़वा छोड़ सकता है।
ऑक्सीकृत तेल आपके शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने के, साथ ही इसके Free radicals से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। किसी भी खाद्य तेल का उपयोग करने से पहले पता करें, कि क्या इसका Smoke Point आपके द्वारा खाना पकाने की तकनीक के अनुसार सही है।
उच्च Smoke point वाले तेलों के साथ खाना बनाना एक अच्छा विचार है। इन तेलों के साथ खाना पकाने से आपको तेल के ऑक्सीकरण को कम करने में मदद मिलती है। हालांकि, खाना पकाने के लिए सबसे अच्छा तेल Low Smoke point वाले होते हैं और इन्हें सलाद के लिए ड्रेसिंग के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। जब इन तेलों को उनके Smoke point से अधिक गरम किया जाता है, तो तेल तुरंत आग पकड़ सकता है।
Smoke Point chart for Cooking Oils available in India
Cooking oil
Degree of processing Smoking point (in oF) Smoking point (in oC)
Extra virgin Olive oil Low 325 -375 oF 163 – 190 oC Virgin Olive oil Low 410 oF 210 oC Extra virgin or unrefined coconut oil Low 350 oF 177 oC Kachi Ghani Mustard oil Low 480 oF 250 oC Cold-pressed sesame oil Low 350 oF 177 oC Cold-pressed groundnut oil Low 320 oF 160 oC Cold-pressed sunflower oil Low 320 oF 160 oC Cold-pressed safflower oil Low 225 oF 107 oC Filtered sesame oil Medium 450 oF 232 oC Filtered groundnut oil Medium 445 oF 229 oC Butter Medium 302 oF 150 oC Ghee Medium 482 oF 250 oC Refined sunflower oil High 450 oF 232 oC Refined safflower oil (करडी तेल) High 510 oF 266 oC Refined soybean oil High 453 oF 234 oC Refined rice bran oil high 450 oF 232 oC Refined groundnut oil High 450 oF 232 oC Refined olive oil High 390 – 470 oF 199- 243 oC Pure olive oil High (mixed oil) 390 – 470 oF 199- 243 oC Pomace olive oil High (mixed oil) 446 – 464 oF 230 -240 oC
Reference – https://wellnessmunch.com/how-good-is-olive-oil-for-indian-cooking/
सबसे अच्छा खाद्य तेल चुनते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए!
National Institute of Nutrition (NIN) के आहार दिशानिर्देशों के अनुसार, तेल आवश्यक फैटी एसिड और विटामिन ई का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और संतुलित आहार का हिस्सा बनने के लिए आवश्यक है। आहार वसा पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करते हैं, जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
हमें यह विश्लेषण करने की आवश्यकता है, कि खाना पकाने का तेल किससे बना है। इसके अलावा, क्या हमें विभिन्न तेलों के उपयोग की आवश्यकता है, न कि केवल एक प्रकार के। भारतीय खाना पकाने के लिए सही तेल का चयन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि खाना पकाने की शैली पश्चिम से अलग हैं। बाजार में तेल ब्रांड के ढेरों विकल्प मौजूद हैं, लेकिन चुनने से पहले जानकारी भरा निर्णय लेना महत्वपूर्ण है।
पोषण तथ्य लेबल (Nutrition Facts Label) को ध्यान से पढ़ें, कि तेल परिष्कृत है या नहीं। कई निर्माता इसकी संरचना से सम्बंधित जानकारी का लेबल चिपका देते हैं, जिसमें संतृप्त वसा, ट्रांस वसा सामग्री, ओमेगा 6 से ओमेगा 3 का अनुपात और पॉलीअनसेचुरेटेड (PUFA) मोनोअनसैचुरेटेड (MUFA) फैटी एसिड आदि की मात्रा शामिल है।
खाना पकाने का खाद्य तेल किसी भी भोजन में एक आवश्यक सामग्री की तरह है। सलाद से लेकर मुख्य कोर्स तक हर चीज में इसका इस्तेमाल होता है। कम गुणवत्ता वाले तेल से हृदय से संबंधित बीमारियां हो सकती है, इसलिए स्वास्थ्यप्रद खाना पकाने के तेल का चुनाव महत्वपूर्ण हो जाता है, जो एक स्वस्थ जीवन शैली सुनिश्चित करेगा।
खाना पकाने का सबसे अच्छा खाद्य तेल की पहचान करने और चुनने में आपकी मदद के लिए, यहां उन मानदंडों की सूची दी गई है, जिन्हें तेल को खरीदते समय आपको ध्यान में रखना आवश्यक है:
1. खाना पकाने की विधि
खाना पकाने की प्रत्येक विधि के लिए सही तेल चुनें।
- High Smoke point वाले तेल, यानी जो तेज़ आंच पर टूटने में अधिक समय लेते हैं, Deep-frying और Stir-frying के लिए अनुकूल होते हैं -जैसे कि सरसों, मूंगफली, तिल, या सोयाबीन का तेल।
- मध्यम High Smoke point वाले तेल मध्यम आंच पर तलने, भूनने के लिए अनुकूल होते हैं -जैसे कि मकई, कैनोला और जैतून के तेल।
- बहुत कम Smoke point वाले तेल सलाद ड्रेसिंग के लिए उपयुक्त होते हैं जैसे अलसी (flaxseed) और अखरोट का तेल। कुछ सलाद और तलने दोनों के लिए अनुकूल होते हैं जैसे जैतून का तेल और अंगूर के बीज का तेल।
Indian Cooking technique and the required temperature
Cooking Technique Temperature (in oF) Temperature (in oC) Slow cooking/ Dum 170 -280 oF 77 -138 oC Steaming/ Boiling 212 oF 100 oC Smoking 225 – 250 oF 107 -121 oC Baking 300 – 570 oF 150 – 300 oC Roasting 300 oF 150 oC Sauteing 320 oF 160 oC Grilling 300 – 400 oF 148 – 204 oC Shallow frying 375 oF 190 oC Deep frying 350 – 400 oF 177 – 205 oC
Reference – https://wellnessmunch.com/how-good-is-olive-oil-for-indian-cooking/
2. खाना पकाने के तेल का टिकाऊपन/स्थिरता
सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले खाने के तेल उच्च तापमान पर भी स्थिर रहते हैं। यह स्थिरता इस बात पर निर्भर करती है कि तेल किस तरह से ऑक्सीकृत होता है या वे कितनी आसानी से ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करके Free radical पैदा करते हैं। तेल में फैटी एसिड के संतृप्ति (Saturation) की मात्रा ही सबसे महत्वपूर्ण कारक है, तेल के ऑक्सीकरण के लिए प्रतिरोध की पहचान करने का।
3. Smoke point
चूंकि विभिन्न तेलों का अलग-अलग Smoke point होता है, इसलिए तेलों का चयन करते समय तापमान एक महत्वपूर्ण कारक बन जाता है। Smoke point वह तापमान है जिस पर तेल जलने और ख़राब होने लगता है। एक ही प्रकार के तेल के लिए Smoke point भिन्न हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसे परिष्कृत कैसे किया गया है। Smoke point जितना अधिक होगा, तलने के लिए उतना ही अधिक उपयुक्त होगा।
4. वसा की मात्रा
चूंकि खाना पकाने के तेल संतृप्त (SAFA), पॉलीअनसेचुरेटेड (PUFA), और मोनोअनसैचुरेटेड (MUFA) फैटी एसिड से बने होते हैं। इनमें संतुलन बनाना जरूरी है। संतृप्त वसा अत्यधिक स्थिर ऑक्सीकरण का विरोध करते हैं और पाचन में सहायता करते हैं। हालांकि, वे पॉलीअनसेचुरेटेड और मोनोअनसैचुरेटेड वसा से कम स्वस्थ हैं।
पॉलीअनसेचुरेटेड और मोनोअनसैचुरेटेड दोनों ही उच्च कोलेस्ट्रॉल और दिल के दौरे जैसी बीमारियों को रोकने में मदद करते हैं। इसलिए इन अम्लों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है।
तेल में संतृप्त वसा होनी चाहिए लेकिन मोनोअनसैचुरेटेड वसा से कम। सैचुरेटेड फैट को खराब माना जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। इनका सेवन सीमित होना चाहिए। अच्छी गुणवत्ता वाले संतृप्त वसा फायदेमंद होते हैं, पर मानव निर्मित हाइड्रोजनीकृत संतृप्त वसा से हर किसी को बचना चाहिए।
5. ओमेगा-6 और ओमेगा-3 का अनुपात
ओमेगा -6 एक पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड है, यह Pro-inflammatory है। जो मीट, अंडा और वनस्पति तेल जैसे सोयाबीन और मकई का तेल जैसे खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। रूमेटाइड गठिया, जोड़ों के दर्द और त्वचा संबंधी लक्षणों में मदद कर सकते हैं।
ओमेगा -3 एक पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड है, यह Anti-inflammatory है। जो मछली के तेल, वसायुक्त मछली, अखरोट, और अलसी में पाए जाते हैं, और हृदय रोग के जोखिम को कम करते हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा किए गए अध्ययनों से पता चलता है, कि ओमेगा -6 और ओमेगा -3 का 5:1 अनुपात चुनना आदर्श है। इसका मतलब है कि आपके कुल कैलोरी सेवन का 5% से 10% से अधिक ओमेगा -6 से नहीं आना चाहिए।
ओमेगा-6 की आवश्यकता हमारे आहार में बहुत कम मात्रा में ही होती है, जो हमें सीधे तौर पर अधिकांश खाद्य पदार्थों से प्राप्त होती है। उच्च ओमेगा-6/ओमेगा-3 अनुपात, जैसा कि आजकल के आहार में पाया जाता है, हृदय रोग, कैंसर और Inflammation और Autoimmune सहित कई बीमारियों के पनपने को बढ़ावा देता है। इसलिए सही अनुपात महत्वपूर्ण हो जाता है, ओमेगा-6/ओमेगा-3 फैटी एसिड का कम अनुपात उच्च प्रसार की कई पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए अधिक प्रचलित है।
6. ट्रांस वसा (Trans Fatty Acids)
ट्रांस वसा, जिसे ट्रांस-अनसैचुरेटेड फैटी एसिड या ट्रांस फैटी एसिड भी कहा जाता है।अधिकांश ट्रांस वसा हाइड्रोजनीकरण नामक प्रक्रिया के माध्यम से बनते हैं, जब वनस्पति तेल में हाइड्रोजन मिलाकर ठोस वसा में बदल दिया जाता है, इन्हें आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत तेल (PHO) भी कहा जाता है।
ट्रांस फैट को खाने के लिए सबसे खराब प्रकार का फैट माना जाता है, यह आपके स्वास्थ्य के लिए सबसे खराब है। ट्रांस वसा आपके शरीर में “Bad” कोलेस्ट्रॉल (LDL) के स्तर को बढ़ाता है और “Good” कोलेस्ट्रॉल (HDL) के स्तर को कम करता है। low HDL के साथ High LDL का स्तर आपकी धमनियों (रक्त वाहिकाओं) में कोलेस्ट्रॉल का निर्माण कर सकता है। आपके आहार में बहुत अधिक ट्रांस वसा हृदय रोग स्ट्रोक, मधुमेह और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ाता है।
यह सस्ता होता है और खराब होने की संभावना भी कम होती है, इसलिए इससे बने खाद्य पदार्थों की शेल्फ लाइफ लंबी होती है। मांस और डेयरी उत्पादों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले ट्रांस वसा की थोड़ी मात्रा होती है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ये ट्रांस वसा स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करते हैं। ट्रांस वसा तले हुए, पैकेज्ड या प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से हमें मिलती है, जिनमें शामिल हैं:
- तला हुआ फास्ट फूड, जैसे तला हुआ चिकन, पकी हुई मछली, डोनट्स, फ्रेंच फ्राइज़, और मोज़ेरेला स्टिक्स,
- बेकरी के सामान जैसे मफिन, केक, पेस्ट्री और पाई अक्सर सब्जी को छोटा करने या मार्जरीन के साथ बनाए जाते हैं।
- अन्य स्रोत आलू और मकई के चिप्स, पटाखे, पिज्जा
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7. विटामिन ए, ई और डी
एक स्वस्थ आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खाना पकाने का खाद्य तेल है जो विटामिन ए, ई और डी से भरपूर होता है।
- विटामिन ए जीवनशैली में बदलाव, तनाव और चिंता से निपटने में मदद करता है।
- विटामिन ई स्वस्थ बालों और त्वचा को नुकसान से बचाने के लिए आवश्यक है।
- विटामिन डी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
खाना पकाने और स्वास्थ्य के लिए सबसे खराब और सबसे अच्छा खाद्य तेल कौन सा हैं?
स्वस्थ होने, वजन कम करना और फिट रहने के लिए सड़क पर दौड़ना? या फिर, उन खाद्य पदार्थों को अपनी जिंदगी से हटा दें जो आपके स्वास्थ्य में बाधा बन रहे हैं, जैसे ट्रांस वसा, अतिरिक्त चीनी, और परिष्कृत तेल और प्रसंस्कृत भोजन। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, कि आप अपने खाना पकाने के तेल को बदलें, क्योंकि इसमें अस्वास्थ्यकर पॉलीअनसेचुरेटेड वसा (ओमेगा 6) हो सकते हैं, जो शरीर में सूजन (Inflammation) और वजन बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
यदि आपने जंक फूड से छुटकारा पा लिया है, तो आपका खाना पकाने का तेल बदलना उससे भी अच्छा निर्णय हो सकता है। नीचे कुछ सबसे अच्छे और सबसे खराब खाद्य तेलों को सूचीबद्ध किया गया है, जो देशभर की सभी भारतीय रसोईघरों में इस्तेमाल होते हैं।
सबसे खराब खाना पकाने के खाद्य तेल (Worst Cooking oils)
बिनौला तेल (Cottonseed oil)
अपने अपरिष्कृत और शुद्ध रूप में, इसमें गॉसिपोल नामक एक विषैला यौगिक होता है, और परिष्कृत रूप में, इसमें ओमेगा -6 फैटी एसिड की उच्च मात्रा के साथ थोड़ी मात्रा कीटनाशकों की भी होती है। चूंकि यह बेहद सस्ता है, इसलिए इसे जंक और प्रोसेस्ड फूड बनाने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।
सोयाबीन का तेल (Soybean Oil)
एक बड़ी गलत धारणा है, कि सोयाबीन का तेल एक स्वस्थकर तेल है, लेकिन ऐसा नहीं है! शोध से पता चला है। सोयाबीन का तेल अत्यधिक परिष्कृत होता है, और इसमें ओमेगा -6 फैटी एसिड की उच्च मात्रा होती है, जो हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह, और metabolic syndrome के खतरे को बढ़ा सकता है। यदि आप सोयाबीन तेल अधिक खाते हैं, तो खाना छोड़ दें, या फिर इसका सेवन सीमित कर दें।
सूरजमुखी का तेल (Sunflower oil)
सूरजमुखी का तेल खाना पकाने के लिए अस्वस्थकर है, क्योंकि इसमें उच्च स्तर का ओमेगा -6 फैटी एसिड होता है, ये फैटी एसिड शरीर में inflammation पैदा कर सकते हैं। सूरजमुखी का तेल गर्मी के संपर्क में आने पर उच्च स्तर का एल्डिहाइड (Toxic substance) पैदा करता है, जो कई स्वास्थ्य जोखिमों का कारण बन सकते हैं, जैसे हृदय रोग और कैंसर जैसी स्वास्थ्य समस्याएं।
मकई का तेल (Corn oil)
यह उच्च ओमेगा -6 जैसे पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड से भरा है, जो इसे एक Pro-inflammatory तेल बनाता है, जिससे आपका वजन बढ़ सकता है और जिगर (Liver) की क्षति का कारण बन सकता है।
वनस्पति घी (Hydrogenated Oil)
खाना पकाने के लिए यह घी एक सस्ता विकल्प है। वनस्पति घी रासायनिक रूप से संसाधित वनस्पति तेल (Hydrogenated Oil) से बना है, और आपके दिल की बीमारी और वजन बढ़ने का कारण बन सकता है।
ताड़ का तेल (Palm Oil)
ताड़ के तेल से बहुत सारे प्रोसेस्ड फूड बनाए जाते हैं। इसमें सैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है, जिससे मोटापा और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
वनस्पति तेल (Vegetable oil)
आजकल आपको बाजार में जो खाद्य तेल मिलते हैं, दरअसल वो “वनस्पति तेल” हैं। ये अक्सर कई तेलों की तुलना में सस्ते विकल्प होते हैं, लेकिन ये अत्यधिक संसाधित और परिष्कृत (processed and refined) होते हैं। उनमें वनस्पतियों के बहुत कम विटामिन और खनिज मौजूद होते हैं।
वनस्पति तेल मकई, सोयाबीन, करडी (Safflower), ताड़, सूरजमुखी और अन्य ओमेगा -6 युक्त तेलों का मिश्रण होते हैं। यह उच्च ओमेगा -6 फैटी एसिड के कारण सबसे खराब खाना पकाने का तेल है, जो Inflammation को बढ़ावा देता है, जिससे हृदय रोग और कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
सबसे अच्छा खाना पकाने के खाद्य तेल (Best Cooking oils)
जैतून का तेल (Olive Oil)
जैतून का तेल phytochemicals से भरपूर होता और कुछ एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल (EVOO) में Oleocanthal भी होता है, जो एक प्राकृतिक Anti-inflammatory यौगिक है, जो इसे स्वस्थ तेलों की श्रेणी में रखता है।
इसमें अन्य तेलों की तुलना में अधिक मात्रा में करीबन 77% मोनोअनसैचुरेटेड वसा होता है। यदि आप पूरे दिन में केवल 4 बड़े चम्मच Virgin Olive oil आपके HDL कोलेस्ट्रॉल स्तर में सुधार होता है।
इसे सलाद, इतालवी व्यंजन, या बहुत हल्की आंच पर खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, यह भारतीय खाना पकाने के लिए सबसे अच्छा खाद्य तेल नहीं माना जाता है, क्योंकि इसका Smoke point बहुत कम होता है। इसके अलावा, खाना पकाने के दौरान फायदेमंद Polyphenols ख़राब हो सकते हैं। नियमित रूप से Polyphenols का सेवन पाचन और मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह और यहां तक कि कुछ कैंसर से भी बचाता है।
तिल का तेल (Sesame Oil)
तिल का तेल खाना पकाने का एक लोकप्रिय तेल है, इसका उपयोग चीनी, जापानी, दक्षिण भारतीय और मध्य पूर्वी व्यंजनों में विभिन्न तरीकों से किया जाता है। पोषक तत्वों से भरपूर खाना पकाने के लिए सबसे अच्छा खाद्य तेल है – जैसे तलने, तड़के और डेसर्ट बनाने के लिए क्योंकि इसका Smoke point अन्य तेलों से अधिक होता है। Reguler Sesame oil आमतौर पर खाना पकाने के तेल के लिए, जबकि Toasted Sesame oil सॉस, सूप और अन्य व्यंजनों में flavoring के लिए प्रयोग किया जाता है।
तिल का तेल एक और पॉलीअनसेचुरेटेड वसा है, और इसमें ओमेगा 6 से ओमेगा 3 का संतुलित अनुपात होता है। तिल के तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के साथ इसमें औषधीय गुण भी होते हैं, जो संभावित रूप से हृदय रोग और Atherosclerosis की बाधाओं को कम करने में मदद करते हैं।
देशी घी (Deshi Ghee/Clarified Butter)
देशी घी पोषक तत्वों का खजाना है, और भारतीय व्यंजनों का एक अनिवार्य हिस्सा है। देशी घी में जो भी विटामिन होते हैं, वो सभी वसा में घुलनशील होते हैं, और वजन को कम करने में सहायता प्रदान करते हैं।
यह ओमेगा 3 फैटी एसिड, विटामिन ए, ई, के और ब्यूटिरिक एसिड से भरपूर होता है, जो पाचन और मस्तिष्क के विकास में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट हमारे शरीर से Free radicals को हटाने और हमारी कोशिकाओं की रक्षा करने के साथ-साथ त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने में मदद करते हैं।
भारतीय खाना पकाने के लिए एकदम उपयुक्त – तलने, तड़के और मिठाइयाँ बनाने के लिए, क्योंकि इसका Smoke point 250°C होता है, जो कि अधिकांश खाना पकाने के तेलों की तुलना में बहुत अधिक होता है।
एक तथ्य यह भी है, कि उच्च तापमान पर उपयोग किए जाने पर बहुत कम Free radicals बनाता है, यही चीज इसे खाद्य पदार्थों को तलने के लिए आदर्श बनाता है।
हालांकि, देशी घी के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, यह नियमित मक्खन की तुलना में अधिक गाढ़ा होता है, इसलिए इसमें अधिक कैलोरी और अधिक वसा (संतृप्त वसा सहित) होता है। किसी भी वसा की तरह, घी का उपयोग खाद्य पदार्थों का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाना चाहिए, न कि भोजन के थोक के रूप में।
कच्ची घानी सरसों का तेल (Mustard Oil)
यह भारतीय खाना पकाने के लिए सबसे पसंदीदा और सबसे अच्छा खाद्य तेल है। सरसों का तेल भारत के उत्तरी भागों में खाना पकाने के लिए लोकप्रिय रूप से उपयोग किया जाता है। सरसों के तेल में एक तीखी गंध होती है, जो बहुतों को पसंद नहीं होती है।
स्वास्थ्य लाभ से भरपूर, यह रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देता है और इसमें MUFA, PUFA और Alpha-linolenic acid होता है। दिल को स्वस्थ बनाए रखने के लिए सरसों के तेल को अपने दैनिक आहार में शामिल करें, यह स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है।
इसके संक्रमण रोधी गुण पाचन तंत्र के संक्रमण का इलाज करने में मदद कर सकते हैं। सरसों के तेल में मौजूद Glucosinolate कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करता है। इसका Smoke point उच्च होता है, इसलिए यह deep fry के लिए एकदम सही तेल है।
सरसों के तेल में जीवाणुरोधी और एंटीफंगल घटक होता है, इसलिए, यह अचार बनाने में उपयोग के लिए एक आदर्श तेल है। सरसों के तेल में विटामिन ई से भरपूर होने के कारण त्वचा के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
सरसों का तेल एक प्राकृतिक उत्तेजक है, और चयापचय को बढ़ावा देने से परिसंचरण में सुधार होता है और साइनस की समस्या से राहत मिलती है।
मूंगफली का तेल (Peanut Oil)
मूंगफली का तेल भारत में एक लोकप्रिय तेल है, जो आमतौर पर खाना पकाने में उपयोग किया जाता है। खासकर खाद्य पदार्थों को तलने के लिए, क्योंकि इसका Smoke point उच्च होता है और सभी भारतीय खाना पकाने के तेलों में यह भी सबसे अच्छा खाद्य तेल है।
मूंगफली का तेल विटामिन ई से भरपूर होता है, जिसे रूखी त्वचा, एक्जिमा, गठिया और जोड़ों के दर्द के इलाज के लिए सीधे त्वचा पर लगाया जाता है।
मूंगफली का तेल विटामिन ई, Monounsaturated और polyunsaturated, फोलेट और प्रोटीन से भरपूर होता है और संतृप्त वसा में कम होता है। यह हृदय रोग और कम कोलेस्ट्रॉल को रोकने में मदद करता है। कुल मिलाकर, यह सर्व-उद्देश्यीय खाना पकाने के लिए उपयुक्त तेल माना जाता है।
कैनोला/रेपसीड तेल (Canola/Rapeseed Oil)
रेपसीड का Genetically modified (GMO) रूप कैनोला है, Herbicide के प्रति पौधों की सहनशीलता (Tolerance) बढ़ाने और तेल की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किया गया है, यह सरसों वर्ग से संबंधित है। जिसे रेपसीड और कैनोला तेल दोनों के रूप में जाना जाता है।
इसमें असंतृप्त वसा, विटामिन ई और के और ओमेगा -3 से ओमेगा -6 वसा का लाभकारी अनुपात होता है। जिसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जैसे रक्तचाप को नियंत्रित करना, दिल की रक्षा करना, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना।
कैनोला तेल अपने पोषण मूल्य के कारण स्वास्थ्य के लिए खाना पकाने का सबसे अच्छा खाद्य तेल माना जाता है। इसका एक मध्यम Smoke point है और इसे भूनने, तलने, सेंकने और तड़का देने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
राइस ब्रान ऑइल (Rice Bran Oil)
जब हम सबसे अच्छे भारतीय खाना पकाने के तेल के बारे में बात करते हैं, तो राइस ब्रान ऑइल को इस सूची से बाहर नहीं रख सकते। यह सबसे बहुमुखी तेल है जिसे अपने हल्के स्वाद के कारण तलने और पकाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
राइस ब्रान ऑइल चावल की भूसी से निकाला जाता है, यह आमतौर पर जापान, भारत और चीन सहित कई एशियाई देशों में खाना पकाने के तेल के रूप में उपयोग किया जाता है। यह असंतृप्त वसा, विटामिन ई और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत है।
इसका उच्च Smoke point इसे उच्च तापमान पर खाना पकाने के लिए आदर्श बनाता है। इसके संभावित स्वास्थ्य लाभ भी हैं, जैसे कि यह रक्त शर्करा के स्तर में सुधार और हृदय से संबंधित समस्याओं को कम करता है।
नारियल का तेल (Coconut Oil)
वर्जिन नारियल तेल का उपयोग सदियों से स्वस्थ बालों और शरीर की मालिश के लिए किया जाता रहा है। यह कच्चे नारियल से बनाया जाता है, जो नारियल के तेल को कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
भारत के दक्षिणी हिस्सों में, इसे दक्षिण भारतीय व्यंजन पकाने के लिए सबसे अच्छा खाद्य तेल माना जाता है। रिफाइंड नारियल तेल सूखे नारियल (खोपरा) से तेल निकालते हैं।
नारियल के तेल में लिनोलिक एसिड और 50% तक लॉरिक एसिड होता है, जो हाइड्रेटिंग, रोगाणुरोधी हो सकता है और त्वचा की उम्र बढ़ने के संकेतों से लड़ता है। नारियल का तेल मीडियम चेन ट्राइग्लिसराइड्स या एमसीटी का एक बढ़िया स्रोत है, जो वसा भंडारण को रोकने में मदद करते हैं।
लोग आमतौर पर नारियल के तेल का उपयोग एक्जिमा, सोरायसिस, मोटापा, स्तन कैंसर, हृदय रोग, और कई अन्य स्थितियों के लिए करते हैं, लेकिन इन उपयोगों का समर्थन करने के लिए कोई अच्छा वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिलता है।
Virgin oil के बजाय व्यावसायिक गुणवत्ता वाले नारियल तेल का बहुत अधिक उपयोग किये जाने से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। यह मुख्य रूप से संतृप्त वसा होने के कारण प्रति दिन 13 ग्राम से अधिक नहीं लेने की सलाह दी जाती है।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए करें विभिन्न तेलों का Rotation और Blending करें!
एक ही प्रकार के वनस्पति तेल के खाने से फैटी एसिड का सर्वोत्तम फायदा और शरीर को संतुलित ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड नहीं मिल पाता है। इसलिए National Institute of Nutrition (NIN) ने सिफारिश की है, कि लोगों द्वारा दो या दो तेलों के संयोजन (Blending) का रोटेशन आधार (Rotational basis) पर उपयोग किया जाना चाहिए।
यह सिफारिश इसलिए भी है, क्योंकि भारतीय आबादी में वसा का सेवन उसकी आय पर निर्भर है, और यह अंतर अत्यधिक विषम भी है। अधिकांश भारतीय जीवन भर एक ही प्रकार के खाद्य तेल का उपभोग करते हैं, जो उनके क्षेत्र में बहुतायत से पाया जाता है।
उनका सुझाव है कि बारी-बारी से तेलों का उपयोग करें ताकि सभी स्रोतों से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सके। ओमेगा 6 फैटी एसिड से भरपूर तेल सूरजमुखी, कुसुम, मकई का तेल हैं जबकि ओमेगा 3 में अलसी के बीज, सोया, सरसों और कैनोला तेल हैं।
हमारे दैनिक भोजन में खाद्य तेलों के Rotation और Blending का महत्व क्या है?
अलग-अलग तरह के खाना पकाने के तेल को Rotate करते रहें, ताकि आपके शरीर को हर तरह के पोषक तत्व सही मात्रा में मिलें। दो या दो से अधिक विभिन्न तेलों को Rotate करते रहने से फैटी एसिड और एंटीऑक्सिडेंट को संतुलित करने के लिए खाना पकाने के तेल की क्षमता में वृद्धि हो सकती है। आपके आहार में संतृप्त और असंतृप्त वसा के संयोजन का फायदा उठाने की सलाह दी जाती है – हालांकि, इसके लिए प्रत्येक की मात्रा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
Institute of Nutrition (NIN), हैदराबाद के अनुसार, यदि लोग अपने दैनिक भोजन में अलग अलग खाद्य तेलों का Rotation करते हैं, तो यह उन्हें अधिक स्वस्थ रखेगा और ह्रदय संबंधी बीमारियों के हमले और प्रभाव को कम करेगा Vascular diseases, मधुमेह और मोटापा जो खाद्य तेलों के अधिक सेवन से जुड़े हैं।
खाना पकाने के खाद्य तेलों का Rotation कैसे करें?
रोटेशन के आधार पर खाद्य तेलों के दैनिक उपयोग के लिए दो तेल समूह की आवश्यकता होती है।पोषण विशेषज्ञों ने रोटेशन के उद्देश्य से खाद्य तेलों को दो समूहों में विभाजित किया है:
समूह I: इस समूह में सरसों का तेल और सोयाबीन का खाद्य तेल शामिल है, ये दोनों तेल पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड ओमेगा-3 से भरपूर होते हैं। ओमेगा-3 हमारे शरीर के लिए अति आवश्यक फैटी एसिड है। हालाँकि, शरीर इस फैटी एसिड को नहीं बना सकता है और उसे बाहरी स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है। ओमेगा -3 और ओमेगा -6 का संयोजन हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत जरूरी है। ओमेगा -3 के अच्छे स्रोत में सैल्मन, टूना और सार्डिन जैसी तैलीय मछलियां होती है।
समूह II: इस समूह में मूंगफली, सूरजमुखी, करडी, Rice bran और Palm oil जैसे खाद्य तेल शामिल हैं। ये तेल पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड ओमेगा-6 से भरपूर होते हैं। ओमेगा -6 और ओमेगा -3 दोनों एक साथ मिलकर बहुत अच्छी तरह से काम करते हैं और इसलिए अगर इन्हें एक साथ उपयोग में लाया जाए, तो ये हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। स्वस्थ त्वचा और बालों के लिए ओमेगा-6 बहुत अच्छा होता है। वे Inflammation को कम करते हैं, और गठिया के लिए बहुत प्रभावी हैं।
दोनों समूह के तेलों की Blending किस प्रकार से करें?
चूंकि ओमेगा -3 और ओमेगा -6 दोनों एक तालमेल के साथ काम करते हैं और शरीर के लिए आवश्यक फैटी एसिड होते हैं। पोषण विशेषज्ञों ने बताया है कि यदि एक समूह के 2-3 चम्मच तेल को दूसरे समूह के तेल के 2-3 चम्मच तेल के साथ मिलाया जाता है, तो यह हमारी दैनिक खाना पकाने की जरूरतों के लिए बहुत आदर्श होगा।
इसका एक और विकल्प सुझाया गया है, जिसके अनुसार तेलों का एक समूह एक दिन और दूसरा दूसरे दिन लिया जा सकता है और इसे लगातार Rotate करना पड़ता है। लेकिन पहला वाला विकल्प ज्यादा बेहतर है और दैनिक आधार पर उसे ट्रैक कर सकते हैं, क्योंकि कभी-कभी हमें यह याद नहीं रहता है कि पिछले दिन कौन सा तेल इस्तेमाल किया था।
Blending तेल का मासिक आधार पर कितना उपभोग करना चाहिए?
इसलिए पोषण विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है, कि प्रति व्यक्ति दोनों समूहों के तेलों के 4-5 चम्मच मिश्रण (Blend) को आदर्श माना जाए। प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग आधा लीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। दोनों प्रकार के तेल का यह संयोजन लोगों को स्वस्थ रहने में मदद करेगा और उन्हें दिल के दौरे, मधुमेह और वजन बढ़ने के जोखिम से मुक्त रखेगा। इसके अलावा यह हमारी रक्त वाहिकाओं को कुशलता से काम करने में मदद करेगा।
कुछ Tips खाना पकाने के खाद्य तेल को स्वस्थ रूप से उपभोग करने के लिए –
- अपने भोजन को तैयार करने के लिए पर्याप्त मात्रा में तेल का प्रयोग करें। खाना पकाने के तेल को पुन: उपयोग में न लाएं या गरम न करें।
- तेल के पोषक तत्वों को नुकसान से बचाने के लिए धुआं निकलने तक को तेल गरम न करें। क्योंकि भारतीय खाना पकाने के लिए उच्च Smoke point वाले तेलों को स्वस्थ तेल माना जाता है।
- खाना पकाने के तेल के सभी प्रकार के पोषक तत्वों को पाने के लिए तेल की रोटेशन विधि या दो तेलों के संयोजन विधि का प्रयोग करें।
- वनस्पति या परिष्कृत (Refined) तेलों का उपयोग कम से कम करें, अगर इससे बच सकते हैं तो बचें, अन्यथा आपकी सेहत को नुकसान हो सकता है।
- आप जिस व्यंजन को पका रहे हैं उसके अनुसार ही उपयुक्त तेलों का प्रयोग करें।
- चूंकि Extra Virgin Olive oil का Smoke point कम है, इसलिए इसे कम आंच पर खाना पकाने, सलाद या ड्रेसिंग में ही उपयोग करें।
- अपने खाना पकाने के तेल को अंधेरी और ठंडी जगह पर लंबे समय तक ताजा रखने के लिए स्टोर करें।
- तेल को अधिक मात्रा में खरीदने से बचें या लंबे समय तक स्टॉक करने से बचें।
- अगर आपके तेल से अलग या खराब गंध आ रही है, तो इसका इस्तेमाल करने से बचें।
- भारतीय खाना पकाने के लिए पारंपरिक तेलों (Unrefined oils) को अपनाने का प्रयास करें, ताकि आप अधिकतम पोषण और स्वाद को प्राप्त कर सकें और हानिकारक TFA (Trans-fat) से भी बचे रहें।
क्या भारतीय खाना पकाने के लिए रिफाइंड तेल का नियमित उपयोग करना सुरक्षित है?
कोई फर्क नहीं पड़ता कि तेल का स्रोत क्या है, परिष्कृत तेल (Refined oil) हमेशा अत्यधिक संसाधित (Processed) किया होता है।
परिष्कृत तेल का Smoke point बहुत अधिक होता है और भारतीय खाना पकाने की शैली के लिए एकदम उपयुक्त है। हालांकि यह नियमित खाद्य तेल का अच्छा विकल्प नहीं हैं। क्योंकि रिफाइंड तेल के निष्कर्षण और शोधन तकनीकों के दौरान तेल के पोषक तत्व ख़त्म हो जाते हैं। इसलिए तेल नियमित सेवन के लिए एक अच्छा विकल्प नहीं है।
भारतीय खाना पकाने के लिए सबसे अच्छा खाद्य तेल कौन सा है?
भारतीय खाना पकाने के लिए सबसे अच्छा खाद्य तेल उच्च Smoke point का होना चाहिए और कम संसाधित (Processed) होना चाहिए। यदि आप Smoke point chart को देखें और शोधन की डिग्री हमेशा व्युत्क्रमानुपाती होती है। इसका मतलब यह है, कि अधिक परिष्कृत तेल की तुलना में अपरिष्कृत तेल का Smoke point कम होता है।
इसे संतुलित करने के लिए, अच्छी गुणवत्ता वाला और स्थानीय उपलब्धता के अनुसार नियमित खाना पकाने का तेल को चुनें। कच्ची घानी सरसों का तेल, कोल्ड-प्रेस्ड नारियल/मूंगफली/तिल का तेल, और देशी घी सबसे अच्छे विकल्प हैं। या फिर आप रिफाइंड तेल की तुलना में अर्ध-परिष्कृत तेल जैसे फ़िल्टर्ड मूंगफली या तिल का तेल चुनें पर अर्ध-परिष्कृत तेल का Smoke point भी अधिक होता है।
Last but not least…
भारतीय खाना बनाने के लिए सबसे अच्छा खाद्य तेल का चयन करते समय कुछ महत्वपूर्ण कारकों का विचार अवश्य करें – जैसे तेल का Smoke point, निष्कर्षण और शोधन विधि, वसा (SFA, MUFA, PUFA) की मात्रा, स्वाद और पोषण के साथ-साथ कीमत पर भी नजर रखें। क्योंकि, तेल आपके आहार को स्थिर बनाता है। इसलिए अपना खाना पकाने के तेल को बहुत ध्यान से चुनें।
सबसे महत्वपूर्ण बात कि आप खाना बनाने के लिए कौन सी तकनीक का प्रयोग करना चाहते हैं -जैसे तलने, भूनने, deep fry या dressing उसके अनुसार ही सबसे अच्छा खाद्य तेल का चयन करें। यदि आप चाहते हैं कि खाना पकाने के तेलों का पूरा पोषण आपको मिले, तो दो खाद्य तेलों का मिलाकर/संयोजन (Blending) करके खाएं।
आजकल स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग अपने आहार से वनस्पति और परिष्कृत तेलों को हटा रहे हैं और कच्ची घानी, कोल्ड-प्रेस्ड या Virgin अपरिष्कृत तेलों का विकल्प चुन रहे हैं. वैसे इस बारे में आपका क्या विचार है।
जब खाद्य तेल के दैनिक सेवन की बात आती है, तो खाद्य तेलों से 20-25 ग्राम वसा ठीक होती है। जहां तक भारतीय व्यंजनों और खाना पकाने के तेल के लिए वरीयता का संबंध है। आदर्श रूप से, नारियल तेल या घी से 10 ग्राम और सरसों या मूंगफली या तिल के तेल से 10-15 ग्राम वसा की मात्रा ठीक हो सकती है।
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इस Article के माध्यम से दी गई जानकारी, केवल शिक्षा के उद्देश्य से बीमारियों और स्वास्थ्य के बारे में लोगों को सचेत करने का एक साधन मात्र है। हमेशा कोशिश रहती है कि हर लेख संपूर्ण और सटीकता से परिपूर्ण हो।इस Blog पर उपलब्ध किसी भी सलाह, सुझावों को निजी स्वास्थ्य के लिए उपयोग में लाने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
References –
https://www.aboutoliveoil.org/cooking-oil-and-oxidative-stability
https://medlineplus.gov/ency/patientinstructions/000786.htm
https://recipes.timesofindia.com/articles/food-facts/what-is-cold-pressed-oil-how-it-is-different-from-refined-oil/photostory/65241968.cms
Extra Virgin, Pure, or Light? What’s The Difference In Oils?
https://latourangelle.com/blogs/general/refined-vs-unrefined-oils
https://extension.psu.edu/processing-edible-oils
https://www.alfalaval.in/products/process-solutions/edible-oil-solutions/edible-oil-refining-process-systems/
https://www.yashodahospitals.com/blog/which-cooking-oil-should-you-use/